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    Greatest Discovery
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    Greatest Discovery! वैज्ञानिकों ने जीवन के लिए खोजे हैं पृथ्वी से बेहतर ग्रह

    Last Updated: 27 नवम्बर 2023

    Author: sumit

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    Greatest Discovery: हम लोग हमेशा से यह अज्यूम करते आए हैं कि अगर हम यूनिवर्स के किसी भी दूसरे प्लेनेट पर अपने पैर रखेंगे, तो वहां की हाई ग्रेविटी, हाई टेंपरेचर, हाई प्रेशर और साथ ही बेड एटमॉस्फेयर की वजह से हम मिनट में ही तबाह हो जाएंगे, हम वहां पर सरवाइव नहीं कर पाएंगे। लेकिन अगर मैं कहूं यूनिवर्स में ऐसे भी प्लेनेट मौजूद हैं, जिनका एनवायरमेंट हमें तबाह करना तो दूर आपकी सेहत इतनी तंदुरुस्त कर देगा। आपको ऐसा महसूस होने लगेगा कि जैसे आपको सुपर पावर मिल गई है। यह मजाक नहीं है, रिसेंट्ली साइंटिस्ट को ऐसे हैबिटेबल प्लैनेट मिले हैं जो कई मायनों में अर्थ से ज्यादा बैटर हैं। इन प्लैनेट्स पर लाइफ बहुत रेपिडली और बहुत ही लंबे अरसे के लिए इवॉल्व हो सकती है, तो आखिर कौन से हैं यह प्लैनेट्स आईए इसके बारे में आज जान ही लेते हैं।

    सिंपल लाइफ फॉर्म-

    दोस्तों एंटायर यूनिवर्स में अर्थ इकलौता ऐसा प्लेनेट है जिस पर सिंपल लाइफ फॉर्म से लेकर कॉम्पलेक्स लाइफ फॉर्म, सभी न्यूगेनिज्म जो एनवायरमेंट में रहने के कैपेबल हैं। वह इवॉल्व हुए हैं और हो रहे हैं। यह सब देखकर जाहिर सी बात है कि अर्थ को इकलौता यूनिक ग्रह मानते हैं। लेकिन कई सारे रिसर्चर्स का यह कहना है कि ऐसे कई सारे दूसरे ग्रह हो सकते हैं। जिनके एनवायरनमेंट अर्थ के एनवायरमेंट से भी ज्यादा बेहतर हों। लेकिन क्योंकि पृथ्वी पर हम रह रहे हैं, इसीलिए हम किसी बेटर प्लेनेट को ढूंढने के बजाय अपना पूरा का पूरा वक्त अर्थ के मिरर इमेज को ढूंढने में ही लग रहे हैं, जो बिल्कुल गलत है। इसलिए 5 अक्टूबर 2020 को वॉशिंगटन स्टेट यूनिवर्सिटी और टेक्निकल युनिवर्सिटी ऑफ़ बर्लिन के कैस्ट्रोबायोलॉजिस्ट Dirk Schulze Makuch ने एक नए मिशन की शुरुआत की। इस मिशन के जरिए उन्होंने ऐसे प्लैनेट्स को अपना टारगेट बनाया जो हमारे पृथ्वी से सभी मायनों में बेहतर थे और आप बिलीव नहीं करेंगे, कि उन्हें ऐसे प्लैनेट्स मिले भी और वह भी है एक या दो नहीं बल्कि पूरे 24।

