End of Earth
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    End of Earth: क्या सूर्य बनने वाला है पृथ्वी के विनाश का कारण? कब तक बचेगी हमारी पृथ्वी..

    Last Updated: 22 अगस्त 2024

    Author: sumit

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    End of Earth: हमारा अर्थ हर रोज का एक या दो ऐसे सोलर फ्लेयर्स को एक्सपीरियंस करता है, जिससे निकलने वाली एनर्जी लाखों करोड़ों वोल्कैनिक ईज़िप्शन के बराबर होती है, पर अर्थ के अराउंड मौजूद मैग्नेटिक फील्ड की वजह से यह एनर्जी अर्थ का बाल भी बाका नहीं कर सकते। लेकिन रिसेंटली नासा के अनुसार 2025 में अब तक का स्ट्रांगेस्ट सोलर फ्लेयर अर्थ से टकराने वाला है और यह इतना स्ट्रांग होगा कि उसे निकलने वाली एनर्जी बिलियन न्यूक्लियर बॉन्ब के फटने के बाद जितनी एनर्जी फर्म होती है, उतनी होगी और उस वक्त मैग्नेटिक फील्ड हमें बचा नहीं पाएगी। सो दैट मिंस द सन इस गोइंग टू डिस्ट्रॉय द अर्थ। पर आज से तकरीबन 163 वर्ष पहले ऐसा ही एक्सप्लोज़न अर्थ पर हो चुका है।

    इंटेंस लाइट फ्लैश-

    सन् 1859 1 सितंबर 11:18 सुबह रिचर्ड कैरिंग सन में हो रहे अलग-अलग एक्टिविटीज को ऑब्जर्व कर, रहे थे उसे ऑब्जरवेशन के दौरान अचानक से उनके टेलीस्कोप में इतनी ज्यादा इंटेंस लाइट फ्लैश हुई की 5 मिनट तक उन्हें सब कुछ दिखाई देना बंद हो गया और उन्हें लगा कि शायद कोई कॉमेट फ्लाई हुआ होगा और शायद इसीलिए उन्होंने उस फ्लैश को नजर अंदाज कर दिया, उस पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया। उनकी इसी गलती ने पूरे दुनिया को खतरे में डाल दिया। दरअसल उनकी टेलीस्कोप में कैप्चर हुई लाइट कोई आम लाइट नहीं थी। बल्कि सन से निकला हुआ एक स्ट्रांगेस्ट सोलर फ्लेयर था जो मिलियंस किलोमीटर पर सेकंड की रफ्तार में ऑलरेडी पृथ्वी की ओर आगे बढ़ चुका था।

    चारों तरफ से ब्यूटीफुल औरोरास-

    1859 में यह जैसे मैग्नेटिक फील्ड से टकराया वैसे ही चारों तरफ से ब्यूटीफुल औरोरास ही औरोरास दिखाई देने। आसमान अलग-अलग रंगों से भर गया, लेकिन यह औरोरास तूफान के पहले की शांति की तरह थी। उनकी ब्राइटनेस इतनी ज्यादा थी की रात में ही दिन जैसा नजारा हो गया। यहां तक कि अमेरिका की गोल्ड माइंस में तो उस रात को दिन समझ कर माइनिंग की शुरुआत भी हो गई। जैसे ही यह अर्थ के एटमॉस्फेयर में एंटर हुए वैसे ही सभी इलेक्ट्रिकल अप्लायंसेज, इलेक्ट्रिक ट्रांसफॉमर्स ने आग पकड़ ली। सभी कंपनी और टेलीग्राफ सिस्टम बंद पड़ गए। इलेक्ट्रिकल डिवाइसेज अचानक स्लो हो रहे थे। हाई वोल्टेज करंट की वजह से लोगों को भारी मात्रा में भयंकर शॉक्स लगने लगे।

