Sangram Jagtap Controversy: महाराष्ट्र में त्योहारी सीजन के बीच एक विवाद सामने आया है, जब राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के विधायक संग्राम जगताप के दिवाली शॉपिंग को लेकर दिए गए, कथित बयान ने सियासी बवाल खड़ा कर दिया। शनिवार को उपमुख्यमंत्री और NCP प्रमुख अजित पवार ने स्पष्ट किया, कि पार्टी इस तरह के बयानों को बर्दाश्त नहीं करेगी और जगताप को शो-कॉज नोटिस जारी किया जाएगा।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, अहमदनगर विधानसभा क्षेत्र से विधायक संग्राम जगताप ने लोगों से दिवाली के त्योहारी सीजन में केवल हिंदू दुकानदारों और व्यापारियों से ही खरीदारी करने की अपील की थी। इस बयान ने तुरंत विवाद को जन्म दिया और विभिन्न तबकों से इसकी आलोचना शुरू हो गई। जब यह मामला अजित पवार के संज्ञान में आया, तो उन्होंने तुरंत सख्त रुख अपनाते हुए इसे पार्टी की नीतियों के खिलाफ बताया।
अजित पवार ने दिया सख्त संदेश-
अंग्रेज़ी समाचार वेबसाइट इंडिया टूडे के मुताबिक, पत्रकारों से बातचीत करते हुए, अजित पवार ने साफ शब्दों में कहा, कि जगताप का यह बयान पूरी तरह से गलत है। उन्होंने कहा, “जब पार्टी की नीतियां और उद्देश्य पहले से ही तय हैं, तो किसी भी विधायक को इस तरह की टिप्पणी नहीं करनी चाहिए। यह पार्टी के लिए स्वीकार्य नहीं है। हम उन्हें शो-कॉज नोटिस भेजेंगे।”
पिता की परछाई से बाहर आने की जरूरत-
अजित पवार ने अपनी टिप्पणी में संग्राम जगताप के पिता अरुणकाका जगताप का भी जिक्र किया, जो पार्टी के एक वरिष्ठ और सम्मानित नेता थे। अजित पवार ने कहा, “जब तक अरुणकाका जगताप जीवित थे, अहिल्यानगर (पूर्व में अहमदनगर) में सब कुछ ठीक था। हम एक अतिरिक्त बोझ महसूस कर रहे हैं। कुछ व्यक्तियों को यह याद रखना चाहिए, कि अपने पिता के संरक्षण की अनुपस्थिति में, उन्हें जिम्मेदारी से व्यवहार और बात करनी चाहिए।”
त्योहारी सीजन में क्यों जरूरी है सद्भाव-
भारत एक बहुसांस्कृतिक और बहुधार्मिक देश है, जहां विभिन्न समुदायों के लोग मिलजुलकर रहते हैं और व्यापार करते हैं। दिवाली का त्योहार न केवल हिंदुओं का बल्कि पूरे भारत का त्योहार है। इस समय बाजारों में हर धर्म और समुदाय के व्यापारी अपनी दुकानें सजाते हैं और ग्राहकों का स्वागत करते हैं।
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महाराष्ट्र जैसे राज्य में जहां विभिन्न समुदायों का सह-अस्तित्व सदियों से रहा है, ऐसे बयान विशेष रूप से खतरनाक हो सकते हैं। दुकानदार और व्यापारी चाहे किसी भी धर्म के हों, वे सभी अर्थव्यवस्था का हिस्सा हैं और समाज की प्रगति में योगदान देते हैं। त्योहारी सीजन में तो सभी व्यापारियों को समान अवसर मिलना चाहिए और ग्राहकों को उत्पाद की गुणवत्ता और कीमत के आधार पर खरीदारी करनी चाहिए, न कि किसी धार्मिक आधार पर।
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