Offline Aadhaar Verification: होटल में चेक-इन करते समय या किसी सरकारी दफ्तर में आधार कार्ड की फोटोकॉपी देना अब इतिहास बनने वाला है। यूनीक आइडेंटिफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया यानी UIDAI ने आधार वेरिफिकेशन के नियमों में बड़े बदलाव किए हैं और एक नया डिजिटल आइडेंटिटी डॉक्यूमेंट पेश किया है, जिसे आधार वेरिफाइएबल क्रेडेंशियल यानी AVC कहा जा रहा है। यह बदलाव नौ दिसंबर को गजट में और शुक्रवार को UIDAI की वेबसाइट पर प्रकाशित किए गए।
क्या है आधार वेरिफाइएबल क्रेडेंशियल-
AVC एक डिजिटली साइन किया हुआ डॉक्यूमेंट है, जिसे आधार कार्डधारक अपनी पहचान वेरिफाई करने के लिए शेयर कर सकते हैं, वो भी बिना अपना पूरा आधार नंबर बताए। इसमें आधार नंबर के आखिरी चार अंक, नाम, पता, लिंग, जन्मतिथि और फोटो जैसी जानकारियां होंगी। सबसे खास बात यह है, कि यूजर खुद तय कर सकेंगे, कि उन्हें कौन सी जानकारी किसी संस्था के साथ शेयर करनी है।
UIDAI के एक अधिकारी ने बताया कि नई आधार ऐप में यूजर्स को यह सुविधा मिलेगी, कि वे अपनी मर्जी से चुन सकें, कि उन्हें अपने आधार कार्ड की कौन सी डिटेल्स किसी ऑफलाइन वेरिफिकेशन सीकिंग एंटिटी के साथ शेयर करनी हैं। यह सिस्टम QR कोड वेरिफिकेशन, पेपरलेस ऑफलाइन ई-केवाईसी और ई-आधार वेरिफिकेशन जैसे मौजूदा तरीकों में एक नया विकल्प जोड़ता है।
क्यों जरूरी था यह बदलाव-
आधार कार्ड की फिजिकल कॉपी से जुड़ी कई समस्याएं थीं। UIDAI के सीईओ भुवनेश कुमार ने पहले ही इस बारे में चिंता जताई थी कि जब लोग फिजिकल कॉपी लेते हैं तो अक्सर वेरिफाई नहीं करते। उन्होंने कहा, कि फोटोशॉप के जरिए लोग नाम या फोटो बदलकर किसी और की पहचान अपना सकते हैं। फिजिकल कॉपी पर यह चेक करना मुश्किल होता है, कि वह असली है या नहीं। इलेक्ट्रॉनिक शेयरिंग से टैम्परिंग की संभावना खत्म हो जाएगी और आधार के दुरुपयोग को रोका जा सकेगा।
नई आधार ऐप जनवरी में होगी लॉन्च-
UIDAI ने अपने नियमों में आधार एप्लिकेशन की आधिकारिक परिभाषा भी जोड़ी है। साथ ही पुराने एमआधार ऐप के संदर्भों को हटा दिया गया है। यह इसलिए क्योंकि UIDAI एक नई आधार ऐप लॉन्च करने की तैयारी कर रहा है और मौजूदा एमआधार ऐप को उसमें मर्ज करने की योजना है। नई ऐप फिलहाल टेस्टिंग स्टेज में है।
भुवनेश कुमार ने बताया कि नई आधार ऐप को पहली जनवरी 2026 को बीटा मोड में उपलब्ध कराया जाएगा। ऐप की आधिकारिक लॉन्चिंग 28 जनवरी 2026 को होगी, जो UIDAI डे भी है। यह नई ऐप पेपरलेस इलेक्ट्रॉनिक आईडी शेयरिंग की सुविधा देगी और फिजिकल आधार कार्ड के इस्तेमाल को कम करने में मदद करेगी।
ऑफलाइन फेस वेरिफिकेशन की सुविधा-
नए संशोधन में ऑफलाइन फेस वेरिफिकेशन की परिभाषा भी जोड़ी गई है। इसमें किसी व्यक्ति की लाइव फेस इमेज को आधार ऐप में स्टोर की गई फोटो से मैच किया जाएगा। हालांकि इसके लिए यूजर को पहली बार एक वन-टाइम ऑनलाइन ऑथेंटिकेशन करना होगा UIDAI सर्वर के जरिए। उसके बाद सभी फेस वेरिफिकेशन ऑफलाइन मोड में हो सकेंगे।
संस्थाओं के लिए रजिस्ट्रेशन जरूरी-
नए नियमों के तहत जो भी संस्था ऑफलाइन आधार वेरिफिकेशन करना चाहती है, उसे UIDAI के साथ रजिस्टर करना अनिवार्य होगा। नया रेगुलेशन 13A कहता है, कि पेपरलेस ऑफलाइन ई-केवाईसी या AVC वेरिफिकेशन करने के इच्छुक संस्थानों को UIDAI में आवेदन देना होगा। भुवनेश कुमार ने स्पष्ट किया, कि यह कुछ भी अनिवार्य नहीं बनाता, बल्कि इच्छुक संस्थाओं को फिजिकल कॉपी की जगह इलेक्ट्रॉनिक मोड में वेरिफिकेशन करने की सुविधा देता है।
UIDAI इन संस्थाओं से अतिरिक्त जानकारी मांग सकता है, सबमिशन वेरिफाई कर सकता है और रजिस्ट्रेशन व ट्रांजैक्शन के लिए फीस चार्ज कर सकता है। अगर किसी आवेदन को रिजेक्ट किया जाता है, तो UIDAI को 15 दिनों के भीतर कारण बताना होगा। संस्थाएं 30 दिनों के भीतर पुनर्विचार के लिए भी कह सकती हैं।
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दुरुपयोग पर सख्त कार्रवाई-
नए संशोधनों में UIDAI को उन संस्थाओं के खिलाफ कार्रवाई करने का अधिकार दिया गया है, जो ऑफलाइन वेरिफिकेशन का दुरुपयोग करती हैं या प्रक्रियाओं का पालन नहीं करतीं। अगर कोई संस्था UIDAI के निर्देशों का पालन नहीं करती, गैरकानूनी उद्देश्यों के लिए वेरिफिकेशन का इस्तेमाल करती है, जरूरी जानकारी नहीं देती या ऑडिट में सहयोग नहीं करती तो उस पर पेनल्टी लगाई जा सकती है।
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यह बदलाव आधार सिस्टम को और सुरक्षित और यूजर-फ्रेंडली बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है। अब लोगों को हर जगह अपने आधार कार्ड की फोटोकॉपी देने की जरूरत नहीं होगी और उनकी निजी जानकारी ज्यादा सुरक्षित रहेगी।



