Lok Sabha Election: भारत में लोकसभा चुनाव शुरू हो चुके हैं और हर पार्टी अपने चुनाव प्रचार के लिए पानी की तरह पैसे बहा रही हैं। 31 मार्च से 19 अप्रैल के 30 दिनों में सिर्फ चार पार्टियों ने ही गूगल और मेटा पर विज्ञापन देने के लिए 7.5 करोड रुपए का खर्च कर दिए। यानी कि गूगल और फेसबुक पर विज्ञापन के लिए रोजाना 2 करोड रुपए दिए जा रहे थे। बीजेपी ने रोज़ 92 लाख, तो कांग्रेस ने 107 लाख रुपए का प्रचार गूगल और मेट से करवाया है। इस रकम में अलग-अलग वेबसाइटों के जरिए पार्टी के प्रचार को गूगल और मेटा पर चलाया जाएगा।
Lok Sabha Election में जोरों शोरों से प्रचार-
इसके साथ ही अभी चुनाव और बाकी है और अभी भी सभी पार्टियों जोरों शोरों से अपने प्रचार में लगी है तो यह आंकड़ा और ज्यादा भी बढ़ सकता है। सेंटर मैटर एंड लाइब्रेरी एसडीएस प्रोफेसर संजय कुमार और दो अन्य लेखकों द्वारा भारतीय चुनावी तंत्र में खर्च की असमानता विषय पर लिखे गए एक लेख में बताया गया है कि चुनाव में प्रचार के लिए इतने पैसे खर्च करना गंभीर समस्या बनता जा रहा है। साल 2019 में भी लोकसभा चुनाव में सिर्फ भाजपा और कांग्रेस के प्रचार के लिए कुल खर्च 105 करोड़ से भी ज्यादा आया था।
2019 में Lok Sabha Election का खर्चा-
प्रतिनिधित्व कानून 1921 के तहत उम्मीदवार के खर्च की कीमत सीमित है, लेकिन पर्टियों पर सीधे खर्च करने या फिर थर्ड पार्टी के जरीए खर्च करने पर कोई पाबंदी नहीं लगाई गई है। सेंटर फॉर मीडिया स्टडी के अध्यक्ष और भास्कर राव के अनुमान के मुताबिक, साल 2019 में लोकसभा चुनाव में प्रचार के लिए कुल 60,000 करोड रुपए का खर्चा आया था। लेकिन साल 2024 के चुनाव में यह खर्च और बढ़कर 1.35 लाख करोड रुपए तक पहुंच सकता है। यह पिछले चुनाव की रकम से बहुत ज्यादा है।
दुनिया में बहुत से ऐसे देश-
पूरी दुनिया में चुनाव के खर्चों की बात की जाए तो दुनिया में बहुत से ऐसे देश हैं, जिन्होंने चुनाव की पार्टियों द्वारा किए जाने वाले खर्च की सीमा को तय कर रखा है। लेकिन भारत में ऐसा नहीं है जिसके चलते ही यह खर्च लगातार बढ़ता जाता है। भारत में साल 1952 में पहले चुनाव में 10.5 करोड रुपए का खर्चा आया था, जो कि साल 2014 तक 38.70 करोड़ तक पहुंच गया था और राव के मुताबिक, पहले उन्होंने साल 2024 के चुनाव में 1.20 लाख करोड़ रुपए खर्च करने का अनुमान लगाया था।
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इलेक्टोरल बॉन्ड का डाटा-
लेकिन इसके बाद जब इलेक्टोरल बॉन्ड का डाटा आया और उसे सार्वजनिक किया गया, तो उन्होंने अपने इस अनुमान में संशोधन किया। जिसके बाद ही बताया गया कि यह खर्चा 1.25 लाख करोड रुपए तक जा सकता है। इसमें चुनाव से जुड़े सारे खर्च शामिल हैं और इसमें चुनाव की घोषणा से तीन-चार महीने पहले किए गए खर्च का भी आकलन शामिल है। इस आकलन के हिसाब से प्रति वोटर 1400 रुपए का खर्चा आता है। द् इकोनॉमिक्स के मुताबिक इतना पैसा दुनिया के किसी देश में चुनाव में नहीं खर्च किया जाता।
2024 के लोकसभा चुनाव के खर्च-
वहीं सीएमएस की रिपोर्ट के मुताबिक साल 2019 में कुल खर्च का करीब 45% अकेले बीजेपी ने ही किया था। इसके साथ ही अब अनुमान लगाया जा रहा है कि साल 2024 के लोकसभा चुनाव के खर्चों में भाजपा की हिस्सेदारी और ज्यादा बढ़ाने वाली है। ध्यान देने वाली बात यह है कि लोकसभा चुनाव में चुनाव प्रचार के लिए पार्टियों द्वारा खर्च किए जाने वाले पैसों की नियमित सीमा निर्धारित करनी चाहिए। जिससे कि फिजूल खर्ची को काम किया जा सके और सभी पार्टियां सीमित रहकर अपनी पार्टी का प्रचार करें जैसा कई देशों में होता है।
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