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    India & Myanmar: मिलिए टोनीई कोन्याक से जो भारत और म्यांमार दोनों देशों में देते हैं वोट

    Last Updated: 23 मार्च 2024

    Author: sumit

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    India & Myanmar: हाल ही में भारत और म्यांमार के बीच फ्री मूवमेंट रेसिंग को बंद करने का फैसला गृह मंत्रालय ने लिया है। इन बदलावों के बीच ही नागालैंड के पूर्वी मोन जिले का एक गांव सबसे अलग है, इस गांव के अंग या मुखिया भारत और म्यांमार दोनों में ही वोट करते हैं। यह प्रभावशाली व्यक्ति सीमा के दोनों और राजनीतिक परिचय को आकार देता है। भारत में म्यांमार की सीमा पर मौजूद लॉन्ग गांव शासन पहचान और भू राजनीति की एक अनूठी कहानी दिखता है। इस कहानी का मेन इंसान कोन्यांक समुदाय का आदिवासी प्रमुख टोनीई कोन्याक है।

    इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक-

    इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, उनका घर दोनों देशों के बीच नाजुक सीमा पर बना हुआ है। उनका बेड रुम भारत में और लिविंग रूम म्यांमार में है और कोन्यांक का डोमेन राजनीतिक सीमाओं को पार करता है। क्योंकि वह म्यांमार में 30 और भारत में 50 गांव पर शासन करता है। जिससे कि एक अद्वितीय क्षेत्राधिकार का मिलान बनता है, जो भारत में म्यांमार सीमा क्षेत्र के लोंगवा के नागरिकों के राजा हैं। उन्होंने बताया कि उनके पास दोनों देशों के वोटर आईडी कार्ड है, उन्होंने इंडिया भारत का अपना आधार कार्ड और दोनों देशों के दो वोटर कार्ड इंडिया टुडे को दिखाए। दरअसल टोनीई कोन्याक की दो पत्नियों समेत गांव के अन्य निवासी भी दोनों देशों में मतदान करते हैं। हालांकि हम इसकी पुष्टि नहीं की है। (India & Myanmar)

    India & Myanmar दोनों क्षेत्रों में कृषि पर निर्भर-

    अब बात करते हैं फ्री मूवमेंट रिज्यूम को खत्म करने के सरकार के इस फैसले की। सरकार के इस फैसले के बीच लोंगवा की नागरिकों के राजा ने भारत की राजनीतिक पार्टी भारतीय जनता पार्टी के प्रति अपना समर्थन व्यक्त किया है। वह लोंगवां के परस्पर जुड़े समुदाय पर इस नीति परिवर्तन के प्रभाव के बारे में चिंतित है। जहां पारिवारिक संबंध अक्सर राष्ट्रीय सीमाओं को पार कर देते हैं। प्रस्तावित नीति परिवर्तन भारतीय और बर्मा दोनों क्षेत्रों में कृषि पर निर्भर क्षेत्र लोंगवा में दैनिक जीवन में महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित कर सकता है। यह भावना दोनों देशों के बीच रहने वाले स्थानीय ग्रामीण द्वारा साझा की जाती है।

    मतदान प्रक्रिया-

    कोनाई के मुताबिक कोणार्क समुदाय एफएमडी के उन्मूलन से प्रभावित होगा। जब उनसे आने वाले भारतीय चुनाव के लिए उनकी मतदान प्रक्रियाओं के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने भाजपा के पक्ष में मतदान करने के अपने इरादे के बारे में बताया इसके बारे में उनका मानना है कि वह क्षेत्र की सबसे प्रमुख पार्टी है। उन्हें अपने गांव के मौजूदा भाजपा प्रत्याशी विधायक से काफी उम्मीदें हैं और सीमा पर केंद्र सरकार द्वारा किसी भी संभावित वार्ड लगाने की पहल के प्रति अपनी अस्वीकृति व्यक्ति और उसने इस तरह की कार्यवाहियों के खिलाफ आग्रह किया। कोन्यांक भारत की ओर से मूल जिले के अंतर्गत 44 फार्मिंग निर्वाचन क्षेत्र और म्यांमार की ओर से योजन लाही टाउनशिप निर्वाचन क्षेत्र का हिस्सा है।

    आधा परिवार भारत में आधा म्यांमार में-

    लोंगवा न्याय के ग्राम परिषद सचिव के मुताबिक, राजनीतिक सीमांकन के बावजूद भी पारिवारिक बंधन भारत और म्यांमार की सीमाओं से परे हैं। वह अपने माता-पिता के साथ गांव के म्यांमार हिस्से में रहते हैं। जबकि उसका भाई भारतीय हिस्से में रहता है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि लोंगवा के ग्रामीण अपनी पहचान भारतीय या बर्मी राष्ट्रीय से नहीं। बल्कि अपने गांव के सदस्य के रूप में करते हैं, उन्होंने यह भी कहा कि गांव में लगभग 180 परिवार दोनों देशों की सीमा पर रहते हैं। परिषद सचिव ने इस बात पर ध्यान डाला कि उन्हें दोनों देशों से लाभ मिलता है। म्यांमार शिक्षा और स्वास्थ्य देखभाल के लिए सुविधा प्रदान करता है, जबकि भारत राशन और पानी की आपूर्ति कर देता है। (India & Myanmar)

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    प्रबंधन भारत सरकार द्वारा-

    म्यांमार के लेह में 2014 में मौजूद एक स्कूल की मेजबानी टाउनशिप मेजबानी करता है, इसके अलावा दो सरकारी संचालित स्कूल हैं। एक प्राथमिक जिसका प्रबंधन भारत सरकार द्वारा किया जाता है। यह संस्थान भारत और म्यांमार दोनों छात्रों को सेवाएं देती है। जिसमें नामांकन काफी हद तक छात्रों के आवासों की स्कूलों से निकटता पर निर्भर करता है। राष्ट्रीय स्पष्ट के बीच अमन, शांति और एकता को बढ़ावा देता है। सीमा के दोनों ओर समुदायों के बीच विभाजन को पटाता है और सद्भाव को बढ़ावा देने के प्रति उनका समर्पण भू राजनीतिक उथल-पुथल के बीच लौंग के निवासियों की दृढ़़ता को उजागर करता है।

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