    24 सुपर हैबीटेबल प्लैनेट्स-

    24 सुपर हैबीटेबल प्लैनेट्स जो बेसिकली Schulze Makuch और उनकी टीम ने इन प्लैनेट्स को खोजने के लिए एक अलग औबजर्वेशन करने का तय किया। इसके लिए उन्होंने क्राइटेरियास की एक लिस्ट बनाई और अगर कोई भी प्लैनेट्स उनकी क्राइटेरिया को फॉलो नहीं कर रहा था। इसका मतलब था कि वह सुपर हैबिटेबल नहीं था। यह एक सिंपल वे है जिस तरह से प्लेनेट को फिल्टर किया जाए। अब आप बताइए कि किसी भी लाइफ को सरवाइव करने के लिए कौन सी चीज की जरूरत सबसे ज्यादा होती है। सूटेबल टेंपरेचर, अच्छा एटमॉस्फेयर, पानी और बड़ा सा लैंड सरफेस एरिया। बस इन्हीं सब फैक्टर को ध्यान में रखते हुए उन्होंने क्राइटेरिया तय किया। जिसमें से सबसे पहले क्राइटेरिया था एज आफ होस्ट स्टार। नॉर्मली जब एक्सोप्लैनेट्स को एक्सप्लोर किया जाता है तब साइंटिस्ट का मेन फॉकस येलो ड्रॉफ स्टार होता है। यानी की सन जैसे स्टार्स को ढूंढना। Schulze Makuch की टीम ने येलो ड्रॉफ स्टार के साथ ऑरेंज ड्रॉफ स्टार को भी अपना टारगेट बनाया, जो कलर डिमर और लेस मैसिव होते हैं। ऐसा करने के पीछे मेन एडवांटेज था उन स्टार्स का लाइफ़स्पैन।

    लाइफ इवॉल्व-

    दरअसल यूनिवर्स में जितने भी येलो ड्रॉफ्स हैं उनका लाइव पेन 10 बिलियन साल तक ही होता है और उन स्टार के कंपैरिजन में नारंगी ड्रॉफ्स दो गुना ज्यादा साल तक जीते हैं। यानी की 20 से 50 बिलियन सालों तक और इसका मतलब सिंपल था। अगर इस प्लेनेटरी सिस्टम में कोई भी लाइफ इवॉल्व होगी तो वह अर्थ के मुकाबले दो या तीन गुना ज्यादा समय तक इवॉल्व हो सकती है। पोटेंशियल पर इसका ये मतलब नहीं है की स्टार्स को हमेशा ज्यादा ओल्डर ही होना चाहिए। क्योंकि ऐवेंंचुअली ओल्डर प्लैनेट्स की पीरियड जियोथर्मल एनर्जी वक्त के साथ-साथ ठंडी हो जाती है और मैग्नेटिक फील्ड को लूज कर देती है।अब बढ़ते हैं सेकंड क्राइटेरिया की तरफ जो है पानी। जैसे ही एक प्रॉपर प्लेनेट रिसिस्टम मिल जाता है तो सबसे पहला काम होगा, उस प्लेनेट और उसके हॉस्ट स्टार के बीच के डिस्टेंस को मेजर करना। इससे इस चीज के बारे में हमें पता चलता है कि वह प्लेनेट हैबिटेबल जोन में है या नहीं। जिससे इस चीज का पता लगाया जा सके कि उस पार्टिकुलर प्लैनेट पर वॉटर परसेंटेज कितना होगा।

    द साइज एंड मास ऑफ़ प्लेनेट्स-

    अब इस क्राइटेरिया की लिस्ट का थर्ड फैक्टर था, द साइज एंड मास ऑफ़ प्लेनेट्स। रिसचर्स के मुताबिक किसी भी प्लेनेट का मैप और साइज लाइफ को इवॉल्व होने में इन्फ्लुएंस कर सकता है। बेसिकली उनका कॉन्सेप्ट काफी सिंपल था, जितना बड़ा प्लेनेट का साइज उतना बड़ा हैबिटेबल सर्फेस एरिया और न सिर्फ जितना ज्यादा मांस उतना ज्यादा ग्रेविटी भी और अगर ग्रेविटी ज्यादा होगी तो पोटेंशियल मोर स्टेबल और एटमॉस्फेयर ऑलसो वन कंडीशन प्लैनेट्स का मांस अर्थ के मांस के कंपैरिजन में सिर्फ डेढ़ या दो गुना ज्यादा बड़ा होगा। जिससे प्लेनेट का इंटीरियर लंबे समय के लिए होट रहेगा और यह हॉट इंटीरियर कोर को मॉल्टन रखने में हेल्प करेगा। इसी की वजह से उस प्लेनेट के अराउंड ज्यादा समय के लिए प्रोटेक्टिव मैग्नेटिक फील्ड एक्टिव रहेंगी, एनहांस लाइक मच हैव ए चांस टू अराइज एंड इवॉल्व।

