Ramayana Proof: क्या रामायण सच में हुई थी या यह सब बस एक मनगढ़ंत कहानी है, इसके ऊपर कई बार चर्चाएं हो चुकी है। कई लोग हैं, जो इसे सच मानते हैं। वहीं कुछ लोग मानते हैं, कि यह सिर्फ एक कहानी है, क्योंकि ऐसा हो ही नहीं सकता। लेकिन आज ये लेख रामायण को काल्पनिक मानने वाले को हिलाकर रख सकता है। आज हम आपको वैज्ञानिक रिसर्च के कुछ ऐसे सबूत दिखाएंगे, जिन्हें देखने के बाद आप यह मानने को मजबूर हो जाएंगे की रामायण बस एक धार्मिक किताब और मनगढ़ंत कहानी नहीं है, बल्कि रामायण सच में हुई थी और श्री राम, रावण और हनुमान जी यह सब सच में मौजूद थे।

रामायण भारत के सबसे प्रसिद्ध ग्रथों में से एक हैं। भारत में रामचरितमानस का पाठ पूरी आस्था के साथ होता है। महर्षि वाल्मीकि द्वारा रामायण में भगवान राम की संपूर्ण जानकारी लिखी गई है और लेकिन कुछ लोग भगवान के होने पर ही सवाल उठाते हैं और रामायण को केवल कहानियों से भरी किताब मानते हैं। रामायण के मुताबिक, भगवान राम ने अधर्मी रावण को मार कर धर्म की स्थापना की थी। बहुत से लोगों का यह सवाल होता है, कि क्या भगवान राम वाकई धरती पर पैदा हुए थे। क्या वास्तव में रावण के 10 सिर और 20 भुजाएं थी। क्या हनुमान जी अपनी इच्छा से अपना रूप बदल सकते थे और इन सब बातों की वजह से ही कई लोग रामायण को झूठ समझते हैं। लेकिन आज हम वैज्ञानिक अध्ययनों के आधार पर सिद्ध कर देंगे, की रामायण में वर्णित घटनाएं पूर्ण रुप से सत्य हैं।
Ramayana Proof रामायण कालीन हवाई अड्डे-
जितना हम रामायण को भारत में मानते हैं, उतना या फिर उससे भी ज्यादा श्रीलंका में माना जाता है और इसीलिए श्रीलंका में रामायण अनुसंधान टीम ने रावण के रामायण काल के चार हवाई अड्डे खोजने का दावा किया है। पिछले 9 सालों से या ऑर्गेनाइजेशन श्रीलंका के कोने कोने की छानबीन कर रही थी। यहां उन्हें कई जानकारी और अवशेष मिले। परंतु चार सालों में लंका के दुर्गम स्थानों की खोज के कारण रावण के चार हवाई अड्डे हाथ लगे। रामायण अनुसंधान टीम के अध्यक्ष अशोक कैंट का कहना है, कि रामायण की लंका वास्तव में श्रीलंका ही है। यहां उसानडा, गुरुलोपोथा, तोतुपोलाकंदा और वरियापोला नामक चार हवाई अड्डे मिले हैं और इन्हीं हवाई अड्डे से रावण पुष्पक विमान को आसमान में उड़ाता होगा और यह हवाई अड्डे न सिर्फ यह बताते हैं, कि रामायण सच में हुई थी, पर यह भी बताते हैं, इसमें लिखी गई सारी बातें, जिन पर हमें यकीन नहीं होता, वह भी सच हैं।
Ramayana Proof रावण का महल-
रामायण के मुताबिक, रावण सोने की लंका में रहा करता था। जिसे हनुमान जी ने जला दिया था. श्रीलंका गवर्नमेंट को श्रीलंका में एक ऐसा महल मिला है और यह दावा है. कि महल रामायण काल का है। इस महल से कहीं सीक्रेट रास्ते निकलते हैं, जो उस महल को शहर के अलग-अलग जगह से जोड़ता है। लेकिन जब रिसर्च टीम ने इन पर रिसर्च की तो पता चला, की गुफाएं नेचुरल नहीं। बल्कि किसी समय में इंसानों द्वारा बनाया गया था। श्रीलंकन हिस्ट्री के अनुसार, रावण शहर के अलग-अलग हिस्सों में अचानक से ही प्रकट हो जाया करता था और पलक झपकते ही गायब होकर अपने महल में पहुंच जाता था। इसलिए जानकारों का मानना है, कि रावण इन्हीं गुप्त रास्तों का इस्तेमाल किया करता था। अब इतने बड़े एविडेंस को हम कैसे नकार सकते हैं।
Ramayana Proof अशोक वाटिका के सबूत-
