Sinking Cities
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    Sinking Cities: दुनियाभर के शहर आज एक बड़ी पर्यावरणीय चुनौती का सामना कर रहे हैं। भूजल निकासी, तेजी से हो रहे निर्माण और क्लाइमेट से जुड़े दबावों के कारण कई बड़े शहर उम्मीद से भी तेज रफ्तार से जमीन में धंस रहे हैं। इन शहरों में बड़ी आबादी रहती है और यहां हॉरिजॉन्टली फैलने की जगह बहुत सीमित है। जैसे-जैसे जमीन धंस रही है और समुद्र का स्तर बढ़ रहा है, बाढ़ का खतरा भी बढ़ता जा रहा है।

    एशिया के शहरों पर सबसे ज्यादा खतरा-

    जकार्ता, इंडोनेशिया की राजधानी, दुनिया के सबसे तेजी से डूबने वाले शहरों में से एक है। शहर के कुछ हिस्से हर साल 20 सेंटीमीटर से ज्यादा धंस रहे हैं। भारी मात्रा में ग्राउंडवॉटर एक्सट्रैक्शन ने शहर के नीचे की मिट्टी को कमजोर कर दिया है। इस लंबे समय के रिस्क को देखते हुए, सरकार ने राजधानी को एक नए शहर नुसांतारा में शिफ्ट करने की योजना बनाई है।

    मेक्सिको सिटी भी इसी समस्या से जूझ रहा है। यह शहर एक सूखी हुई झील की जमीन पर बसा है और कुछ जोन में हर साल 30 सेंटीमीटर तक धंस रहा है। ढाका, बांग्लादेश की राजधानी, जनसंख्या वृद्धि, अनियोजित निर्माण और पानी की निकासी के दबाव में है। बैंकॉक में भी यही स्थिति है, जहां तेजी से विस्तार और ग्राउंडवॉटर पंपिंग ने जमीन को कमजोर कर दिया है।

    यूरोप और अमेरिका भी नहीं बचे-

    इटली का वेनिस दशकों से धंस रहा है। यह शहर लकड़ी के खंभों पर बना है जो नरम जमीन में गाड़े गए हैं। समुद्र का बढ़ता स्तर बाढ़ के खतरे को और बढ़ा रहा है। वेनिस ने मोसे प्रोजेक्ट के तहत बैरियर्स इंस्टॉल किए हैं, लेकिन लॉन्ग टर्म सब्सिडेंस अभी भी चिंता का विषय है। अमेरिका का न्यू ऑरलियन्स भी धंस रहा है, क्योंकि शहर के कुछ हिस्से वेटलैंड्स पर बनाए गए थे। सी-लेवल राइज और कोस्टल लुइसियाना में जमीन के नुकसान ने दबाव और बढ़ा दिया है।

    एशियाई महानगरों में बढ़ता संकट-

    शंघाई, चीन में तेजी से हुआ निर्माण नरम जमीन पर भारी वजन डाल रहा है। हालांकि सरकारी रेगुलेशन ने डूबने की रफ्तार को धीमा किया है, लेकिन चुनौती अभी भी बनी हुई है। नाइजीरिया का लागोस, फिलीपींस का मनीला और वियतनाम का हो ची मिन्ह सिटी भी ग्राउंडवॉटर निकासी, तेज शहरीकरण और अनियंत्रित निर्माण के कारण इस समस्या का सामना कर रहे हैं।

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    ये दस शहर एक ग्लोबल समस्या को दर्शाते हैं। जैसे-जैसे आबादी बढ़ रही है और शहरी दबाव बढ़ रहे हैं और भी कई शहरों को इसी तरह के खतरों का सामना करना पड़ सकता है। पॉलिसीमेकर्स अब मानते हैं, कि धंसती जमीन केवल एक एनवायर्नमेंटल इश्यू नहीं बल्कि एक प्लानिंग चैलेंज है, जो हाउसिंग, ट्रांसपोर्ट और इकोनॉमिक स्टेबिलिटी को प्रभावित करता है।

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