    प्लेनेट का टेंपरेचर-

    अगला इंपॉर्टेंट क्राइटेरिया था टेंपरेचर जो ओबवियस सी बात है। क्योंकि अगर किसी भी प्लेनेट का टेंपरेचर ही ज्यादा होगा यानी इनडायरेक्ट उसका प्रेशर भी ज्यादा होगा और एक्सट्रीम टेंपरेचर में सरवाइव करना गरम तेल में हाथ डालने के बराबर होगा और इसी के लिए साइंटिस्ट ऐसे प्लेनेट पर फोकस करते हैं। जिनका एवरेज सर्फेस टेंपरेचर अर्थ के सर्फेस टेंपरेचर से 5 डिग्री सेल्सियस से कम या ज्यादा होता है और इसके पीछे भी एक रीजन है। क्योंकि अगर मैं अर्थ के टॉप ट्रॉपिकल रीजन के टेंपरेचर की बात करूं तो वहां पर पनप रहे माइक्रोब्स मोस्टली इन्हीं एक्सट्रीम टेंपरेचर में सरवाइव करते हैं। अब इन्हीं सब कॉ फैक्टर को ध्यान में रखते हुए साइंटिस्टों को 24 ऐसे प्लैनेट्स को अब्जॉर्ब करने में सफलता तो मिली है। लेकिन अभी भी इन प्लैनेट्स पर रिसेंट सर्चेस जारी है और उन्हीं प्लेनेट में से उन्हें ऐसे दो सुपर हैबिटेबल प्लेनेट मिले हैं जिनका सरफेस टेंपरेचर और एटमॉस्फेयर अर्थ के मुकाबले काफी ज्यादा बेहतर है। वह दो प्लैनेट्स है koI5715.01 or Koi5554.o1 साइंटिस्टों के मुताबिक यह दोनों ऐसे प्लैनेट्स हैं, जिस पर हर एक पॉसिबल चीज मौजूद है जो की एक लाइफ को इवॉल्व होने के लिए नेसेसरी हैं। इन शॉर्ट यह दोनों प्लैनेट्स लाइफ के इवोल्यूशन के लिए परफेक्ट प्लेनेट हैं।

    प्लेनेट का मास-

    पहला प्लेनेट है koI5715.01 एक ऐसा प्लेनेट जिसका सर्फेस टेंपरेचर अर्थ के सर्फेस टेंपरेचर से के मुकाबले 2.4 डिग्री सेल्सियस से कम है। इसके साथ ही इस प्लेनेट का मास अर्थ से 7 टाइम्स ज्यादा है और इसका साइज 8 टाइम ज्यादा है, जो दर्शाता है कि इसका सर्फेस एरिया भी ज्यादा है और ज्यादा मास की वजह से ग्रेविटी भी ज्यादा है। इन्हीं सब फैक्टर की वजह से उस प्लेनेट का एटमॉस्फेयर भी काफी स्टेबल है। अब अगर पानी के स्रोत की बात की जाए तो हॉस्ट स्टार और प्लैनेट्स के बीच का डिस्टेंस देखते हुए, साइंटिस्टों ने यह अनुमान लगाया है कि वहां पर बहुत ज्यादा मात्रा में वाटर सोर्फेस अवेलेबल है जो एक बहुत अच्छी बात है। अब बात करते हैं Koi5554.o1 तो इस प्लेनेट का सर्फेस टेंपरेचर 27 डिग्री सेल्सियस है यानी की परफेक्ट ह्यूमन बॉडी टू सरवाइव इंपैक्ट। इस प्लेनेट पर हो रहे टैकटोनिक प्लेट्स के मूवमेंट की वजह से यहां कंटीन्यूअस नाइट्रोजन साइकिल शुरू है और जैसा कि हम जानते हैं नाइट्रोजन साइकिल अर्थ के लिए काफी एसेंशियल है। क्योंकि यह बायोकेमिकल प्रक्रिया की मदद से नाइट्रोजन मल्टीपल केमिकल फार्म में कन्वर्ट होता है। जैसे कि अमीनो एसिड और प्रोटीन जो डायरेक्टली हमारी मदद करते हैं एनवायरमेंट को क्लीन करने में, तो जितना ज्यादा नाइट्रोजन होगा उतना ही ज्यादा इकोसिस्टम तेज तेजी से इवॉल्व होगा और डायरेक्टली एटमॉस्फेयर भी क्लीन होगा।