रामायण के अनुसार रावण ने माता सीता का हरण करके उन्हें अशोक वाटिका के अंदर रखा था। कहा जाता है कि अशोक वाटिका रावण का सबसे पसंदीदा स्थान था। यह जगह इतनी रहस्यमई थी, कि हनुमान जी इसे आसानी से ढूंढ नहीं पाए थे। मगर हैरानी की बात तो यह है, कि यह अशोक वाटिका आज भी श्रीलंका में मौजूद है। ऐसा माना जाता है, कि एलिया पर्वत की गुफा में माता सीता को रखा गया था। जिसे सीता एलिया नाम से जाना जाता है। यहां सीता माता का एक मंदिर भी है, जिसे विरांगटोक कहते हैं और बहीआंगना से 10 किलोमीटर की दूरी पर है।
यहीं पर सीता जी का अपहरण कर पुष्पक विमान को उतारा गया था। मगर यहां पर जिस बात में सबसे ज्यादा चौकाया वह यहां मौजूद पेड़ है। रामायण ग्रंथ में इस बात का जिक्र मिलता है, कि अशोक वाटिका में अशोक के वृक्ष बहुत ज्यादा थे। इसलिए इसका नाम अशोक वाटिका रखा गया था, तब जैसा रामायण में वाटिका के बारे में कहा गया था। वैसा ही आज भी यह गार्डन है। इसे हम रामायण कालीन एक सबूत मान सकते हैं।
Ramayana Proof द्रोणगिरी पर्वत-
दोस्तों रामायण में लिखा हुआ, कि युद्ध में जब मेघनाथ द्वारा लक्ष्मण जी मूर्छित हो गए थे। उनकी जान बचाने के लिए संजीवनी बूटी की जरूरत पड़ी। इसके लिए जड़ी बूटी लाने का ज़िम्मा हनुमान जी को दिया गया थाष तब हनुमान जी संजीवनी बूटी लाने के लिए द्रोणगिरी पर्वत पर गए थे। हनुमान जी को जब संजीवनी बूटी का पता नहीं चला, तो वह द्रोणगिरी पहाड़ के टुकड़े को ही उठा कर ले। आए मान्यताओं के अनुसार, यह वही पहाड़ है जो आज भी वहां पर मौजूद है। कुछ लोग कहते हैं, कि आज भी उस पर्वत पर वह निशान मौजूद है। जहां से हनुमान जी ने उसे तोड़ा था। लेकिन जिस पर्वत का जिक्र रामायण में मिलता है। वहां आज मौजूद है। जड़ी बूटी देने के बाद हनुमान जी ने पहाड़ के टुकड़े-टुकड़े करके श्रीलंका में फेंक दिया था।
जहां जहां इस पहाड़ के टुकड़े गिरे बाहर के पेड़ पौधे और जड़ी बूटी बाकी जगह से अलग होती है और सच में श्रीलंका में कई कमाल की जड़ी बूटियां मिलती है। श्रीलंका में हिमालय की जड़ी बूटियां का मिलना इस बात का पर्याप्त सबूत है, कि लक्ष्मण जी को संजीवनी देने की घटना पूर्ण रूप से सत्य है। क्योंकि इन जड़ी बूटियां के पौधे उस स्थान पर मिले हैं। जहां पर लक्ष्मण जी को संजीवनी दी गई थी। जबकि दूसरे हिस्से में इस प्रकार की कोई जड़ी बूटी नहीं मिलती।
Ramayana Proof राम सेतू-
रामायण के सच होने का सबसे बड़ा प्रूफ है, राम सेतु। राम सेतु को एडम्स ब्रिज भी कहा जाता है और उसके बारे में पक्का सबूत तब मिल गया, जब नासा ने सेटेलाइट तस्वीर जारी की। पेसिफिक ओशन की तस्वीर में कुछ ऐसा था, इस देखकर वैज्ञानिक भी हैरान रह गए। पेसिफिक ओशन के हिस्से में साफ तौर से पत्थरों की एक लाइन बनी हुई, नजर आ रही थी। जब वैज्ञानिकों ने इस तस्वीर पर ज्यादा स्टडी की, तो पता चला कि यह पत्थरों से बनी लाइन है। भारत के धनुषकोड़ी से श्रीलंका के मन्नारदीप तक बनी हुई है, जो लंबाई में करीब 30 किलोमीटर तक हो सकती है। पेसिफिक ओशन के जिस हिस्से में नासा के वैज्ञानिकों को पत्थर से बना पुल नजर आया था।
