Uttar Pradesh Crime
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    Uttar Pradesh Crime: शनिवार को उत्तर प्रदेश के बागपत जिले में एक ऐसी दर्दनाक घटना सामने आई, जिसने पूरे इलाके को हिला कर रख दिया। मदरसे में पढ़ने वाले दो नाबालिग छात्रों ने अपने उस्ताद द्वारा दी गई, सजा से नाराज होकर उनके परिवार को अपना निशाना बनाया। मौलाना इब्राहिम की पत्नी इसराना और उनकी दो मासूम बेटियों सोफिया और सुमैया को बेरहमी से मार डाला गया। यह घटना बागपत के गंगनौली गांव में स्थित एक मस्जिद-निवास में घटी, जहां मौलाना अपने परिवार के साथ रहते थे।

    देवबंद से लौटे तो मिली तबाही की खबर-

    जिस समय यह दर्दनाक वारदात हो रही थी, मौलाना इब्राहिम देवबंद में एक ऑफिशियल यात्रा में शामिल थे, जहां तालिबान के विदेश मंत्री अमीर खान मुत्तकी की मुलाकात हो रही थी। जब तक वे घर लौटे, पुलिस पहले ही मस्जिद के ऊपर बने कमरे को सील कर चुकी थी और फोरेंसिक टीम अपना काम कर रही थी। रविवार शाम को नमाज़ पढ़ाने के बाद मस्जिद के फर्श पर बैठे मौलाना इब्राहिम बिल्कुल टूट चुके थे। उन्होंने कहा, “मेरी ज़िंदगी खत्म हो गई।

    छोटी सी गलती का भयानक बदला-

    पुलिस के अनुसार, यह जघन्य अपराध मौलाना इब्राहिम के दो छात्रों ने किया, जिनकी उम्र महज 13 और 14 साल है। शनिवार की सुबह मौलाना ने इन दोनों लड़कों को उनके स्कूल का काम याद न करने पर डांटा और सजा दी थी। कुछ घंटों बाद, गुस्से में आकर इन नाबालिगों ने मस्जिद-निवास में वापस जाकर इस भयानक कृत्य को अंजाम दिया। उन्होंने हथौड़े और चाकू का इस्तेमाल करते हुए निर्दोष परिवार पर हमला किया।

    दोनों लड़के उस कमरे में घुस गए जब मौलाना की गर्भवती पत्नी और उनकी बेटियां सो रही थीं। हत्या के बाद, उन्होंने बाहर भीड़ में घुलने की कोशिश की और शोक मनाने का नाटक करते रहे। लेकिन पुलिस की तेज़ कार्रवाई ने जल्द ही इस मामले को सुलझा लिया। CCTV फुटेज और फिंगरप्रिंट एविडेंस की मदद से दोनों आरोपियों को पकड़ लिया गया।

    आरोपियों ने कबूला अपना गुनाह-

    एसपी ने बताया, कि दोनों संदिग्धों ने अपने अपराध को स्वीकार कर लिया है। “उन्होंने माना. कि मौलाना अक्सर उन्हें डांटते थे और उन्होंने दोपहर करीब 1 बजे उनके परिवार पर हमला किया। औपचारिक मामला दर्ज किया जा रहा है और आगे की जांच चल रही है।

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    मौलाना इब्राहिम और उनकी पत्नी करीब 250 बच्चों को पढ़ाते थे, जिनमें से कई आर्थिक रूप से कमज़ोर पृष्ठभूमि से थे। कुछ बच्चे सिर्फ धार्मिक शिक्षा के लिए ही आते थे। गांव के लोगों ने युवाओं के व्यवहार और अनुशासन में आए बदलाव पर चिंता जताई। एक ग्रामीण ने कहा, “पहले शिक्षक बच्चों को डांट सकते थे और माता-पिता इसे स्वीकार करते थे। अब बच्चों में गुस्सा है लेकिन समझ नहीं है।”

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