    30,000 से भी ज्यादा लोगों की जान चली गई-

    जिसकी वजह से हजारों लोगों की जान चली गई, अस्पताल में इलेक्ट्रिसिटी ना होने के कारण 30,000 से भी ज्यादा लोगों की जान चली गई। इन फैक्ट कुछ समय बीतने के बाद करंट फ्लो इतना ज्यादा हो गया था, कि बहुत सी जगह पर तो इलेक्ट्रिकल अप्लायंसेज प्लग्ड ना होने के बावजूद भी बिना इलेक्ट्रिसिटी के अपने आप काम करने लगे और धीरे-धीरे इस तरीके से डिस्ट्रक्शन बढ़ते गया और दुनिया अंधकार में ढाकती चली गई। अब आप यह कहेंगे कि मैंने स्टार्टिंग में यह बोला था कि चारों तरफ बस आग होगी, लेकिन उस लेवल की तबाही तो नहीं हुई। फ्रेंड्स देन लेट मी टेल यू कि ये नुकसान और सोलर फ्लेयर की वजह से जो हुआ था, उस वक्त जो स्टॉर्म आया था, वह इतना स्ट्रांग नहीं था और उस समय टेक्नोलॉजी भी इतनी फैली हुई नहीं थी। इन फैक्ट 1800 में तो इलेक्ट्रिसिटी बस इन्वेंट ही हुई थी।

    सोलर फ्लैयर स्टॉर्म-

    लेकिन अगर मैं प्रजेंट की बात करें तो 87% दुनिया इलेक्ट्रिसिटी पर ही चलती है। चारों ओर छोटे गैजेट से लेकर बड़ी-बड़ी मशीनों तक सब कुछ इलेक्ट्रिसिटी पर ही चलता है और इसके ऊपर जैसे मैंने पहले बताया था कि कैलकुलेशन के अनुसार अभी आने वाला सोलर फ्लैयर स्टॉर्म 1859 के मुकाबले 100 गुना ज्यादा बड़ा होने वाला है। जिसे अगर एनर्जी के टर्म में कैलकुलेट किया जाए, तो हजार गुना ज्यादा इंपैक्ट मतलब एनर्जी के टर्म में कैलकुलेट किया जाए, तो हजार गुना ज्यादा इंपैक्ट मतलब वही टेक्नोलॉजी इस पोटेंशियल से हमारे मौत का कारण बन सकती है। सोलर प्लेस और रेडिएशन की स्टडीज के लिए साइंटिस्ट्स ने एक एडवांस्ड कंपोजिशन एक्सप्लोरर सैटेलाइट को लॉन्च तो किया है, पर जैसे ही वह सैटेलाइट सोलर लेयर कोल्ड डिटेक्ट करेगा और वह इनफॉरमेशन हम तक पहुंच जाएगी।

    पूरे अर्थ को बचाना इंपॉसिबल-

    हमारे पास पृथ्वी को बचाने के लिए सिर्फ और सिर्फ 30 मिनट का समय होगा और इतने कम समय में पूरे अर्थ को बचाना तो इंपॉसिबल है। रीजन कैलकुलेशन के हिसाब से यह रेडिएशन मिनिमम 48 लाख करोड़ किलोमीटर पर सेकंड की स्पीड में अर्थ से टकराने वाला है। जो हर रोज आने वाले नॉर्मल फ्लेयर्स की स्पीड से ज्यागा है, अब कैसे हो रहा है इसे समझने के लिए हमें थोड़ा रिएक्शन और मूवमेंट्स को समझाना पड़ेगा, नाओ लुक एट दिस कंटिनयसली न्यूक्लियर फ्यूजन रिएक्शंस पार्टिकल्स कंटीन्यूअस मूव करते रहते हैं। नो यू टेल फ्लेयर्स के चार्जड पार्टिकल्स का मतलब क्या होता है।