यह वही जगह है, जिसका जिक्र रामायण में मिलता है और अमेरिका के एक आर्कियोलॉजिकल रिसर्च टीम ने भी अपने रिसर्च में इस बात का दावा किया था, कि तमिलनाडु और श्रीलंका के बीच मौजूद रामसेतु वह असल में एक मैन मेड ब्रिज है, जो कई हजार साल पहले इंसानों ने बनाया था। माना जाता है 15वीं शताब्दी तक यह पैदल पार करने लायक था। लेकिन इतना ज्यादा समय बीत जाने के कारण यह पुल अपने पूर्ण स्वरूप में नहीं रहा। वैज्ञानिक दृष्टिकोण से इस फेस्ट को हम रामायण के एविडेंस के रूप में देख सकते हैं।
Ramayana Proof सुग्रीव की गुफा-
बाली के डर से सुग्रीव जिस गुफा में रुके थे, वह गुफा आज भी मौजूद है। रामायण के अनुसार, बाली ने दूं-दुबी नाम के राक्षस को मारकर उसे कुछ दूर फेंक दिया था। हवा में उड़ते हुए धूम दूं-दुबी के खून की कुछ बंदे मातंग ऋषि के आश्रम के ऊपर गिर गईं। ऋषि ने अपने तप के बल से जान लिया, कि किसकी हरकत है फिर क्रोधित ऋषि ने बाली को श्राप दिया था, कि कभी भी ऋषि के पर्वत के क्षेत्र में आएगा, तो उसकी मृत्यु हो जाएगी। सुग्रीव को राज्य से निकाले जाने पर वह इसी जगह पर आए थे, क्योंकि वह जानते थे, की बाली यहां नहीं आ सकता। यही पर उनकी मुलाकात राम जी से भी हुई थी और बाद में राम जी ने बालि का वध किया था और सुग्रीव को किष्किंधा का राज्य सौंप दिया था और यह सारी गुफाएं आज भी मौजूद है।
राम सेतु के पत्थर-
भगवान राम ने समुद्र को पार करने के लिए बंदरों की सहायता से लंका तक पुल बना दिया था। कहा जाता है कि इस पुल के माध्यम से श्री राम की पूरी वानर सेना रावण से लड़ने लंका गई थीष मगर हैरानी की बात तो यह है कि रामसेतु में इस्तेमाल की जाने वाले पत्थर आज भी मौजूद है। राम सेतु पुल के पत्थर पानी पर तैरते थे। रामेश्वरम में सुनामी के दौरान कुछ पत्थर जमीन पर आ गए थे। शोधकर्ताओं ने जब उन्हें दोबारा पानी में फेंका, तो वह तैर रहे थे, जबकि दूसरे पत्थर पानी में डूब जाते थे। शोधकर्ताओं के अनुसार इसके लिए एक विशेष प्रकार के पत्थर का इस्तेमाल किया गया था।
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जिसे विज्ञान की भाषा में प्यूमाइस स्टोन कहते हैं। यह पत्थर पानी में नहीं डूबता और तैरने वाला यह पत्थर ज्वालामुखी के लावा से आकर लेते हुए अपने आप बनता है। ज्वालामुखी से बाहर आता लावा जब वातावरण से मिलता है, तो उसके साथ ठंडी या उससे कम तापमान की हवा मिल जाती हैं। यह गम और ठंडा का मिलाव इस पत्थर में कई तरह से छेद कर देता है। जिस कारण यह पत्थर पानी में नहीं डूबता। इसके पीछे का विज्ञान भी रामायण के समय उनको पता था और उन्होंने इस तकनीक का उपयोग रामसेतु को बनाने में किया था। यह रामायण का एक पुख्ता और मजबूत सबूत है।
जली हुई लंका के सबूत-
रामायण ग्रंथ के अनुसार, हनुमान जी ने लंका की सोने की नगरी को जला दिया था। मगर अभी कुछ एविडेंस मिले हैं, जिन्हें लेकर कहा जा रहा है, की लंका के जलने के सबूत आज भी वहां पर मौजूद है। जिस जगह पर श्रीलंका को जलाया गया था, वहां की मिट्टी आज भी काली है और उसके आसापास की मिट्टी का रंग आज भी वैसा ही है। जैसा कि नॉर्मली मिट्टी का होना चाहिए। बस इतने से इलाके में ही काली मिट्टी मौजूद है, जो की जली हुई लंका के सबूत को बताती है। इस बात को भी हमें एक इत्तेफाक कहकर टाल नहीं सकते। अब जब आपको इतने सारे प्रूफ दिए जा रहे हैं, इतने सारे प्रूफ इत्तेफाक नहीं हो सकते, तो इसलिए यही साबित होता है, की रामायण सच में घटित हुई थी।
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