FNG Expressway: हरियाणा की स्मार्ट सिटी योजना के तहत फरीदाबाद-नोएडा-गाजियाबाद (FNG Expressway) परियोजना को लेकर जितने वादे किए गए हैं, उतनी ही देरी इसके क्रियान्वयन में हो रही है। मंत्रियों के दावों और बजट पास होने के बावजूद यह महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट अभी तक धरातल पर नहीं उतर पाया है। सबसे चौंकाने वाली बात यह है, कि छह महीने से यह फाइल मुख्यमंत्री कार्यालय में ही पड़ी हुई है और किसी को इसकी कोई सुध नहीं है।
फरीदाबाद एक औद्योगिक नगरी है, जहां से रोजाना करीब 50 हजार लोग अपनी नौकरी और अन्य जरूरी कामों के लिए नोएडा और गाजियाबाद का सफर करते हैं। लेकिन इन दो शहरों के बीच की यात्रा किसी परीक्षा से कम नहीं है। नोएडा और फरीदाबाद के बीच यमुना नदी एक बड़ी बाधा के रूप में खड़ी है। इस कारण दोनों राज्यों के बीच अभी तक कोई सीधी सड़क नहीं बन पाई है। लोगों को मजबूरी में कालिंदी कुंज के रास्ते से होकर नोएडा जाना पड़ता है, जहां सुबह और शाम के समय ट्रैफिक जाम की समस्या आम बात हो गई है।
घंटों जाम में फंसना पड़ता है-
दिल्ली की ओर से नोएडा जाने वाले लोगों की हालत और भी खराब है। वहां तो घंटों ट्रैफिक में फंसे रहना आम बात हो गई है। अगर कोई व्यक्ति मेट्रो का सहारा लेता है, तो उसे लगभग डेढ़ घंटे का समय लग जाता है। यह सिर्फ समय की बर्बादी नहीं है, बल्कि लोगों की ऊर्जा, धन और धैर्य की भी परीक्षा है। ऑफिस जाने वाले कर्मचारियों, छात्रों और व्यापारियों के लिए यह रोजाना की मुसीबत बन गई है।
FNG Expressway अगर धरातल पर उतर जाती, तो दो राज्यों के बीच की दूरी काफी कम हो जाती और लोगों को इस तरह की परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ता। यह प्रोजेक्ट न सिर्फ समय की बचत करेगा, बल्कि यातायात की समस्या को भी काफी हद तक हल कर देगा। लेकिन अफसोस की बात यह है कि फाइलें दफ्तरों में घूम रही हैं और जमीन पर कुछ नहीं हो रहा।
पूर्व मुख्यमंत्री ने भी की थी समीक्षा-
FNG Expressway हरियाणा प्रदेश सरकार की महत्वपूर्ण परियोजनाओं में से एक है। इसे लेकर वर्ष 2022 में तत्कालीन मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने अधिकारियों के साथ बैठक कर समीक्षा भी की थी। उस समय उन्होंने अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए थे कि सभी विवादों को जल्द से जल्द सुलझाया जाए और परियोजना को तेजी से आगे बढ़ाया जाए। लेकिन दो साल बीत जाने के बाद भी स्थिति जस की तस बनी हुई है। न तो विवाद सुलझे हैं और न ही प्रोजेक्ट आगे बढ़ा है।
यह सवाल उठना लाजिमी है, कि आखिर इतनी अहम परियोजना में देरी क्यों हो रही है? क्या यह सिर्फ प्रशासनिक लापरवाही है या फिर इसके पीछे कोई और कारण छिपे हैं? जनता को जवाब चाहिए, क्योंकि यह उनकी रोजमर्रा की जिंदगी से जुड़ा मामला है।
एक ही पार्टी की सरकार-
सबसे हैरान करने वाली बात यह है, कि हरियाणा और उत्तर प्रदेश दोनों राज्यों में एक ही राजनीतिक दल की सरकार है, फिर भी एफएनजी प्रोजेक्ट को लेकर दोनों राज्यों के बीच समन्वय नहीं बन पा रहा है। अगर दोनों राज्यों में अलग-अलग पार्टियों की सरकार होती, तब भी समझ में आता, कि राजनीतिक मतभेदों के कारण काम नहीं हो रहा। लेकिन यहां तो वैसी बात भी नहीं है।
फरीदाबाद में यह परियोजना महज कागजों पर ही चल रही है। जमीन पर कोई विकास नजर नहीं आ रहा। डिटेल्ड प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) के अनुसार इस प्रोजेक्ट में यमुना नदी पर 700 मीटर लंबा एक पुल बनाया जाएगा। इस पुल का आधा-आधा खर्च हरियाणा और उत्तर प्रदेश की सरकारें वहन करेंगी। लेकिन जब तक दोनों राज्य आपस में सहयोग नहीं करेंगे, तब तक यह पुल सपना ही बना रहेगा।
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यातायात सर्वेक्षण पूरा, अब बाकी क्या है?
एक अप्रैल को हुई एक अहम बैठक में शहरी विकास सलाहकार डीएस ढेसी ने कालिंदी कुंज के भीषण जाम से निजात दिलाने के लिए एफएनजी प्रोजेक्ट को अत्यंत आवश्यक बताया था। उन्होंने कहा था, कि यह परियोजना न सिर्फ यातायात की समस्या को हल करेगी, बल्कि दोनों राज्यों के बीच व्यापार और रोजगार के नए अवसर भी खोलेगी। अच्छी खबर यह है, कि इस परियोजना का यातायात सर्वेक्षण अब पूरा हो चुका है। लेकिन सवाल यह है, कि सर्वेक्षण पूरा होने के बाद भी काम शुरू क्यों नहीं हो रहा?
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