Life of Aghori: दोस्तों जब भी कभी हम काला जादू तंत्र-मंत्र या भूतों द्वारा सताए जाने की बात सुनते हैं, तो हमारे दिमाग में सिर्फ एक ही जाति का नाम आता है और वह नाम है अघोरी। अघोरियों का स्वभाव और जीवन शैली देखकर हैरानी होती है, क्योंकि वह मानव योनि में होते हुए भी समाज से बिल्कुल अलग है, जहां सामान्य व्यक्ति अपने जीवन में घर परिवार की खुशहाली और समृद्धि के लिए हमेशा कोशिशें करता है। वहीं अघोरी लोग घर परिवार का त्याग करके अपना पूरा जीवन गुप्त विद्याएं सीखने, मृत व्यक्ति की आत्माओं से बात करने और तंत्र-मंत्र से शक्तियां प्राप्त करने में लगा देते हैं। लेकिन अघोरियों का खान-पान और सिर्फ नियम ही अलग नहीं है।
Life of Aghori सबसे अलग नियम-
बल्कि मरने के बाद भी उनके शरीर को नष्ट करने के लिए अलग नियम बनाए गए हैं। अगर हम असली अघोरी की बात करें तो वह महान तपस्वी होते हैं, समाज के मानदडों से बिल्कुल अलग रास्ता चुनते हैं। जिसमें अजीब तरह की परंपराएं और शारीरिक कष्ट भी शामिल है। अघोरियों के बारे में एक और डरावनी बात यह भी की जाती है, कि उनके पास अलौकिक शक्तियां होती हैं और वह काला जादू भी करते हैं। पर क्या यह सच में सही है, अघोरी कहां रहते हैं, क्या खाते हैं, किस तरह का जीवन जीते हैं और अगर उनकी मौत होती है, तो क्या नॉर्मल इंसान की तरह उनका अतिंम संस्कार किया जाता है या उनकी अलग परंपरा होती है।
Life of Aghori शवों पर बैठकर साधना-
अघोरी शमशान में रहते हैं, वह शवों पर बैठकर साधना करते हैं और उनकी साधना का एक अनोखा तरीका पैर पर खड़े होकर भगवान शंकर की पूजा करना है। रात में जागकर अधजली हुई लाशों को चिता से बाहर निकलना और उनके साथ तंत्र क्रिया करना। यह सब अघोरियों के जीवन का अहम हिस्सा हैं। अघोरियों की सारी बातें आम लोगों से अलग होती है। साधना के जिस रहस्यमई नियम का अघोरी पालन करते हैं, उसे अघोर पंथ कहा जाता है इसका अपना विधान है और जीवन को जीने का अपना अलग अंदाज है, जो किसी धर्म से मेल नहीं खाता, जो घोर पंथी साधक इस रास्ते पर चलते हैं, वह अघोरी कहलाते हैं। अघोर पंथ में श्मशान में साधना करने का विशेष महत्व माना जाता है।
Life of Aghori जीवित रहकर मृत्यु का अनुभव-
अघोरि मृत्यु बारे में जानना चाहते हैं, जीवित रहकर मृत्यु का अनुभव करना चाहते हैं, आत्मा से बात करना चाहते हैं। इस तरह की कई बातें हैं, जिनको अनुभव करने के प्रयास में अघोरी शमशान में रहना पसंद करते हैं। इनका मानना है, कि शमशान में साधना करने से न सिर्फ जल्दी फल मिलता है बल्कि जीवन और मृत्यु से जुड़े अलौकिक अनुभव भी प्राप्त होते हैं। शमशान में कोई सामान्य व्यक्ति जाता ही नहीं, इसलिए इनकी साधना में बाधा आने का भी सवाल नहीं उठता। अघोरियों का मानना है, कि भगवान शंकर शमशान में ही निवास करते हैं और इसलिए उनकी पूजा शमशान में करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।
Life of Aghori कैसे बनते हैं अघोरी?
