Guillain-Barre Syndrome
    Photo Source - X

    Guillain-Barre Syndrome: हाल ही में पुणे से आई एक चिंताजनक रिपोर्ट में बताया गया है, कि गिलेन-बैरे सिंड्रोम (GBS) के 100 से अधिक मामले सामने आए हैं। इस स्थिति से जुड़े एक संदिग्ध मामले में एक व्यक्ति की मौत भी हुई है। डॉक्टर प्रियंका सेहरावत, जो ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज की न्यूरोलॉजिस्ट हैं, ने इस संबंध में गंभीरता से चेतावनी दी है, कि लोग खराब खान-पान और गंदे पानी के प्रयोग से बचें। उनका कहना है कि Gastroenteritis इस गंभीर स्थिति के लिए एक मुख्य ट्रिगर हो सकता है, जिससे गिलेन-बैरे सिंड्रोम विकसित हो सकता है।

     
     
     
     
     
    View this post on Instagram
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     
     

     

    A post shared by Dr.Priyanka Sehrawat (@docpriyankasehrawat)

    Guillain-Barre Syndrome की पहचान-

    गिलेन-बैरे सिंड्रोम एक दुर्लभ ऑटोइम्यून स्थिति है, जिसमें शरीर का इम्यून सिस्टम अपनी ही परिधीय नसों पर हमला करता है। यह स्थिति सुन्नता, झनझनाहट, मांसपेशियों में कमजोरी, और गंभीर मामलों में पक्षाघात या मृत्यु का कारण बन सकती है। प्रमुख रूप से यह स्थिति 30 से 50 वर्ष के बीच के लोगों को प्रभावित करती है, लेकिन किसी भी उम्र के व्यक्ति को प्रभावित कर सकती है।

    Guillain-Barre Syndrome के पहले लक्षण-

    डॉक्टरों के अनुसार, GBS के पहले लक्षणों में मांसपेशियों में कमजोरी, खासकर पैरों में झनझनाहट, पीठ या पैरों में गंभीर दर्द, और साँस लेने में कठिनाई शामिल हैं। इसके अलावा, कुछ मरीजों को बोलने और निगलने में भी समस्या हो सकती है। GBS के लक्षण तेज़ी से विकसित होते हैं और पहले दो हफ्तों में व्यक्ति अपने सबसे कमजोर स्तर पर पहुँच सकता है।

    GBS के कारण-

    GBS की उत्पत्ति एक असामान्य इम्यून प्रतिक्रिया से होती है, जो तब होती है जब आप बीमार होते हैं और आपकी इम्यूनिटी कमज़ोर होती है। डॉक्टरों ने बताया है, कि कई लोगों ने खासकर Campylobacter jejuni बैक्टीरिया से ग्रस्त होने के बाद, डायरिया की समस्या का अनुभव किया। कुछ मामलों में फ्लू या टीकाकरण के बाद भी GBS के लक्षण देखे गए हैं। दुर्लभ मामलों में GBS किसी सर्जरी के बाद भी विकसित हो सकता है। GBS एक पोस्ट-इंफेक्शन और इम्यूनिटी-मेडिएटेड न्यूरोपैथी है, जिससे नर्व्स को नुकसान पहुंचता है।

    GBS के लक्षणों पर ध्यान-

    GBS के लक्षणों की प्रगति आमतौर पर घंटों, दिनों, या कुछ हफ्तों में होती है। शुरुआती लक्षणों में मांसपेशियों का कमजोर होना, पैरों और हाथों की सुन्नता, चेहरे की मांसपेशियों का प्रभावित होना, और साँस लेने में समस्या हो सकती है। ये लक्षण व्यक्ति की सामान्य गतिविधियों में बाधा डालते हैं। डॉक्टरों का कहना है कि GBS के लक्षण धीरे-धीरे बढ़ते हैं। पहले दो सप्ताह में अधिकांश लोग अपने सबसे कमजोर स्तर तक पहुँच जाते हैं और तीसरे सप्ताह में लगभग 90 प्रतिशत मरीज अपने सबसे कमजोर दौर में होते हैं।

    खान-पान का ध्यान-

    डॉक्टर प्रियंका ने अपनी सलाह में कहा है कि, “कभी भी बाहर का खाना खाने से बचें।” उन्होंने यह भी कहा, कि हमें हमेशा अच्छी सेहत के लिए अपनी इम्यूनिटी का ख्याल रखना चाहिए। खाने में पनीर, चीज़ और चावल जैसे स्वस्थ खाद्य पदार्थों को सेवन करना चाहिए। उन्होंने कहा, “फलों और सब्जियों को अच्छे से धोकर ही खाएँ, क्योंकि अगर इन्हें अच्छे से हैंडल नहीं किया गया, तो ये बैक्टीरिया के लिए उचित वातावरण बन सकते हैं।” विटामिन C युक्त खाद्य पदार्थों को अपने आहार में शामिल करना भी एक अच्छा उपाय है, क्योंकि यह हमारी इम्यूनिटी को बढ़ावा देता है।

    ये भी पढ़ें- Eggs vs Paneer: अंडे या पनीर क्या है प्रोटीन का बेहतर सोर्स? जानें यहां

    डिसऑटोनोंमिया के कारण-

    GBS गंभीर मुश्किलों का कारण बन सकता है। यह स्थिति स्वायत्त तंत्रिका प्रणाली को प्रभावित कर सकती है, जो आपके शरीर के हार्ट रेट, रक्तचाप जैसे स्वचालित कार्यों को नियंत्रित करती है। जब इन कार्यों में समस्या होती है, तो यह डिसऑटोनोंमिया का कारण बन सकती है। GBS से संबंधित डिसऑटोनोंमिया के कारण होने वाली परेशानियों में हृदय की धड़कन में गड़बड़ी, उच्च या निम्न रक्तचाप, गंभीर पाचन समस्याएँ, और मूत्र नियंत्रण में समस्या शामिल हो सकती हैं।

    गिलेन-बैरे सिंड्रोम एक गंभीर स्वास्थ्य स्थिति है, लेकिन अगर सही समय पर सतर्कता बरती जाए और उचित कदम उठाए जाएं, तो इससे बचा जा सकता है। डॉक्टरों की सलाह मानकर और अपने खान-पान का ख्याल रखकर हम इस गंभीर स्थिति से बचाव कर सकते हैं।

    ये भी पढ़ें- घर पर सिर्फ 15 मिनट में ब्रेड से बनाएं गुलाब जामुन, बहुत कम पैसों में बनकर हो जाएंगे तैयार