    एक रोबोटिक लैबोरेट्री-

    लेकिन क्योंकि इन्हें हाल ही में डिक्टेट किया गया है, इसीलिए अब तक इन प्लैनेट्स की डिटेल इनफॉरमेशन साइंटिस्ट्स के पास भी नहीं है, पर जेंम्स स्वेट स्पेस टेलीस्कोप की मदद से अभी भी इस पर रिसर्च शुरू है। लेकिन इन दोनों प्लैनेट्स को छोड़कर ऐसे भी कई प्लैनेट्स हैं जो अर्थ के मुकाबले ज्यादा हैबिटेबल हैं। एक्सट्रीमली ज्यादा नहीं पर काफी ज्यादा। तो चलिए देखते हैं कि इस कैटेगरी में आखिर कौन-कौन से प्लैनेट्स फोल होते हैं। पहले है LHS114O B ए वेरी सेल्फ कॉन्फिडेंट।दरअसल इस प्लेनेट कोड 20th अप्रैल 2017 में एम अर्थ प्रोजेक्ट के तहत ट्रांसिट मेथड के जरिए डिस्कवर किया गया था। बेसिकली एम अर्थ प्रोजेक्ट एक रोबोटिक लैबोरेट्री है और यह लैबोरेट्री रेड ड्रॉप्स स्टार के ब्राइटनेस को ऑब्जर्व करती है। जिसका मेन गोल है फाइंडिंग ट्रांजिशनिंग प्लेनेट्स, जो रेड ड्रॉफ्स के सामने से गुजर रहे हो। क्योंकि रेड ड्रॉप स्मॉल होते हैं और इसीलिए अगर कोई भी प्लेनेट उनके सामने से गुजरता है तो वह प्लेनेट का लार्जर पोर्शन कवर कर लेता है। इसी मेथड से इस प्लेनेट को भी डिस्कवर किया गयाष डिस्कवरी के बाद जब इस प्लेनेट के सरफेस को स्टडी किया गया, तब यह बात सामने आई कि इस प्लेनेट के आयरन निकेल ने इस पूरे प्लेनेट के 75% लैंडमार्क को भी कवर किया है, इन द फॉर्म ऑफ़ लावा। लेकिन असली ट्वीस्ट तो यह है कि लैंडमार्क गर्म तपते लावा का होने के बावजूद साइंटिस्ट को इसके कोर के नीचे चार पर्सेंट पानी मिला और उनके अनुसार यहां पूरे लैंडमार्क के नीचे और भी भारी मात्रा में पानी मौजूद हैं। इससे कई सारे एस्ट्रॉनॉमर्स ने यह भी अनुमान लगाया है कि देयर कोड इवन बी एन अंडरग्राउंड वॉटर वर्ल्ड और न सिर्फ यह बल्कि और अगर हम इसके एटमॉस्फेयर की बात करें तो इसके मैसिवनेस की वजह से यहां पर ग्रीन हाउस इफेक्ट ने एटमॉस्फेयर के साथ एक अच्छा बैलेंस बनाए रखा है।