अघोरी बनना जितना मुश्किल है, उससे भी ज्यादा मुश्किल उनकी साधना है। पहले बात करते हैं, कि अगर कोई अघोरी बनना चाहता है, तो उसे क्या करना पड़ता है। उसके बाद अघोरियों का अंतिम संस्कार कैसे किया जाता है और अघोरियों से जुड़े कुछ रहस्यों के बारे में जानेंगे। अघोरी बनने के लिए इंसान को सांसारिक मोह माया का त्याग पड़ता है, उसे अपना परिवार छोड़कर किसी दूर स्थान पर जाकर सिद्धी प्राप्त करने के लिए तपस्या करनी पड़ती है। वह पूरे दिन सोते हैं और रात में शवों की राख पर बैठकर साधना करते हैं। इनके बड़े-बड़े बाल और लाल आंखें होती हैं, यह देखने में तो भयानक लगते हैं, लेकिन असल में कई अघोरी स्वभाव से बहुत सरल भी होते हैं।
Life of Aghori कठोर तपस्या-
क्योंकि वह सभी चीजों को पवित्र मानते हैं। उनके मुताबिक सभी चीज़ें भगवान का दिया हुआ तोहफा है। वह अपने पूरे शरीर पर शवों की राख लगाते हैं, अघोरी बनने के बाद वह कोई भेदभाव नहीं करते। वह इसी तरह अपना पूरा जीवन बिताते हैं। परिवार से अलग होने के लिए, उन्हें अघोरी गुरु की शरण में रहकर 12 साल तक कठोर तपस्या और कठोर अनुष्ठानों का पालन करना पड़ता है। अघोरी बनने के लिए उन्हें अपना घर परिवार छोड़ना पड़ता है। अपने परिवार और इस संसार से मोहभंग के लिए वह जीवित रहते हुए ही, अपना अंतिम संस्कार कर देते हैं।
पुरानी जिंदगी का त्याग-
ऐसा करके वह अपनी पुरानी जिंदगी को त्याग देते हैं और संकल्प लेते हैं, कि वह कभी भी अपनी पुरानी जिंदगी में वापस नहीं आएंगे और अपने परिवार से कभी नहीं मिलेंगे और जब किसी अघोरी की मौत होती है, तो उसके साथ के अन्य अघोरी मिलकर उसके शव को शमशान में ही बिना अंतिम संस्कार या क्रिया के जला देते हैं या दफना देते हैं। वैसे तो एक अघोरी मरे हुए इंसान के शव को भी खाता है। लेकिन कोई भी अघोरी अपने साथी की मृत्यु के बाद उसके शव को नहीं खाता। इसके साथ ही अघोरी सामान्य जीवन नहीं जीते, उनके खाने का तरीका और इसके पीछे उनकी सोच भी बहुत अलग है, वह मांस मदिरा का सेवन करते हैं। यह गौमांस को छोड़कर लगभग सभी प्रकार के मांस खाते हैं।
गाय की पूजा-
मांस में यह गाय का मांस इसलिए नहीं खाते, क्योंकि शिव भक्त होने की वजह से यह गाय की भी पूजा करते हैं। यह लोग मरे हुए इंसान का मांस भी खाने से परहेज नहीं करते। इसके अलावा यह सड़ी गली चीज़ें, मल मूत्र भी खाने से नहीं हिचकीचाते। उन्हें किसी भी चीज से घृणा नहीं होती है। अघोरी चरण और गांजा का भी सेवन करते हैं। इतना अजीब खाने-पीने के पीछे अघोरियों की यह सोच होती है, कि कोई भी स्वादिष्ट भोजन से जिससे सुख की प्राप्ति होती है, वह उनकी साधना में बाधक है। इसलिए वह हमेशा स्वादहीन और ऐसा भोजन खाते हैं, जिससे सिर्फ उनका शरीर जीवित रह सके और भोजन के प्रति उनकी उदासीनता बनी रहे। अघोरियों के मुताबिक, इंसान की खोपड़ी इस संसार के सत्य का प्रतीक है।
