WhatsApp: सोमवार 18 नवंबर को CCI (भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग) ने WhatsApp की 2021 की प्राइवेसी पॉलिसी अपडेट की जांच पूरी की और मैसेजिंग एप WhatsApp पर 213 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया। इसके साथ ही अगले 3 महीने के अंदर कुछ बदलाव लागू करने के भी आदेश दिए हैं। अपनी जांच में CCI ने माना है, कि 156 पन्नों के फैसले में व्हाट्सएप में ओवर द टॉप मैसेजिंग मार्केट में अपने प्रभुत्व (Dominance) का गलत इस्तेमाल करके यूजर्स पर कुछ चीज़ों को थोपा है। यह जांच इस बात पर केंद्रित थी, कि व्हाट्सएप की प्राइवेसी पॉलिसी अपडेट को लागू कैसे किया गया है। जिसकी वजह से मेटा के स्वामित्व वाले प्लेटफार्म जैसे इंस्टाग्राम और फेसबुक के साथ उनके यूजर्स के डाटा को शेयर करना पड़ा। इस पर मेटा ने जवाब देते हुए कहा, कि वह CCI के आदेश से सहमत नहीं हैं और वह इस पर अपील करने की योजना बना रहे है।
WhatsApp की प्राइवेसी पॉलिसी-
कंपनी ने एक बयान में कहा, कि साल 2021 के अपडेट में लोगों के पर्सनल मैसेज की प्राइवेसी को नहीं बदला और उसे यूजर्स के लिए एक ऑप्शन के रूप में पेश किया गया था। हमने यह भी सुनिश्चित किया है, कि इस अपडेट की वजह से किसी का अकाउंट डिलीट ना हो या व्हाट्सएप में सेव काम खत्म ना हो जाएं। दरअसल बात यह है कि जनवरी 2021 से भारत में WhatsApp यूजर्स को एक नोटिफिकेशन मिलना शुरू हो गया। जिसमें उन्हें एक महीने के समय में प्लेटफार्म की प्राइवेसी पॉलिसी से सहमत होने के लिए कहा गया। प्राइवेसी पॉलिसी में मेन बदलाव यह था, कि आगे बढ़ते हुए व्हाट्सएप बिजनेस पर ग्राहक अपने काम को मैनेज करने में करने के लिए हमारी मूल कंपनी फेसबुक से होस्टिंग सेवाओं की मदद ले सकते हैं।
फेसबुक होस्टेड सेवाओं का इस्तेमाल (WhatsApp)-
आसान शब्दों में कहें, तो यूजर्स को ग्राहकों के साथ अपने व्हाट्सएप चैट को सुरक्षित रखने और मैनेज करने के लिए बिज़नेस को फेसबुक होस्टेड सेवाओं का इस्तेमाल करने की परमिशन देनी थी। इसका मतलब यह था, कि जब कोई यूजर व्हाट्सएप पर किसी भी बिजनेस के मैसेज भेजता है, तो फेसबुक बिजनेस की ओर से उस मैसेज को संभाल सकता है। हालांकि फेसबुक ने कहा, कि वह यूजर्स को व्यक्तिगत विज्ञापन दिखाने के लिए इन चैट का ऑटोमैटिकली इस्तेमाल नहीं करेगा। फिर भी कुछ बिज़नेस अकाउंट ऐसा करने में सक्षम होंगे। व्हाट्सएप की प्राइवेसी पॉलिसी ने और ज्यादा विवाद को जन्म दे दिया। क्योंकि उसने पहली बार यूजर्स को इस बात के बारे में बताया, कि यह असल में कितना मेटा डाटा इकट्ठा करता है। जिसमें बैटरी और सिंगल चार्ज की स्थिति जैसी जानकारी शामिल है।
प्राइवेसी पॉलिसी जांच-
हालांकि CCI ने अपने आदेश में जिस हिस्से की जांच की है, उसमें कंपनी का नियम है, कि जो यूज़र WhatsApp की प्राइवेसी पॉलिसी से सहमत नहीं है, वह प्लेटफार्म का पूरी तरह से इस्तेमाल नहीं कर पाएंगे। काफी विरोध के बाद व्हाट्सएप ने अपनी प्राइवेसी पॉलिसी को स्वीकार करने की समय सीमा 2021 तक बढ़ा दी थी। मार्च 2021 में सीसीआई ने खुद संज्ञान लिया और प्लेटफार्म की प्राइवेसी पॉलिसी जांच शुरु की। सार्वजनिक रूप से मिली सामग्री के साथ-साथ एक व्यक्ति और दिल्ली में मौजूद डिजिटल अधिकारी वकालत समूह इंटरनेट फ्रीडम फाउंडेशन द्वारा दर्ज की गई, शिकायतों के आधार पर सीसीआई ने पाया की पॉलिसी में परिवर्तन ने प्रतिस्पर्धा अधिनियम 2002 की धारा 4 का उल्लंघन किया था।
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सीसीआई की जांच को खारिज करने की कोशिश-
व्हाट्सएप अपनी प्राइवेसी पॉलिसी को लागू करने में यूजर्स के आधार पर अनुचित भेदभाव करता है। क्योंकि प्राइवेसी पॉलिसी के लिए यूजर्स की सहमति नहीं थी। व्हाट्सएप का यह रवैया उसकी प्रमुख स्थिति का दुरुपयोग है और इसका व्हाट्सएप के मजबूत नेटवर्क के प्रभावों से सीधा संबंध है। सीसीआई की जांच को खारिज करने की कोशिश में व्हाट्सएप और मेटा ने दिल्ली उच्च न्यायालय में याचिका दायर की। उन्होंने तर्क दिया है कि कार्यवाही शुरू करने में जल्दबाजी की है। हालांकि उच्च न्यायालय ने इसे खारिज कर दिया है। दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देते हुए मेटा और व्हाट्सएप सुप्रीम कोर्ट गए। जिसने उनकी अपील खारिज कर दिया और सीसीआई जांच जारी रखने की अनुमति दी। वहीं इसके अलावा और सुप्रीम कोर्ट ने मैसेजिंग एप को अखबारों में विज्ञापन देने का आदेश दिया। जिसमें यूजर्स को सूचित किया गया, कि उन्हें इसकी 2021 की प्राइवेसी पॉलिसी अपडेट को स्वीकार करने की जरूरत नहीं है।
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