China-US War: दुनिया के दो सबसे शक्तिशाली अर्थव्यवस्थाओं के बीच का यह संघर्ष सिर्फ एक साधारण व्यापारिक विवाद नहीं है। यह एक जटिल राजनीतिक खेल है, जिसमें हर कदम एक बड़ी रणनीति का हिस्सा लगता है। फेंटानील - एक खतरनाक ड्रग जो अमेरिका में लाखों लोगों की जान ले चुका है - अब दोनों देशों के बीच एक राजनयिक युद्ध का केंद्र बिंदु बन गया है।
China-US War एक वैश्विक स्वास्थ्य संकट-
फेंटानील एक सिंथेटिक ओपिओइड है जो अत्यधिक लत और मृत्यु का कारण बनता है। अमेरिका में पिछले कुछ वर्षों में इससे होने वाली मौतों में भारी वृद्धि हुई है। 2021 में, लगभग 71,000 अमेरिकी नागरिकों ने इस ड्रग के कारण अपनी जान गंवाई, जो कि एक चिंताजनक आंकड़ा है।
If the U.S. truly wants to solve the #fentanyl issue, then the right thing to do is to consult with China by treating each other as equals.
If war is what the U.S. wants, be it a tariff war, a trade war or any other type of war, we’re ready to fight till the end. https://t.co/crPhO02fFE
— Chinese Embassy in US (@ChineseEmbinUS) March 5, 2025
China-US War सफाई और चुनौती-
चीनी दूतावास ने अपने बयान में स्पष्ट किया है कि वे अमेरिका के आरोपों को पूरी तरह से खारिज करते हैं। उनका कहना है कि चीन ने फेंटानील के उत्पादन और तस्करी रोकने के लिए कई ठोस कदम उठाए हैं। दूतावास के शब्दों में, "हमने मानवीय भावना से अमेरिका की मदद की है, लेकिन अमेरिका हमें दोषी ठहराने और दबाव डालने की कोशिश कर रहा है।"
टैरिफ का हथियार-
ट्रंप प्रशासन ने चीनी सामानों पर पहले से मौजूद 10 प्रतिशत टैरिफ के ऊपर अतिरिक्त 10 प्रतिशत टैरिफ लगा दिया है। यह कदम न केवल चीन, बल्कि कनाडा और मैक्सिको पर भी लागू किया गया है। इन देशों पर आरोप है कि वे फेंटानील के प्रवाह को रोकने में पर्याप्त प्रयास नहीं कर रहे हैं।
एक जटिल गणित-
विश्लेषकों का अनुमान है कि ये टैरिफ करीब 2.2 ट्रिलियन डॉलर के वार्षिक व्यापार को प्रभावित कर सकते हैं। इसका सीधा असर अमेरिकी उपभोक्ताओं पर पड़ेगा, जो पहले से ही मुद्रास्फीति की मार झेल रहे हैं। उपभोक्ता सामानों की कीमतें बढ़ सकती हैं, जिससे आम नागरिकों की जेब पर बोझ पड़ेगा।
राजनयिक खेल-
यह विवाद केवल व्यापारिक नहीं, बल्कि एक बड़ा राजनयिक शतरंज है। चीन स्पष्ट संदेश दे रहा है कि वह किसी भी तरह के दबाव या धमकी के सामने झुकने को तैयार नहीं है। अमेरिका का लक्ष्य चीन को कमजोर दिखाना और अपनी वैश्विक प्रभुत्व को बरकरार रखना प्रतीत होता है।
ट्रंप का बयान-
कांग्रेस में अपने भाषण में ट्रंप ने साफ शब्दों में कहा, "अन्य देशों ने दशकों से हमारे खिलाफ टैरिफ का इस्तेमाल किया है, और अब हमारी बारी है।" उन्होंने भारत, दक्षिण कोरिया, यूरोपीय संघ और चीन सहित कई देशों पर व्यापारिक असंतुलन का आरोप लगाया।
वैश्विक प्रभाव-
यह विवाद सिर्फ दो देशों तक सीमित नहीं है। इसका असर वैश्विक अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा। व्यापार संगठनों और अर्थशास्त्रियों का मानना है कि यह तनाव वैश्विक आर्थिक स्थिरता को प्रभावित कर सकता है।
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अनिश्चित भविष्य-
स्पष्ट है कि चीन-अमेरिका के बीच तनाव एक नए मोड़ पर है। दोनों देश एक-दूसरे को कमजोर दिखाने में लगे हुए हैं। फेंटानील विवाद अब केवल एक स्वास्थ्य मुद्दा नहीं, बल्कि एक जटिल राजनयिक संघर्ष बन गया है। आने वाले समय में इस विवाद का क्या असर होगा, यह देखना दिलचस्प होगा। क्या दोनों देश बातचीत के माध्यम से समझौता कर पाएंगे, या फिर यह तनाव और बढ़ेगा यह समय ही बताएगा।
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