    मैग्नेटिक फील्ड सिंपल फिजिक्स-

    इलेक्ट्रिक करंट इस इक्वल टू मैग्नेटिक फील्ड सिंपल फिजिक्स है यानी सन की मैग्नेटिक फील्ड लाइन बी नॉर्थ टू साउथ ही ट्रैवल करती है। लेकिन इंटेंस ग्रेविटी की वजह से यह मैग्नेटिक लाइंस अपने आप में ही ट्रायंगल का शेप ले लेती है। अब यह नोट्स अपने अंदर मैटर को ट्रैक करके ब्लैक पैचेज क्रिएट करते हैं। जो कुछ इस तरह दिखते हैं। बेसिक टेलीस्कोप शोल्ड बे कैप्चर्ड इट। नॉर्मली होता क्या है कि ट्रैप्ड मैटर कूल डाउन और कंटेंस होने के बाद प्लाज्मा क्लाउड में बारिश के फार्म के सरफेस पर आते हैं। लेकिन कभी कबार कुछ डिस्टरबेंस की वजह से यह अलग हो जाते है और उस वक्त यह नॉट्स किसी बंदूक से छोड़ी गई बुलेट की तरह मैग्नेटाइज प्लाज्मा क्लाउड से सोलर सिस्टम में फायर करता है और यह तभी होता है, जब सन की मैग्नेटिक फील्ड हर 11 साल के बाद खुद को रीऑर्गेनाइज्ड करती है और अपनी पोलैरिटी को चेंज करती है।

    अर्थ इकलौता ऐसा हैबिटेबल प्लेनेट-

    मतलब 11 साल में यह सोलर फ्लेयर्स आती है, पर क्योंकि सोलर सिस्टम में अर्थ इकलौता ऐसा हैबिटेबल प्लेनेट है और इसीलिए हम पर इसका ज्यादा इंपैक्ट दिखाई देता है। पिछली बार यह फ्लेयर्स साल 2014 और अब 11 साल बाद यह प्लेयर्स फिर से एक बार 2025 में टकराने वाले हैं और अब अगर यह सोलर प्लेयर्स आए तो यहां पर हमें सीरियस लॉस हो सकता है। क्योंकि तरफ सबसे पहले इसका सामना होगा अर्थ की मैग्नेटिक फील्ड्स में मौजूद चार्ज पार्टिकल्स से फिर अर्थ के अराउंड ऑर्बिट कर रहे सेटेलाइट की तरफ यह फ्लेयर्स की तरफ आगे बढ़ेगा।

    यह सेटेलाइट से हाई स्पीड से टकराकर सभी सैटेलाइट को डैमेज कर देंगे। अर्थ पर सेटेलाइट की बारिश होने लगेगी। अब इसका अंजाम तो आप समझ ही सकते हो, चलो मान भी लेते हैं कि हम इससे बच गए। तो इससे हाई वोल्टेज करंट सभी छोटे से बड़े इलेक्ट्रिकल अप्लायंसेज को जला के रख देगा। इलेक्ट्रिसिटी आउटेज हो जाएगा और इस इलेक्ट्रिसिटी आउटेज का सबसे पहला इंपैक्ट पड़ेगा पब्लिक ट्रांसपोर्टेशन और लिफ्ट ट्रांसपोर्टेशन पर जो पूरी तरीके से बंद हो जाएंगे।

    ट्रैवल नहीं करना चाहोगे-

    इन फैक्ट हर रोज 325 मिलियन लोग ट्रैवल करते हैं और यह सारा ट्रैवलिंग और ट्रांसपोर्टेशन थम सा जाएगा, इमेजिन करो कितनी एमरजैंसी सर्विसेज इफेक्ट हो जाएगी और नॉट टू फॉरगेट ए वेरी सिली सिनेरियो। बट आप लिफ्ट में ही ट्रैप हो सकते हैं और सफोकेशन से मर भी सकते है। अभी भी यह सुनने के बाद आपके दिमाग में ऐसा ख्याल आ रहा होगा कि हमारे पास तो प्राइवेट व्हीकल है तो फ्रेंड्स जी हां हम सभी के पास प्राइवेट व्हीकल है। लेकिन आप चाह कर भी ट्रैवल नहीं करना चाहोगे। ऐसी हालत हो जाएगी हर जगह के ट्रैफिक सिग्नल्स बंद हो जाएंगे, जिसकी वजह से सभी जगह पर एक्सीडेंट्स को कंट्रोल कर पाना मुश्किल हो जाएगा।