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    एक्स्ट्रा क्राइटेरिया-

    अगला प्लेनेट तो ऐसा है कि साइंटिस्टों को वह इतना हैबिटेबल लग रहा है कि उन्होंने उस प्लेनेट को एक्स्ट्रा क्राइटेरिया लाइफ की जांच पड़ताल करने के लिए कई सारे मैसेज भी भेजे हैं और वह प्लेनेट है लूइटन बी। 17 मार्च 2017 में इस प्लेनेट को रेडियल वेलोसिटी की मदद से डिस्कवर किया गया। बेसिकली रेडियल वेलोसिटी मेथड में होता यह है कि दूसरे स्टार्स के रिस्पेक्टिव किसी एक स्तर के पोजीशन को ऑब्जर्व किया जाता है। अगर स्टार की पोजीशन कंटीन्यूअस आगे पीछे हो रही हो इसका मतलब उस सिस्टम में कोई तो मैसिव प्लेनेट एक्जिस्ट करता है, जो उस स्टार को ग्रेविटेशनली इनफ्लुएंस कर रहा है।जब इस प्लेनेट को ऑब्जर्व किया गया तब इस प्लेनेट को स्टडी करते हुए ऐसा नोटिस किया गया था कि प्लेनेट पर वॉटर कंटेंट बहुत ही भारी मात्रा में मौजूद है। इन फैक्ट यहां पर किसी भी लाइफ के लिए एसेंशियल मटेरियल जैसे अमीनो एसिड और हाइड्रोकार्बन भी भारी मात्रा में मौजूद है। इन शॉर्ट यह प्लेनेट परफेक्ट है, शायद ऐसा भी हो सकता है कि इस प्लेनेट के परफेक्शन के पीछे की में वजह कोई एडवांस सिविलाइजेशन हो। इसीलिए अक्टूबर 2017 और 2018 में मैसेजिंग एक्स्ट्रेरेसट्रीयल इंटेलिजेंस और मैटी ऑर्गेनाइजेशन ने अलग-अलग मैसेज इस प्लेनेट पर भेजे हैं और इन उनमें से एक मैसेज था शॉर्ट म्यूजिकल कंपोजिशन, दूसरा मैसेज था साइंटिफिक ट्यूटोरियल अबाउट आर लोकेशन इन द यूनिवर्स, इंटरेस्टिंग है ना। जिसका मतलब है कि लूइटन बी पर इंटेलिजेंस लाइफ प्रेजेंट है तो हम श्योरली यह कह सकते हैं कि एक दिन यह सब सुनकर आपको एक अंदाजा तो लग रहा होगा कि साइंटिस्ट किस लेवल पर काम कर रहे हैं।

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    साइंटिस्ट आर एक्सट्रीमली क्यूरियस-

    हमें ऐसा लगता है कि साइंटिस्ट इतने एप्रोप्रिएटली खोज भी नहीं कर रहे हैं दूसरे प्लैनेट्स के एलियंस की। लेकिन सच में बड़े स्केल पर यह सब काम होता है। साइंटिस्ट आर एक्सट्रीमली क्यूरियस अबाउट यूनिवर्स, तो यह सब तो बात की हमने कुछ सुपर हैबिटेबल प्लेनेट की। हमें बिलीव करना चाहिए कि हमारे सोलर सिस्टम में भी एक ऐसा सेलीस्टियल बॉडी है जो की सुपर हैबिटेबल कैटेगरी में आता है और हम बात कर रहे हैं कॉलिस्टो की। यह है सेकंड लार्जेस्ट मून जुपिटर इसमें एक वाइट स्पॉट देखने को मिला है जो बर्फ है। सबसे पहले इस मून को डेड ईनएक्टिव रॉकी बॉडी घोषित किया गया था। लेकिन 1990 में यह साबित हुआ की कैलिस्टों के इस सरफेस के नीचे साल्टी ओसियन प्रेजेंट है और बहुत ही जल्द इस ओसियन को रोकी प्रोपेलेंट बनाने के प्रक्रिया में इस्तेमाल किया जाने वाला है और सिर्फ यही नहीं एस्टॉनोमर्स ने इस मून के ऊपर एक एटमॉस्फेयर को भी डिटेक्ट किया है। उनका स्पैक्यूलेशन की ह्यूमंस इस प्लेनेट पर आसानी से सांस ले सकते हैं। बस यहां पर एक छोटी सी प्रॉब्लम है, जुपिटर से आ रही हाई अमाउंट ऑफ़ रेडियंस। अगर हमने बस इसका हल निकाल लिया तो कॉलिस्टो हैज़ ऑल द इंग्रेडिएंट्स टू बी ए सुपर हैबिटेबल प्लेने। ग्रेट एटमॉस्फेयर, वाटर, लो ग्रेविटी एंड एवरीथिंग। आपको क्या लगता है क्या मांस के बाद कॉलिस्टो एक नई ह्यूमन कॉलोनी बन सकता है, इन द फ्यूचर कमेंट में जरूर बताएं।