Delhi NCR AQI
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    Delhi NCR AQI: सोमवार की सुबह राजधानी दिल्ली और उसके आसपास के इलाकों पर धुंध की एक मोटी चादर छाई रही। हवा की गुणवत्ता ‘बहुत खराब’ श्रेणी में बनी रही, जबकि कई इलाके ‘रेड जोन’ के दायरे में आ गए। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) की वेबसाइट पर उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, सुबह 8 बजे राष्ट्रीय राजधानी में एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 345 पर दर्ज किया गया। यह आंकड़ा दिल्लीवासियों के लिए एक बार फिर चिंता का सबब बन गया है, क्योंकि शहर के अधिकांश हिस्सों में AQI का स्तर 300 से 400 के बीच रहा।

    शहर के हर कोने में जहरीली हवा का कहर-

    दिल्ली के विभिन्न इलाकों में हवा की गुणवत्ता बेहद खराब से गंभीर श्रेणी में दर्ज की गई। आनंद विहार में AQI 379 पर पहुंच गया, जबकि दिल्ली एयरपोर्ट क्षेत्र में यह 307 रहा। ITO इलाके में AQI 375 दर्ज किया गया, पंजाबी बाग में 324, वजीरपुर में 397, और रोहिणी में 390 रहा। सबसे चिंताजनक स्थिति बवाना की रही, जहां AQI 412 के साथ ‘गंभीर’ श्रेणी में 400 का आंकड़ा पार कर गया।

    पड़ोसी क्षेत्रों में भी स्थिति कुछ बेहतर नहीं रही। फरीदाबाद में AQI 312, गाजियाबाद में 318, ग्रेटर नोएडा में 325, गुरुग्राम में 328, और नोएडा में 310 दर्ज किया गया। ये सभी इलाके ‘बहुत खराब’ श्रेणी में आते हैं। यह साफ दिखता है, कि पूरा NCR एक बार फिर प्रदूषण की चपेट में है और लाखों लोग जहरीली हवा में सांस लेने को मजबूर हैं।

    AQI का मतलब समझें-

    AQI के आंकड़ों को समझना बेहद जरूरी है ताकि आप अपनी और अपने परिवार की सुरक्षा के लिए सही कदम उठा सकें। 0 से 50 के बीच AQI को ‘अच्छा’ माना जाता है, 51 से 100 ‘संतोषजनक’, 101 से 200 ‘मध्यम’, 201 से 300 ‘खराब’, 301 से 400 ‘बहुत खराब’, 401 से 450 ‘गंभीर’ और 450 से ऊपर ‘गंभीर प्लस’ श्रेणी में आता है।

    दिल्ली में फिलहाल जो स्थिति है, वह ‘बहुत खराब’ से ‘गंभीर’ के बीच झूल रही है। इसका मतलब है, कि बाहर निकलना सेहत के लिए खतरनाक हो सकता है, खासकर बच्चों, बुजुर्गों और सांस की बीमारियों से पीड़ित लोगों के लिए। ऐसे में N95 मास्क पहनना और बाहरी गतिविधियों को सीमित करना बेहद जरूरी है।

    अक्षरधाम से बारापुल्लाह तक धुंध का साम्राज्य-

    राजधानी के प्रमुख इलाकों से मिली तस्वीर में धुंध की मोटी परत साफ दिखाई दी। अक्षरधाम में स्थिति सबसे भयावह रही, जहां AQI 479 दर्ज किया गया। यह आंकड़ा ‘गंभीर प्लस’ श्रेणी में आता है और बेहद चिंताजनक है। बारापुल्लाह ब्रिज से मिली तस्वीरों में भी घना कोहरा देखा गया, जहां जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम क्षेत्र के आसपास AQI ‘बहुत खराब’ श्रेणी में बना रहा।

    लोधी रोड इलाके में, जहां हवा की गुणवत्ता 314 पर थी, अधिकारियों ने स्मॉग की चादर को कम करने के लिए पानी का छिड़काव किया। हालांकि एक्सपर्ट्स का मानना है, कि यह एक टैंप्रेरी उपाय है और इससे स्थायी समाधान नहीं मिल सकता। असली जरूरत प्रदूषण के स्रोतों पर नियंत्रण की है, न कि सिर्फ इसके लक्षणों से निपटने की।

    आने वाले दिनों में भी नहीं मिलेगी राहत-

    मौसम विभाग के पूर्वानुमान ने उम्मीदों पर पानी फेर दिया है। विभाग ने संकेत दिया है, कि आने वाले दिनों में भी समग्र हवा की गुणवत्ता ‘बहुत खराब’ श्रेणी में ही रहने की संभावना है। इसका मतलब है, कि दिल्ली-NCR के लोगों को अभी कई दिनों तक इस जहरीली हवा के साथ जीना होगा।

    सर्दियों की शुरुआत के साथ ही दिल्ली में प्रदूषण का संकट गहराता जाता है। ठंड में हवा की गति धीमी हो जाती है, जिससे प्रदूषक तत्व हवा में लटके रहते हैं और नीचे नहीं बैठ पाते। इस मौसम में स्टबल बर्निंग, वाहनों का उत्सर्जन, निर्माण कार्य, और इंडस्ट्रियल एक्टिविटिज़ सब मिलकर प्रदूषण को और बढ़ा देते हैं।

    स्वास्थ्य पर असर बचाव के उपाय जरूरी-

    इतने उच्च स्तर का प्रदूषण सीधे तौर पर लोगों की सेहत को प्रभावित करता है। सांस की तकलीफ, आंखों में जलन, सिरदर्द, और थकान जैसी समस्याएं आम हो जाती हैं। लंबे समय तक इस तरह की हवा में सांस लेने से फेफड़ों और हृदय से जुड़ी गंभीर बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।

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    ऐसे में जरूरी है, कि लोग सुबह-शाम बाहर निकलने से बचें, जब प्रदूषण का स्तर सबसे ज्यादा होता है। घर के अंदर एयप प्योरिफायर का इस्तेमाल करें, N95 या N99 मास्क पहनें और हरी सब्जियों और फलों का सेवन बढ़ाएं, जो इम्युनिटी को मजबूत करते हैं। साथ ही, सरकार से यह मांग करना भी जरूरी है, कि वह प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए ठोस और दीर्घकालिक कदम उठाए, न कि सिर्फ मौसमी उपाय करे। दिल्ली के लोगों को साफ हवा में सांस लेने का हक है, और यह सुनिश्चित करना सरकार की जिम्मेदारी है।

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