Ganesh Chaturthi 2024
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    Ganesh Chaturthi 2024: कब है गणेश चतुर्थी? यहां जानें तारीख, शुभ मुहुर्त..

    Last Updated: 29 अगस्त 2024

    Author: sumit

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    Ganesh Chaturthi 2024: हर साल हिंदू पौराणिक कथाओं के मुताबिक, गौरी पुत्र गणेश अपने भक्तों के बीच रहने आते हैं और उनके दुखों को दूर करने के लिए 10 दिनों के लिए कैलाश से धरती पर उतरते हैं। इस त्यौहार को गणेश चतुर्थी के नाम से जाना जाता है। जिसे सभी भक्त बड़ी धूमधाम से मनाते हैं। गणेश चतुर्थी भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चौथे दिन मनाई जाती है। इस दिन भव्य पंडाम, मंहप और घरों में गणेश जी की मूर्ति की स्थापना की जाती है, जहां पर भव्य सजावट और जुलूस का आयोजन होता है। इस साल गणेश चुतुर्थी कब है, तारिख और शुभ महुर्त क्या है, साथ ही यह त्योहार कब से और क्यों मनाया जाता है, आईए इस बारे में विस्तार से जानते हैं-

    तारिख और शुभ महुर्त-

    सबसे पहली बात करते हैं तिथि की, इस साल गणेश चतुर्थी 7 सितंबर 2024 को मनाए जाने वाली है। यह 10 दिवसीय उत्सव 7 सितंबर से शुरू होकर 17 सितंबर 2024 पर गणेश प्रतिमा के विसर्जन के साथ समाप्त हो जाएगा। पंचांग के मुताबिक, भाद्रपद माह में शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि 6 सितंबर 2024 की दोपहर 3:30 बजे शुरू होगी और 7 सितंबर 2024 को शाम 5:37 बजे समाप्त हो जाएगी। वहीं मध्य गणेश पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 11:10 से दोपहर 11:39 बजे तक रहेगा, यानी 2 घंटे 29 मिनट तक यह शुभ मुहूर्त चलेगा

    गणेश जी की जयंती-

    वहीं गणेश विसर्जन 17 सितंबर को होगा। चंद्रमा से बचने का समय सुबह 9:28 बजे से रात 8:59 करेगा, शुभ मुहुर्त के दौरान आपको भगवान गणेश को पूरे सम्मान, खुशी और पारंपरिक गीत के साथ अपने घर लाना चाहिए और अच्छे से अनुष्ठान करना चाहिए। पुराणों की मानें तो गणेश चतुर्थी भगवान शिव और देवी पार्वती के पुत्र गणेश जी की जयंती है और 10 दिनों तक गणेश जी का उत्सव मनाए जाने के लिए उचित पूजा और अनुष्ठान करना शामिल है।

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    महाभारत लिखने के लिए आमंत्रित-

    इसके बारे में ऐसा माना जाता है कि इससे व्यक्ति की इच्छाएं पूरी होती हैं। इसके अलावा एक पौराणिक कथा है कि ऋषि व्यास ने गणेश को महाभारत लिखने के लिए आमंत्रित किया था। गणेश जी ने 10 दिनों तक लगातार लिखा और इतिहास के व्यास ने पाठ किया। जिसकी वजह से गणेश जी पर धूल की तरह एक परत जम गई। इस कार्य के पूरा होने के बाद गणेश जी ने दूसरे दिन सरस्वती नदी में स्नान किया। उसके बाद 10 दिनों तक गणेश उत्सव मनाने की परंपरा शुरू हुई।

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