Aravalli Hills: उत्तर भारत में जैसे ही सर्दियों का मौसम दस्तक देता है, वायु प्रदूषण एक बार फिर खतरनाक स्तर पर पहुंच जाता है। दिल्ली में एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) गंभीर से लेकर जानलेवा स्तर तक पहुंच गया है। स्मॉग इतना घना हो गया है, कि यात्रा में बाधा आ रही है और हजारों लोग सांस लेने में तकलीफ के चलते अस्पतालों का रुख कर रहे हैं। इस भयावह स्थिति के बीच, वैज्ञानिकों और पर्यावरणविदों ने एक नए खतरे की ओर ध्यान दिलाया है, जो सतह पर तो दिखाई नहीं देता, लेकिन बेहद चिंताजनक है। यह खतरा है, उत्तर भारत की सबसे प्राचीन पर्वत श्रृंखलाओं में से एक अरावली की अंधाधुंध कटाई।
अरावली पर्वत ग्रीन लंग्स-
अरावली पर्वत श्रृंखला को दिल्ली-NCR क्षेत्र के “ग्रीन लंग्स” के रूप में जाना जाता है। यह पहाड़ी श्रृंखला एक प्राकृतिक बैरियर की तरह काम करती है जो हवा को फिल्टर करने, धूल को रोकने, हवा से आने वाले कणों को कम करने और स्थानीय इकोसिस्टम को सहारा देने में अहम भूमिका निभाती है। यहां की वनस्पति कार्बन डाइऑक्साइड को तोड़ने और थार रेगिस्तान जैसे शुष्क क्षेत्रों से आने वाली धूल तथा प्रदूषकों को मैदानी इलाकों में फैलने से रोकने में मदद करती है, जहां करोड़ों लोग रहते हैं।

नए नियमों से बढ़ता खतरा-
हालांकि, हाल ही में हुए नियामक बदलावों ने चिंता बढ़ा दी है। इनमें एक विवादास्पद परिभाषा शामिल है, जो यह तय करती है, कि कौन सी अरावली भूमि संरक्षित है और कौन सी नहीं। इस बदलाव से अरावली की 90 प्रतिशत से अधिक भूमि कानूनी सुरक्षा से बाहर हो सकती है। बिना सुरक्षा के, खनन कंपनियां, बिल्डर्स और कंस्ट्रक्शन प्रोजेक्ट्स पहाड़ियों के बड़े हिस्सों को खोल सकते हैं। इससे जंगल का विनाश होगा और अधिक धूल, पार्टिकुलेट मैटर और प्रदूषण के स्रोत पैदा होंगे।
स्वास्थ्य पर गंभीर असर-
वायु प्रदूषण और स्वास्थ्य पर वैज्ञानिक शोध बिल्कुल स्पष्ट हैं। सूक्ष्म कण (PM2.5 और PM10) फेफड़ों में गहराई तक जा सकते हैं, खून में मिल सकते हैं और गंभीर बीमारियों की श्रृंखला शुरू कर सकते हैं। इनमें अस्थमा, क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (COPD), हार्ट अटैक, स्ट्रोक, कार्डियोवैस्कुलर तनाव, फेफड़ों का कैंसर और अन्य दीर्घकालिक श्वसन बीमारियां शामिल हैं। बच्चों, बुजुर्गों और पहले से बीमार लोगों में लक्षण और भी गंभीर हो जाते हैं।

अरावली से सटे क्षेत्रों में रहने वाले लोग पहले से ही श्वसन संक्रमण, अस्थमा के दौरे, सीने में जकड़न, आंखों में जलन और प्रदूषण के चरम मौसम में अस्पताल में भर्ती होने की उच्च दरों की रिपोर्ट करते हैं।
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चेतावनी-
अरावली जैसी महत्वपूर्ण हरित संरचना को नष्ट करने का मतलब सिर्फ अधिक धूल नहीं है, बल्कि जहरीली हवा के खिलाफ लड़ाई में एक प्राकृतिक सहयोगी को खोना है। पराली जलाने, वाहनों के उत्सर्जन और औद्योगिक प्रदूषण के साथ, जो पहले से ही हर सर्दियों में शहर के वातावरण को दूषित कर देते हैं, इस पारिस्थितिक बफर को हटाने से वायु गुणवत्ता खतरे के नए स्तर पर पहुंच सकती है। इसके सीधे परिणाम सांस लेने, हृदय स्वास्थ्य, बच्चों के विकास और समग्र जीवन काल पर पड़ेंगे।
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