Walking vs Yoga: डायबिटीज या प्री-डायबिटीज से जूझ रहे लोगों के लिए ब्लड शुगर को कंट्रोल में रखना स्वस्थ जीवन की दिशा में पहला और सबसे महत्वपूर्ण कदम है। चूंकि डायबिटीज एक क्रॉनिक कंडीशन है, यह आपके शरीर के हर अंग को प्रभावित करती है, जिसमें दिल, किडनी और यहां तक, कि आपकी आंखों की रोशनी भी शामिल है।
हालांकि दवाइयां मदद कर सकती हैं, लेकिन अपनी लाइफस्टाइल में बदलाव लाना भी ब्लड प्रेशर को नियंत्रण में रखने के लिए बेहद कारगर है। जब बात एक्सरसाइज की आती है तो योग और वॉकिंग दो ऐसी गतिविधियां हैं, जिनके बारे में अक्सर चर्चा होती है। लेकिन सवाल यह है, कि ब्लड शुगर को कंट्रोल करने के लिए कौन सा बेहतर है? आइए जानते हैं।
वॉकिंग के फायदे जो नजरअंदाज नहीं किए जा सकते-
एक सरल एरोबिक एक्सरसाइज वॉकिंग है जिसे लगभग कोई भी कर सकता है। यह आपकी हार्ट रेट बढ़ाती है और मांसपेशियों को ऊर्जा के लिए खून में मौजूद ग्लूकोज यानी शुगर का इस्तेमाल करने में मदद करती है। यह प्रक्रिया इंसुलिन सेंसिटिविटी को बेहतर बनाती है, जिसका मतलब है कि आपका शरीर ब्लड शुगर लेवल को कम करने के लिए इंसुलिन का बेहतर उपयोग कर सकता है। खाने के बाद वॉक करना खासतौर पर ब्लड शुगर स्पाइक्स को कम करने में प्रभावी हो सकता है।
वॉकिंग से कैलोरी बर्न होती है और वजन को मैनेज करने में मदद मिलती है, जो डायबिटीज वाले लोगों के लिए महत्वपूर्ण है। यह लो-इम्पैक्ट एक्सरसाइज है इसलिए जोड़ों पर हल्की होती है और बिना जिम मशीन की झंझट के दैनिक दिनचर्या में आसानी से फिट हो जाती है। स्टडीज बताती हैं कि वॉकिंग फास्टिंग ब्लड ग्लूकोज और HbA1c को कम कर सकती है, जो डायबिटीज से होने वाली जटिलताओं के खतरे को कम करने में मदद करता है।
मानसिक तनाव दूर करने से कहीं ज्यादा है-
योग केवल मानसिक स्ट्रेस बस्टर नहीं है। यह हल्की एक्सरसाइज को ब्रीदिंग टेक्निक और स्ट्रेस कम करने की प्रैक्टिस के साथ जोड़ता है। लंबे समय तक तनाव ब्लड शुगर लेवल बढ़ा सकता है क्योंकि यह कोर्टिसोल जैसे हार्मोन रिलीज करता है, जो शरीर को इंसुलिन के प्रति कम संवेदनशील बना देते हैं।
योग इंसुलिन सेंसिटिविटी को बेहतर बनाता है और अग्नाशय को बेहतर तरीके से काम करने में मदद कर सकता है। यह फास्टिंग ब्लड शुगर और HbA1c को कम करता है। योग आपको रिलैक्स रहने और स्ट्रेस फ्री रहने में मदद करता है, जो ऑटोमैटिकली ब्लड शुगर लेवल को नीचे लाता है। यह फ्लेक्सिबिलिटी, बैलेंस और समग्र कल्याण को भी बेहतर बनाता है। रिसर्च से पता चलता है कि योग वॉकिंग की तुलना में फास्टिंग ब्लड ग्लूकोज को ज्यादा कम कर सकता है और यह इंसुलिन रेजिस्टेंस को भी कम करता है, जो टाइप 2 डायबिटीज में एक प्रमुख कारक है।
रिसर्च क्या कहती है-
विभिन्न शोधों के अनुसार योग और वॉकिंग दोनों ही फास्टिंग ब्लड शुगर और HbA1c को काफी हद तक कम करते हैं। लेकिन योग ने फास्टिंग ब्लड ग्लूकोज में वॉकिंग से लगभग 12 mg/dL ज्यादा कमी दिखाई। योग ने फास्टिंग इंसुलिन लेवल और इंसुलिन रेजिस्टेंस को भी वॉकिंग से बेहतर तरीके से कम किया। रिसर्च के मुताबिक, एक्सरसाइज, ब्रीदिंग और स्ट्रेस रिलीफ के कंबाइंड बेनिफिट्स योग को ब्लड शुगर कंट्रोल के लिए थोड़ा ज्यादा पावरफुल बनाते हैं।
आपको क्या चुनना चाहिए-
वॉकिंग और योग दोनों ब्लड शुगर को मैनेज करने के लिए बेहतरीन हैं, लेकिन आपकी पसंद इस बात पर निर्भर करती है कि आपको क्या सूट करता है या आपको किसमें ज्यादा मजा आता है। अगर आप एक सिंपल, आसानी से शुरू होने वाली एक्सरसाइज चाहते हैं जिसके लिए ट्रेनर की जरूरत नहीं, अगर आपके पास अच्छी आउटडोर स्पेस है।
जहां आप वॉक कर सकते हैं, या आप कार्डियोवैस्कुलर फिटनेस बेहतर करना और वजन कम करना चाहते हैं तो वॉकिंग चुनें। वहीं अगर आप स्ट्रेस कम करना और फिजिकल हेल्थ के साथ-साथ मेंटल वेलबीइंग भी सुधारना चाहते हैं, या आप लो-इम्पैक्ट एक्सरसाइज पसंद करते हैं जो फ्लेक्सिबिलिटी और बैलेंस भी बेहतर करे तो योग आपके लिए बेहतर विकल्प है।
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दोनों को मिलाएं तो सोने पर सुहागा-
सबसे अच्छा तरीका दोनों को कंबाइन करना हो सकता है। वॉकिंग और योग साथ में बहुत अच्छे हैं क्योंकि वॉकिंग मांसपेशियों को ग्लूकोज का उपयोग करने और कैलोरी बर्न करने में मदद करती है जबकि योग स्ट्रेस हार्मोन को कम करता है जो ब्लड शुगर बढ़ाते हैं। साथ में ये समग्र मेटाबॉलिक हेल्थ और जीवन की गुणवत्ता में सुधार करते हैं। एक्सपर्ट्स अधिकतम लाभ के लिए वॉकिंग जैसी एरोबिक एक्सरसाइज और योग जैसी माइंड-बॉडी प्रैक्टिस दोनों को अपनी दिनचर्या में शामिल करने की सलाह देते हैं।
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