Tips for Success: आजकल सफलता का मतलब क्या है? कुछ लोग कहते हैं, बड़ा ऑफिस, अच्छी सैलरी। कुछ कहते हैं पैसे की कमी न हो। और कुछ के लिए तो बस इतना काफी है, कि चाय ठंडी न हो जाए पीने से पहले।
लेकिन जो लोग सच में कामयाब हुए हैं, उनकी कहानी कहीं और से शुरू होती है। वो लोग सुबह 4 बजे उठते हैं। यह कोई दिखावा नहीं है। सुबह के समय शांति होती है, कोई परेशानी नहीं होती। इस समय दिमाग भी तेज काम करता है। यहीं से शुरू होती है, उन छोटी-छोटी आदतों की कहानी जो बाद में बड़ी कामयाबी बन जाती हैं।
सब कुछ दिमाग से शुरू होता है-
जिस भी सफल आदमी से पूछोगे, वो यही कहेगा, फोकस रखना कोई जादू नहीं है। यह रोज-रोज की मेहनत है। छोटे-छोटे काम करने से दिमाग मजबूत होता है। फिर जब तनाव आता है, दबाव आता है, तो दिमाग टूटता नहीं है।
अगर दिमाग में गड़बड़ है, तो कुछ भी अच्छा नहीं हो सकता। न अच्छा काम कर सकते हैं, न टीम को हैंडल कर सकते हैं। फिर भी लोग अपने दिमाग की सेहत पर ध्यान नहीं देते। जब लोग अपनी रोजाना की छोटी आदतों को अपने काम जितना जरूरी समझने लगते हैं, तभी असली बदलाव आता है।
रोजाना की आदत-
सच कहूं तो रोजाना एक ही काम करना बोरिंग लगता है। यह इंस्टाग्राम पर अच्छा नहीं लगता। लेकिन यही वो चीज है, जो बड़े काम को मुमकिन बनाती है। बहुत से लोगों का दिमाग सुबह के समय सबसे तेज काम करता है।
थोड़ी देर सांस की एक्सरसाइज करना, थोड़ा ध्यान लगाना, या डायरी में कुछ लिखना, यह सब दिन शुरू होने से पहले करने से बाकी दिन का तनाव कम हो जाता है। इसमें ज्यादा वक्त भी नहीं लगता। अगर यह सब नहीं करते, तो तनाव आपकी एनर्जी में, सोचने में और टीम के साथ काम करने में दिख जाता है।
दिमाग की भी एक्सरसाइज जरूरी-
बिजनेस की दुनिया में लोग सिर्फ मेहनत की बात करते हैं। लेकिन अगर दिमाग बिखरा हुआ है, तो लंबे समय तक सफलता नहीं मिल सकती। इसलिए दिमाग की एक्सरसाइज उतनी ही जरूरी है, जितनी मीटिंग और प्रेजेंटेशन।
ध्यान लगाने से सोचना साफ होता है। डायरी लिखने से मन के विचार सुलझ जाते हैं। सांस की एक्सरसाइज से तुरंत तनाव कम हो जाता है। यह कोई मजाक नहीं है, यह जिंदा रहने के तरीके हैं। रोज करने से फैसले लेना आसान हो जाता है और बिजनेस की भागदौड़ में भी मन शांत रहता है।
शरीर हिलाने से दिमाग तेज होता है-
जैसे दिमाग को डिसिप्लिन की जरूरत होती है, वैसे ही शरीर को हलचल की जरूरत होती है। बस 20 मिनट योग करना, खिंचाव करना, या थोड़ी एक्सरसाइज करना, इससे तनाव निकल जाता है, खून का दौरा तेज हो जाता है और नए आइडिया आने लगते हैं। नए विचार जबर्दस्ती नहीं आते। जब दिमाग और शरीर दोनों ठीक होते हैं, तब अपने आप आते हैं। हलचल से यही होता है।
प्रकृति से सीखें-
पुराने लोग कहते थे, “जल्दी सोना और जल्दी उठना इंसान को सेहतमंद, अमीर और अकलमंद बनाता है।” प्रकृति को देखिए पंछी, समुद्र, पेड़ सब सूरज के साथ उठते हैं और चांद के साथ सोते हैं। यह बेवजह नहीं है। जब हम प्रकृति के हिसाब से जीते हैं, तो अच्छी नींद आती है, साफ सोच आती है और गुस्सा कम आता है। हर बिजनेसमैन के लिए यह फायदेमंद है।
छोटी आदतें मतलब बड़े फायदे-
सफलता कोई एक बड़े फैसले से नहीं आती। यह हर दिन के छोटे-छोटे फैसलों से आती है, जो सिर्फ हम जानते हैं। जैसे – सुबह उठकर पहले फोन देखेंगे या ध्यान लगाएंगे? कोई बात मन में आई, तो लिखेंगे या भूल जाएंगे? मीटिंग से पहले 10 गहरी सांस लेंगे या परेशान होकर जाएंगे?
ये छोटे-छोटे काम जुड़कर बताते हैं, कि हम कैसे लीडरशिप करते हैं, कैसे सोचते हैं और कैसे पेश आते हैं।
छोटी शुरुआत करें
बिजनेसमैन और प्रोफेशनल्स अक्सर सोचते हैं, कि बड़ा बदलाव चाहिए। लेकिन छोटे बदलाव की ताकत को समझते नहीं। आज की तेज दुनिया में कामयाब होने के लिए रातों-रात सब कुछ बदलने की जरूरत नहीं, बस लगातार करते रहने की जरूरत है।
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एक सांस से शुरू करिए। एक लाइन डायरी में लिखने से। थोड़ा खिंचाव करने से। यह सब दिमाग से शुरू होता है। इसे ट्रेन करिए, इसकी देखभाल करिए। फिर देखिए कैसे साफ सोच, नए आइडिया और लंबे समय की कामयाबी मिलती है, एक छोटी आदत के साथ।
असली बात यह है, सफलता कोई मंजिल नहीं है, यह एक सफर है और यह सफर शुरू होता है, सुबह के उन शांत पलों से जब सिर्फ आप और आपका दिमाग होता है।
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