Drink Tea
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    Drink Tea: भारतीय घरों में सुबह की शुरुआत इलायची, लौंग और अदरक की खुशबू से भरी चाय के साथ होती है। यह सिर्फ एक पेय नहीं, बल्कि हमारी संस्कृति का अहम हिस्सा है। चाय हमारी भावनाओं से जुड़ी है, आराम देती है और रोजमर्रा की जिंदगी का अभिन्न अंग बन गई है। यह लोगों को जोड़ती है और गर्मजोशी, मेहमानदारी और एकजुटता का प्रतीक है।

    हर घर में चाय का अपना अलग अंदाज है। कहीं मसाला चाय की महक है, तो कहीं अदरक वाली चाय का स्वाद। लेकिन जब रोज की चाय तीन-चार कप से ज्यादा हो जाए, तो यह सोचने की बात है कि कहीं हम जरूरत से ज्यादा तो नहीं पी रहे।

    मशहूर पोषण विशेषज्ञ की राय-

    द् डेली जागरण के मुताबिक, प्रसिद्ध पोषण विशेषज्ञ रुजुता दिवेकर, जो पारंपरिक सेहत की प्रबल समर्थक हैं, का कहना है कि संयम ही मुख्य बात है। हाल ही में लल्लनटॉप के साथ एक बातचीत में उन्होंने इस पुराने सवाल का जवाब दिया कि कितनी चाय पीना बहुत ज्यादा है। उनका मानना है कि चाय के लिए बेशर्त प्रेम तो समझ में आता है, लेकिन संतुलन बनाना जरूरी है ताकि हम इसके फायदे उठा सकें और अधिक सेवन से बच सकें।

    दिन में कितनी चाय पीना है सही?

    रुजुता दिवेकर सुझाती हैं कि जो लोग नियमित दिनचर्या का पालन करते हैं, उन्हें रोजाना की चाय दो से तीन कप तक सीमित करना चाहिए। उनके शब्दों में, “अगर आप routine type इंसान हैं तो आपको दो-तीन कप से ज्यादा नहीं पीना चाहिए।” इससे ज्यादा पीना सेहत के लिए हानिकारक हो सकता है।

    चाय के लाभ पाने के लिए पोषण विशेषज्ञ ने कई उपयोगी सुझाव भी दिए हैं। इन आदतों को अपनाकर और मात्रा पर ध्यान देकर हम चाय पीने के आनंदमय अनुभव को पूरा कर सकते हैं और स्वस्थ संतुलन भी बनाए रख सकते हैं।

    चाय पीने के सही तरीके-

    रुजुता दिवेकर की सलाह के अनुसार, शाम 4 बजे के बाद चाय पीने से बचना चाहिए क्योंकि यह नींद में बाधा का कारण बन सकता है। इसके अलावा, चाय को खाने की जगह नहीं लेनी चाहिए क्योंकि इससे जरूरी पोषक तत्व छूट जाते हैं।

    चाय प्रेमियों के लिए यह मार्गदर्शन बहुत महत्वपूर्ण है ताकि वे फायदे को अधिकतम कर सकें और नुकसान को कम कर सकें। चाय के सेवन को नियंत्रित करके लोग इसके स्वाद का आनंद ले सकते हैं और साथ ही स्वस्थ संतुलन भी बनाए रख सकते हैं।

    चाय के साथ स्वस्थ नाश्ते की बात-

    एक गर्म कप चाय अकेली अधूरी लगती है। इसके साथ नाश्ता होना जरूरी है। लेकिन पारंपरिक साथी जैसे नानखटाई बिस्कुट या रस्क सचेत खाने के लिए हानिकारक हो सकते हैं।

    तले हुए नाश्ते जैसे नमकीन, पकोड़े और कचौड़ी में हानिकारक कोलेस्ट्रॉल ज्यादा होता है और पोषक तत्व कम होते हैं। इनकी जगह स्वस्थ विकल्प चुनना बेहतर है। भुना हुआ मखाना, भेल या काला चना जैसे पौष्टिक विकल्प आपके चाय के समय को बेहतर बना सकते हैं और संतुलित आहार को बढ़ावा दे सकते हैं।

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    चाय पीने की सही मात्रा क्यों जरूरी?

    जब हम दिन में चार कप से ज्यादा चाय पीते हैं, तो शरीर में कैफीन की मात्रा बढ़ जाती है। इससे बेचैनी, सिरदर्द, और पेट की समस्याएं हो सकती हैं। रुजुता दिवेकर का कहना है कि चाय में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट और अन्य गुण तभी फायदेमंद हैं जब इसका सेवन सीमित मात्रा में किया जाए।

    चाय हमारी संस्कृति का हिस्सा है और इसे छोड़ना न तो संभव है न जरूरी। बस जरूरत है सही संतुलन की। विशेषज्ञ सलाह का पालन करके हम चाय का स्वाद ले सकते हैं और अपनी सेहत भी बनाए रख सकते हैं। याद रखें, संयम में ही सब कुछ अच्छा होता है, चाय भी।

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