Aravalli Hills: कुछ समय पहले सुप्रीम कोर्ट ने उस अरावली की पहाड़ी के 100 मीटर से नीचे मौजूद पहाड़ों पर माइनिंग के आदेश दिए, जिसे दिल्ली-एनसीआर का लंग्स कहा जाता है। इसके खिलाफ लोगों ने आंदोलन शुरु कर दिया है, क्योंकि अरावली में सिर्फ 10 प्रतिशत पहाड़ हैं, जो 100 मीटर से ऊंचे हैं। इसका मतलब यह है, कि इसका असर दिल्ली एनसीआर के पर्यावरण पर सीधा पड़ने वाला है। एक तो पहले से ही दिल्ली एनसीआर में पॉल्यूशन अपने चरम पर है, इस फैसले से और ज्यादा बुरा हाल होने वाला है। हालांकि अभी शुरुआत में लोगों को ज़्यादा असर नहीं पड़ेगा। लेकिन धीरे-धीरे इसका असर बुरी तरह से लोगों को प्रभावित करने वाला है। इससे पर्यावरण और लोगों पर क्या-क्या प्रभाव पड़ेगा आईए विस्तार से जानते हैं-
पर्यावरण पर असर-

जैसा की हम जानते हैं, कि अरावली को दिल्ली एनसीआर का लंग्स कहा जाता है। तो अगर लंग्स पर खतरा होगा, तो शरीर तो खुद ही अस्वस्थ हो जाएगा। ऐसा ही कुछ पर्यावरण के साथ भी होने वाला है। क्योंकि इस फैसले के बाद जगह-जगह से पेड़-पौधे काटे जाएंगे, जिससे धूल और वायु प्रदूषण का स्तर बढ़ता जाएगा और क्योंकि अरावली दिल्ली एनसीआर के लोगों को दूसरी ओर से आ रहे धूल कण और रेत से बचाती है, वह सीधे लोगों तक पहुंच जाएंगे। क्योंकि उनके बीच में ये जो ढाल है उसे हटा दिया जाएगा।
जल का स्तर नीचे-

इसके साथ ही इसका सीधा असर ग्राउंड वॉटर पर होने वाला है। इससे ग्राउंड वॉटर का लेवल 15-20 प्रतिशत तक नीचे चला जाएगा। जिससे आने वाले समय में गेहूं और दाल की कीमत 20 प्रतिशत तक बढ़ जाएगी। वहीं दस साल के बाद कई राज्यों में जो छोटी नदिया अरावली की वजह से जिंदा हैं, वह पूरी तरह से सूख जाएंगी। जिससे लोगों को टैंकरों के पानी पर जीवित रहना होगा।
खाद्य पदार्थ की कीमत-

वहीं जब पानी का स्तर नीचे जाएगा, तो इसका सीधा असर फसलों पर पड़ेगा। जिससे आने वाले सालों में आटे दाल की कीमतें आसमान छूएंगी। जिससे आने वाले समय में खाने पीने की चीज़ें सोना-चांदी की तरह एक लग्ज़री आइटम बन जाएंगी।
मौसम पर असर-

जब अरावली की इन पहाड़ियों को हटाया जाएगा, तो इसका असर आपको मौसम पर देखने को मिलेगा। पेड़ों के कटने से तापमान में बढ़ोतरी होगी, जिससे हीट वेव्स आएंगी और टैंप्रेचर 50-52 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाएगा। जिससे आपके लिए बाहर काम करना लगभग नामुमकिन हो जाएगा। जिससे आपको भारते के नॉर्थ साइड को छोड़कर पलायन करना पड़ेगा। क्योंकि आने वाले समय में भारत का नॉर्थ हिस्सा रेगिस्तान में बदल जाएगा और जो भी छोटी नदियां बची होंगी वह भी सूख जाएंगी।
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स्वास्थ्य पर असर-

अरावली की माइंनिंग को दौरान, जो पेड़ काटे जाएंगे, उसकी वजह से हीटवेव आएंगी, जिससे अस्थमा और एलर्जी की संभावनाएं बढ़ जाएंगी। वहीं दस साल के बाद यह स्थिति पूरी तरह से बदल जाएगी। क्योंकि आपका मौसम अब आपके हिसाब से जैसा है वैसा नहीं रहेगा, जो आपके लिए रहने लायक नहीं बचेगा।
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