    एमरजैंसी सर्विसेज अवेलेबल नहीं-

    फॉरेन एक्सीडेंटल केसेस के लिए एमरजैंसी सर्विसेज अवेलेबल नहीं होगी। अस्पताल में इलेक्ट्रिसिटी तक नहीं होगा और जो भी लोग अस्पताल में पहले से ही भर्ती होंगे, वो वेंटीलेटर में होंगे। वह सब भी सरवाइव नहीं कर पाएंगे। नॉर्दर्न ग्रेट जो की एक हाईएस्ट वोल्टेज इलेक्ट्रिसिटी ट्रांसमिशन नेटवर्क है, जो 7 स्टेटस को इलेक्ट्रिसिटी प्रोवाइड करता है, वह जब 13 से 14 घंटे के लिए बंद पड़ गया था। तब हॉस्पिटलएस के 12.2% पेशेंट की इमीडिएट डेथ हो गई। पर 2025 का आउटेज तो पूरे एक महीने से भी ज्यादा वक्त ले सकता है और इससे सबसे ज्यादा लॉस होगा। ओवरऑल वर्ल्ड की जीडीपी दुनिया में हर काम के लिए इलेक्ट्रिसिटी यूज़ की जाती है।

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    स्किन कैंसर जैसी बीमारियां-

    अगर हम सिर्फ टॉप फाइव कंट्रीज की बात करें तो आज के तारीख में उन कंट्रीज की टोटल जीडीपी को कितना लॉस होगा। बट लेट में अलसो रिमाइंड यू दिस हम जिंदा ही नहीं बचेंगे। क्योंकि सिमुल्टेनियसली ये सन से आ रहे रेडिएशन का असर पृथ्वी के जीव जंतुओं पर भी देखने को मिलेगा। रेडिएशन की वजह से स्किन कैंसर जैसी बीमारियां होने लगेंगी और साथ ही में इम्यून सिस्टम भी खराब होने लगेंगे। इम्यून सिस्टम वीक होने लगेगा, ह्यूमन बॉडी बैक्टीरिया और वायरस का घर बनने लगेगी, जो एक-एक करके लोगों को बीमारियों की चपेट में ले लेगी और अगेन एमरजैंसी सर्विसेज अवेलेबल नहीं होंगी सो आईटी कैन टर्न इनटू ए बिग कैटास्ट्रोफिक इवेंट। लेकिन क्या सच में ऐसा होगा।

    कई सारे राज़ पर से पर्दा हटा-

    क्योंकि इतिहास में हुए ऐसे ही इनफैक्ट इतने ही स्ट्रांग इवेंट ने तबाही के बजाय अर्थ के कई सारे राज़ पर से पर्दा हटाया है। 774सी में हुए सोलर फ्लेयर एक्सप्लोजन की वजह से एटमॉस्फेयर में कार्बन 14 की मात्रा अचानक से बढ़ गई थी। एक्चुअली होता यह है कि कॉस्मिक में मौजूद न्यूट्रॉनस को अलग कर देते हैं और फिर यह नाइट्रोजन एटम्स के साथ कंबाइन होकर कार्बन 14 में कन्वर्ट हो जाते हैं। उसके बाद यह ऑक्सीजन के साथ कंबाइन होकर कार्बन डाइऑक्साइड प्रोड्यूस करते हैं और यही कार्बन डाइऑक्साइड को अब्जॉर्ब करके प्लांट्स फोटोसिंथेसिस कर पाते।

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    साइंटिस्ट्स का यह कहना है-

    साइंटिस्ट्स का यह कहना है कि अगर कार्बन 14 की मात्रा नहीं बढ़ती तो जीव जिंदा रखने वाले माइक्रोऑर्गेनाइज्म, ह्यूमंस, एनिमल्स और सी क्रिएचर्स कभी भी इवॉल्व भी नहीं होते। सोलर फ्लेयर्स हमें अर्थ के इवोल्यूशन में मदद करते आए है। सो दोस्तों आज की तारीख में आप जितना भी चाहो लेकिन सच बात तो यह है किसी की वजह से आज हम यहां पर जिंदा हैं, दोस्तों क्या आपको ऐसा लगता है कि साइंटिस्ट ऐसा कोई तरीका इजात कर लेंगे, जिसकी वजह से हम सोलर फ्लेयर्स से बच सकते हैं।