Flood 2025: चाइना से लेकर इंडिया, पाकिस्तान और जापान तक 2025 में हर जगह बाढ़ का तांडव देखने को मिल रहा है। पहली नजर में लगता है, कि यह सिर्फ प्रकृति का गुस्सा है, लेकिन हकीकत कुछ और ही है। इस भयानक स्थिति के पीछे चार मुख्य कारण हैं, जो बेहद चिंताजनक हैं।
पहला कारण ग्लोबल वार्मिंग की मार-
सबसे पहले और सबसे बड़ा कारण है, ग्लोबल वार्मिंग। 1900 से लेकर अब तक दुनिया का तापमान कम से कम 1.5 डिग्री सेल्सियस बढ़ चुका है। यह आंकड़ा सुनने में छोटा लग सकता है, लेकिन इसके परिणाम भयानक हैं। जब भी धरती का तापमान 1 डिग्री बढ़ता है, तो वायुमंडल में 7% अधिक नमी स्टोर होने लगती है। इसका सीधा मतलब यह है, कि आने वाले समय में बारिश और बाढ़ और भी तेजी से आएंगे।
दूसरा कारण वेटलैंड्स का नुकसान-
दूसरी बड़ी समस्या है, वेटलैंड्स यानी दलदली जमीनों का तेजी से खत्म होना। 1970 से अब तक 35% वेटलैंड्स खत्म हो चुके हैं। यह एक गंभीर मुद्दा है, क्योंकि वेटलैंड्स प्राकृतिक स्पंज का काम करते हैं और बारिश का पानी अवशोषित करते हैं। दिल्ली की बात करें, तो यमुना के फ्लड प्लेन का काफी हिस्सा बिल्डरों द्वारा कब्जा कर लिया गया है। जब पानी को जाने की जगह ही नहीं मिलेगी, तो वह घरों में घुसना तो तय है। यही वजह है, कि शहरी इलाकों में थोड़ी सी बारिश में भी जलभराव हो जाता है।
तीसरा कारण ग्लेशियर लेक्स का बढ़ता खतरा-
तीसरा और सबसे डरावना कारण है, ग्लेशियर लेक्स का बढ़ता साइज। 1990 से अब तक ग्लेशियर लेक्स का वॉल्यूम 50% तक बढ़ गया है। ग्लोबल सी लेवल ऑल टाइम हाई पर है। जकार्ता जैसे शहर हर साल 25 सेंटीमीटर की रफ्तार से डूब रहे हैं। सबसे चिंताजनक बात यह है, कि हिमालय में 400 से ज्यादा ग्लेशियर लेक्स किसी भी समय फटने के लिए तैयार बैठे हैं। यह हर ग्लेशियर और हर समुद्र में एक टिकिंग टाइम बम की तरह है। जब ये फटेंगे तो तबाही अकल्पनीय होगी।
चौथा कारण जल युद्ध की राजनीति-
सबसे डार्क और चिंताजनक बात यह है, कि कुछ देशों के एक्सपर्ट्स का मानना है, कि कुछ रिवर और डैम डायवर्जन सिर्फ कुछ कंट्रीज और स्टेट्स को कमजोर करने के लिए यूज हो रहे हैं। फ्लड्स अब सिर्फ एक नैचुरल डिजास्टर नहीं रह गए हैं, बल्कि ये एक वेपन की तरह भी इस्तेमाल हो रहे हैं।
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पंजाब की बाढ़-
हाल ही में पंजाब में आई बाढ़ को लेकर सवाल उठ रहा है, कि क्या यह ग्लोबल वार्मिंग का नतीजा था? एक्सपर्ट्स का कहना है, कि यह वार्निंग नहीं बल्कि काउंटडाउन है। अगर अभी भी सिस्टम चेंज नहीं किया गया, तो आने वाले समय में बाढ़ सिर्फ घरों को नहीं डुबाएगी, बल्कि पूरी सभ्यता को ही डुबा देगी।
समय की मांग है, कि हम इस समस्या को गंभीरता से लें। क्लाइमेट चेंज, वेटलैंड्स का संरक्षण, और अंतरराष्ट्रीय सहयोग – ये सभी जरूरी हैं। अगर अभी भी नहीं जागे तो यह धरती हमारे लिए रहने लायक नहीं रह जाएगी। यह सिर्फ एक न्यूज नहीं है, बल्कि हमारे भविष्य की चेतावनी है। हम सभी को मिलकर इस चुनौती का सामना करना होगा, वरना आने वाली पीढ़ियां हमें माफ नहीं करेंगी।
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