Delhi School Hybrid Mode: दिल्ली में प्रदूषण ने एक बार फिर खतरनाक स्तर पार कर लिया है और इसी को देखते हुए राजधानी के सभी स्कूलों में सोमवार से कक्षा 9 और 11 तक के छात्रों के लिए हाइब्रिड मोड में पढ़ाई शुरू होगी। स्कूल शिक्षा निदेशालय ने एक आधिकारिक आदेश जारी करते हुए यह फैसला लिया है, जो ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान के स्टेज-4 प्रतिबंधों के तहत आया है। यह कदम बच्चों को जहरीली हवा से बचाने और उनकी पढ़ाई को जारी रखने के बीच संतुलन बनाने की कोशिश है।
वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने 13 दिसंबर को जब दिल्ली का एयर क्वालिटी इंडेक्स सीवियर प्लस श्रेणी को पार कर गया, तब GRAP के चौथे चरण को लागू कर दिया। इस फैसले के बाद स्कूलों को तुरंत प्रभाव से हाइब्रिड व्यवस्था लागू करने का निर्देश दिया गया है जो तब तक जारी रहेगा, जब तक कोई नया आदेश नहीं आता।
पैरेंट्स और बच्चों के हाथ में रहेगा विकल्प-
हाइब्रिड मॉडल के तहत स्कूलों को फिजिकल और ऑनलाइन दोनों तरह की क्लासेज चलाने की अनुमति है, जहां ऑनलाइन शिक्षा संभव हो। स्कूल शिक्षा निदेशालय ने स्पष्ट किया है, कि ऑनलाइन क्लासेज में भाग लेने का विकल्प पूरी तरह से छात्रों और उनके माता-पिता या अभिभावकों के हाथ में रहेगा। यानी अगर कोई परिवार चाहे तो अपने बच्चे को घर से ही पढ़ा सकता है और अगर कोई स्कूल भेजना चाहे, तो वह भी भेज सकता है।
यह निर्देश दिल्ली शिक्षा निदेशालय के अधीन सभी सरकारी, सरकारी सहायता प्राप्त और मान्यता प्राप्त निजी स्कूलों पर लागू होता है। साथ ही NDMC, MCD और दिल्ली कैंटोनमेंट बोर्ड द्वारा संचालित स्कूल भी इसमें शामिल हैं। स्कूल प्रमुखों को निर्देश दिया गया है, कि वे इस बदलाव के बारे में माता-पिता और अभिभावकों को तुरंत सूचित करें।
GRAP स्टेज-4 में क्या-क्या प्रतिबंध-
GRAP का चौथा चरण तब लागू होता है जब एयर क्वालिटी इंडेक्स 450 से ऊपर चला जाता है। आयोग ने कहा, कि ये उपाय दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में वायु गुणवत्ता की और गिरावट को रोकने के लिए जरूरी थे। इस चरण के तहत अधिकारी आमतौर पर आपातकालीन प्रतिबंध लगाते हैं, जिनमें अधिकांश निर्माण और विध्वंस गतिविधियों पर प्रतिबंध, दिल्ली में गैर-जरूरी डीजल ट्रकों के प्रवेश पर रोक, कुछ श्रेणियों के वाहनों पर पाबंदी शामिल हैं।
साथ ही दफ्तरों को वर्क फ्रॉम होम या अलग-अलग समय पर काम करने की सलाह दी जाती है ताकि भीड़ कम हो सके। बाहरी गतिविधियों को हतोत्साहित किया जाता है, खासकर बच्चों, बुजुर्गों और श्वसन संबंधी समस्याओं वाले लोगों के लिए। यह सभी कदम एक साथ मिलकर प्रदूषण को नियंत्रित करने की कोशिश करते हैं।
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बच्चों की सेहत है सबसे बड़ी चिंता-
हाइब्रिड स्कूलिंग की ओर यह बदलाव मुख्य रूप से छात्रों को खतरनाक हवा के संपर्क से बचाने के उद्देश्य से किया गया है, जबकि शैक्षणिक गतिविधियों की निरंतरता भी सुनिश्चित की जा सके। प्रदूषण का स्तर गंभीर श्रेणी में बना हुआ है और बच्चों के स्वास्थ्य को लेकर माता-पिता भी चिंतित हैं। इस फैसले से कम से कम उन परिवारों को राहत मिलेगी, जो अपने बच्चों को इस जहरीली हवा में बाहर नहीं भेजना चाहते।
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