इंसान की खोपड़ी-
साधक का काम खोपड़ी में जो भी ऊर्जा है. उसे जागृत करना होता है। इंसान की खोपड़ी के ज़रिए वह जो भी करते हैं, उससे नकारात्म ऊर्जाएं भी सामने आती हैं। यह नकारात्म ऊर्जाएं अकाल मृत्यु या एक्सीडेंट में मरे हुए, किसी इंसान की आत्मा की होती है, जिसे मुक्ति नहीं मिली। यह अघोरी उस आत्मा के लिए अनुष्ठान करके सिद्धी प्राप्त करते हैं। इस आत्मा को अघोरी मदिरा और मांस का सेवन भी करवाते हैं। कुछ प्रेत आत्माएं कभी-कभी साधना में बाधा डालने का प्रयास करती है। इसलिए शमशान में इन आत्माओं से बचने के लिए अघोरियों के पास एक खास मंत्र होता है। साधना से पहले अघोरी अगरबत्ती धूपबत्ती और दीपक जलते हैं, फिर उस खास मंत्र का जाप करते हुए, वह अपने चारों ओर एक लाइन खींचते हैं। फिर तूती बजाते हुए साधना शुरू होती है। ऐसा करके अघोरी बाकी भूतों को साधना में विघ्न डालने से रोकते है। वहीं बहुत से अघोरी तंत्र मंत्र की मदद से इस ब्रह्मांड में मौजूद प्रेत आत्माओं की सिद्धी करते हैं।
आत्माओं की सिद्धी-
कुछ अघोरी इन प्रेत आत्माओं की सिद्धी करके लोगों का भला करते हैं। लेकिन कुछ अघोरी इन प्रेत आत्माओं की सिद्धी से लोगों का बुरा भी करते हैं। ऐसा माना जाता है, कि अघोरी बहुत क्रोधी और जिद्दी होते हैं। अगर उन्हें किसी से कुछ चाहिए, लेकर ही छोड़ते हैं। अगर ऐसा नहीं होता, तो वह श्राप देते हैं और कहा जाता है की उनका श्राप मरने के बाद भी लोगों का पीछा नहीं छोड़ता। यहां तक कि उनके वंशजों को भी इस श्राप का परिणाम भुगतना पड़ता है। मान्यता यहां तक है, कि अगर कोई अघोरी किसी से क्रोधित होकर मर जाता है, तो मरने के बाद उसकी आत्मातंत्र सामान्य आत्मा के मुकाबले कहीं ज़याधा शक्तिशाली हो जाती है और न सिर्फ उस इंसान को बल्कि उनके आस-पास के लोगों को भी नुकसान पहुंचाती है और कभी-कभी यह बहुत भयानक होता है।
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सच्चा अघोरी-
कहा जाता है, कि कभी किसी अघोरी को कुपित नहीं करना चाहिए। यह बात हम आपको एक उदाहरण से समझाते हैं। आप सभी ने देखा होगा, कि जिस घर में पहले कभी कोई झगड़ा या लड़ाई नहीं हुई हो, लेकिन अचानक ऐसा हुआ, कि उनके घर की सारी शांति नष्ट हो गई घर में लड़ाई झगड़ा लगे या कभी-कभी आपने देखा होगा, कि परिवार के किसी सदस्य पर अचानक आत्मा के वश में हो जाता है। फिर उसे जब किसी औझा के पास ले जाया जाता है, तो पता चलता है, कि किसी ने दुश्मनी की वजह से यह काम किया है। ऐसा काम कोई दुष्ट अघोरी ही कर सकता है। कोई भी सच्चा अघोरी अपनी शक्ति का दुरुपयोग करके किसी को भी नुकसान नहीं पहुंचाता।
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