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    Sundial: बिहार के इस जिले में है 164 साल पुरानी धूप घड़ी, आज भी बताती है समय

    Last Updated: 21 जून 2023

    Author: sumit

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    Sundial: पुराने समय में जब घड़ियों का आविष्कार नहीं हुआ था, तब लोग समय देखने के लिए धूप की घड़ी का इस्तेमाल किया करते थे। घड़ियों का सबसे ज्यादा इस्तेमाल मिश्र की सभ्यता में किया जाता था, जैसे-जैसे समय बीतता गया घड़ियों का रूप भी बदलता गया। नई-नई तकनीकों से वैज्ञानिकों ने घड़ियां बनाई, लेकिन आज भी पहले बनी धूप की घड़ियों का महत्व कम नहीं हुआ। बिहार के गया जिले में स्थित विष्णुपद मंदिर में लगभग 164 साल पहले स्थापित की गई घड़ी आज भी मौजूद है और अभी भी सही समय बताती है।

    पंडित छोटे लाल भैया ने स्थापित किया-

    ऐसा माना जाता है कि विष्णुपद मंदिर परिसर में इस धूप की घड़ी को 164 साल पहले पंडित छोटे लाल भैया ने स्थापित किया था। तब से यह लोगों को सही समय बताती आ रही है, उन दिनों भगवान विष्णु को धूप घड़ी से समय देखकर ही भोग लगाया जाता था, यह अद्भुत घड़ी बिना बैटरी व कांटे के सही समय बताती है।

    3 फीट ऊंचाई पर मौजूद-

    हालांकि धूप घड़ी को देखने का अलग तरीका होता है, जैसे-जैसे आसमान में सूरज पूरब से पश्चिम की तरफ जाता है, उसी तरफ किसी वस्तु की छाया पश्चिम से पूरब की तरफ चली जाती है। सूर्य लाइनों वाली सतह पर छाया डालती है जिससे समय और दिन के घंटे का पता चलता है, जमीन से 3 फीट ऊंचाई पर मौजूद गोलाकार आकार में एक पाया स्थापित किया गया है, पाए के ऊपर का हिस्सा मेटल का है इस पर नंबर लिखे हैं जो सूरज की रोशनी के मुताबिक समय बताते हैं।

    धूप की घड़ी (Sundial) का मेटल-

    पिछले साल पितृपक्ष मेले के दौरान धूप की घड़ी का मेटल टूट गया था, जिसके कारण इसने काम करना बंद कर दिया था। लेकिन विशेषज्ञ कार्यक्रम (expert program) की मदद से पिछले महीने इसको ठीक करवा लिया गया, प्रसिद्ध मंदिर विष्णुपद में 164 साल पुरानी धूप घड़ी फिर से चलने लगी। वह अब भी सटीक समय बताती हैं श्रद्धालु इस घड़ी के प्रति भी अपनी पूरी आस्था रखते हैं, श्रद्धालु ना सिर्फ इससे समय देखते हैं बल्कि बहुत से लोग इसकी पूजा भी करते हैं, लेकिन अब इसे शीशे में पूरी तरह से पैक कर दिया गया है।

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    समिति अध्यक्ष शंभू लाल विट्ठल-

    मंदिर के समिति अध्यक्ष शंभू लाल विट्ठल का कहना है कि यहां लगी सूर्य घड़ी काफी पुरानी है, यह पंडित छोटेलाल भैया द्वारा स्थापित की गई थी। उन दिनों घड़ी का आविष्कार नहीं हुआ था तब यहां पर सूर्य घड़ी को स्थापित किया गया था, यह घड़ी बहुत प्राचीन है, लेकिन अभी भी सही समय बताती है, इस घड़ी पर जब धूप पड़ती है तो यह समय बताती है सूर्य के अस्त होने के बाद यह काम करना बंद कर देती है।

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