Dahi Ayurveda: बचपन से सुनते आए हैं कि दही एक ठंडा और पेट के लिए फायदेमंद खाना है। तेज़ गर्मी में दही-चावल खाकर राहत पाते हैं, मसालेदार बिरयानी के साथ दही का रायता लगाते हैं। लेकिन क्या होगा अगर हम कहें, कि आयुर्वेद के अनुसार दही बिल्कुल ठंडा नहीं बल्कि गर्म है? जी हां, आपने सही पढ़ा। वही दही जिसे आप गर्मियों में राहत के लिए खाते हैं, आयुर्वेद में इसे ‘उष्ण’ यानी शरीर में गर्मी पैदा करने वाला माना गया है।
आयुर्वेदिक डाइट और लाइफस्टाइल कंसल्टेंट स्नेहा लोनी का कहना है, “दही आयुर्वेद में बहुत गर्म है। यह शरीर में पित्त और कफ दोनों दोषों को बढ़ाता है।” यह बात सुनकर शायद आपको हैरानी हो रही होगी, लेकिन यही सच है।
Dahi Ayurveda जब दोष बढ़ जाएं तो क्या होता है?
टाइम्स नाउ के मुताबिक, स्नेहा के अनुसार जब कफ दोष बढ़ता है तो शरीर में चर्बी जमा होने लगती है और सूजन की समस्या हो सकती है। वहीं पित्त दोष के बढ़ने से आपकी त्वचा और बालों पर असर पड़ता है। समय से पहले बाल सफेद होना, गर्मी के दाने निकलना और त्वचा में जलन जैसी समस्याएं होने लगती हैं।
यह बात बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि ज्यादातर लोग गर्मियों में दही का सेवन बढ़ा देते हैं। वे सोचते हैं कि इससे गर्मी से राहत मिलेगी। लेकिन स्नेहा चेतावनी देती हैं, “मैंने बहुत से लोगों को देखा है जो गर्मियों में ज्यादा दही खाते हैं यह सोचकर कि यह ठंडा है। कृपया ऐसा न करें। अगर आप गर्मियों में दही खाएंगे तो आपको कई परेशानियां होंगी। आपके शरीर में पित्त दोष बहुत बढ़ जाएगा।”
Dahi Ayurveda मोटापे और आलसी लाइफस्टाइल वालों के लिए खतरा-
जो लोग ज्यादा बैठकर काम करते हैं या मोटापे की समस्या से जूझ रहे हैं, उनके लिए दही और भी नुकसानदायक हो सकता है। स्नेहा कहती हैं, “यह पचने में बहुत भारी है, खासकर उन लोगों के लिए जो आलसी जीवनशैली जीते हैं। इससे आपके शरीर में चर्बी बढ़ेगी।”
क्या बिल्कुल छोड़ दें दही?
अब सवाल यह उठता है, कि क्या दही को बिल्कुल छोड़ देना चाहिए? स्नेहा का जवाब है – बिल्कुल नहीं। दही बुरा नहीं है, बस इसे सही तरीके से खाना जरूरी है।
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दही खाने का सही तरीका-
गर्मियों में परहेज़ करें। स्नेहा साफ कहती हैं कि गर्म मौसम में दही से बचें ताकि पित्त दोष न बढ़े। इसकी जगह प्राकृतिक रूप से ठंडी चीजें जैसे शर्बत या मटके का पानी पिएं। फ्रिज से निकालकर तुरंत न खाएं। दही को कमरे के तापमान पर आने दें फिर खाएं। ठंडा दही पाचन को धीमा कर देता है और आपकी पाचन अग्नि को भ्रमित करता है।
छाछ बनाकर पिएं। स्नेहा कहती हैं, “प्रोबायोटिक्स बढ़ाने के लिए छाछ बेहतर विकल्प है।” हल्की, मसालेदार और पानी में घुली हुई छाछ पचने में आसान होती है और दोषों के लिए भी अनुकूल है। फलों या मांस के साथ न मिलाएं। गलत फूड कॉम्बिनेशन से पेट फूलना, एसिडिटी या लंबे समय तक पेट की समस्याएं हो सकती हैं। रात को न खाएं। रात के समय दही खाना कंजेशन, धीमा पाचन और नींद की समस्या का कारण बन सकता है।
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दही एक पौष्टिक आहार है लेकिन आयुर्वेद के सिद्धांतों के अनुसार इसका सेवन करना जरूरी है। अंधाधुंध खाने से फायदे की जगह नुकसान हो सकता है। सही समय, सही तरीके से खाएं तो दही के सभी फायदे उठा सकते हैं।



