Faridabad News: देश की राजधानी दिल्ली से सटे फरीदाबाद में एक बड़े आतंकी हमले की साजिश को नाकाम कर दिया गया है। जम्मू-कश्मीर पुलिस ने इंटेलिजेंस ब्यूरो और फरीदाबाद पुलिस के साथ मिलकर ऐसा ऑपरेशन अंजाम दिया, जिसने शायद उत्तर भारत में एक बड़ी तबाही को रोक दिया। रविवार को फरीदाबाद के धौज गांव में एक किराए के मकान से करीब 350 किलोग्राम विस्फोटक सामग्री, एक AK-47 राइफल और गोला-बारूद का बड़ा जखीरा बरामद किया गया। जो चीज इस पूरे मामले को और भी चौंकाने वाला बनाती है, वह यह है, कि इस साजिश में दो डॉक्टर शामिल थे जो जम्मू-कश्मीर से ताल्लुक रखते हैं।
मेडिकल छात्र के किराए के घर से मिला विस्फोटकों का जखीरा-
पुलिस सूत्रों के मुताबिक, यह विस्फोटक सामग्री डॉ मुजाहिल शाकिल के घर से बरामद की गई, जो अल फलाह मेडिकल कॉलेज के छात्र हैं और मूल रूप से जम्मू-कश्मीर के रहने वाले हैं। डॉ शाकिल ने तीन महीने पहले धौज गांव में यह मकान किराए पर लिया था। सवाल यह उठता है, कि एक मेडिकल छात्र को इतनी बड़ी मात्रा में विस्फोटकों की क्या जरूरत थी? जवाब खतरनाक है और यह एक बड़ी आतंकी साजिश की ओर इशारा करता है।
बरामद सामान की सूची देखकर रूह कांप जाती है। पुलिस अधिकारियों के अनुसार, इस कार्रवाई में करीब 100 किलोग्राम वजनी अमोनियम नाइट्रेट से भरे 14 बैग, 84 जिंदा कारतूस, एक AK-47 राइफल, टाइमर और 5 लीटर रासायनिक घोल बरामद किया गया। सबसे खतरनाक बात यह है, कि कुल 48 ऐसी चीजें जब्त की गईं। जिनका इस्तेमाल घरेलू बम बनाने में किया जा सकता था। इन विस्फोटकों से कई खतरनाक बम बनाए जा सकते थे, जो बड़े पैमाने पर तबाही मचा सकते थे।
फरीदाबाद के पुलिस कमिश्नर सतेंद्र गुप्ता ने साफ किया, कि यह कार्रवाई जम्मू-कश्मीर पुलिस और खुफिया एजेंसी की टीम ने स्थानीय पुलिस की मदद से की। उन्होंने एक जरूरी जानकारी देते हुए कहा, “शुरुआत में आरडीएक्स की खबर थी, लेकिन यह अमोनियम नाइट्रेट है।” हालांकि अमोनियम नाइट्रेट भी उतना ही खतरनाक है और इसका इस्तेमाल कई बड़े आतंकी हमलों में किया जा चुका है।
कैसे पकड़ा गया यह आतंकी नेटवर्क-
यह कहानी 30 अक्टूबर से शुरू होती है, जब जम्मू-कश्मीर पुलिस ने डॉ आदिल अहमद राठेर को गिरफ्तार किया था। राठेर भी इसी आतंकी नेटवर्क से जुड़े हुए थे। उनकी गिरफ्तारी के बाद जब पूछताछ की गई, तो कई चौंकाने वाले खुलासे हुए। इसी पूछताछ के दौरान डॉ मुजाहिल शाकिल का नाम सामने आया और उन्हें भी 30 अक्टूबर को ही हिरासत में ले लिया गया। लगातार पूछताछ के बाद, रविवार सुबह शाकिल को फरीदाबाद लाया गया, ताकि छिपाई गई सामग्री की पहचान और बरामदगी की जा सके।
शुरुआती जांच से पता चलता है, कि ये दोनों व्यक्ति एक बड़े समूह का हिस्सा थे। इस नेटवर्क के सीमापार संबंध होने का संदेह है और इसका मकसद उत्तर भारत में बड़े पैमाने पर हमले करना था। यह सिर्फ दो लोगों की साजिश नहीं थी, बल्कि एक संगठित आतंकी नेटवर्क का हिस्सा था, जिसकी योजना बहुत बड़ी थी।
जम्मू-कश्मीर पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने इस बरामदगी को “एक बड़ी सफलता” बताया और कहा, कि इससे शायद एक बड़ा आतंकी हमला टल गया। उन्होंने आगे कहा, कि शुरुआती फोरेंसिक जांच से सामग्री की विस्फोटक प्रकृति की पुष्टि हो गई है और आगे की जांच जारी है। जब्त की गई चीजों को फोरेंसिक परीक्षण के लिए भेजा गया है।
कितना बड़ा था खतरा-
जानकारों के अनुसार, बरामद किए गए अमोनियम नाइट्रेट और अन्य सामग्री से कई खतरनाक बम बनाए जा सकते थे, जो बड़े पैमाने पर नुकसान करने में सक्षम थे। अगर यह साजिश कामयाब हो जाती, तो इसके परिणाम भयानक हो सकते थे। दिल्ली-एनसीआर जैसे घनी आबादी वाले इलाके में ऐसे हमले से हजारों लोगों की जानें जा सकती थीं।
यह सोचकर ही रोंगटे खड़े हो जाते हैं, कि ये विस्फोटक किसी भीड़-भाड़ वाली जगह, बाजार, मेट्रो स्टेशन या किसी सार्वजनिक कार्यक्रम में इस्तेमाल किए जा सकते थे। खुफिया एजेंसियां अब इस नेटवर्क के पैसे के स्रोत और सीमा के पार संचालकों से संभावित संबंधों की जांच कर रही हैं। सवाल यह है, कि इतनी बड़ी मात्रा में विस्फोटक कैसे लाए गए, पैसा कहां से आया और असली मास्टरमाइंड कौन है।
डॉक्टर होकर आतंकवाद की राह क्यों-
इस पूरे मामले में सबसे दुखद और चिंताजनक पहलू यह है, कि दोनों आरोपी डॉक्टर हैं। वे लोग जो जिंदगियां बचाने के लिए पढ़ाई कर रहे थे, वे जिंदगियां खत्म करने की साजिश में शामिल थे। डॉ आदिल अहमद राठेर और डॉ मुजाहिल शाकिल दोनों मेडिकल की पढ़ाई कर रहे थे। सवाल यह उठता है, कि ये युवा पढ़े-लिखे पेशेवर आतंकवाद की राह पर कैसे चले गए?
यह मामला हमारे समाज के सामने कई सवाल खड़े करता है। कट्टरता सिर्फ गरीबी या शिक्षा की कमी की वजह से नहीं होती। कई बार पढ़े-लिखे और सुविधा-संपन्न परिवारों के लोग भी चरमपंथी विचारधारा के शिकार हो जाते हैं। सोशल मीडिया, ऑनलाइन प्रचार और किसी खास तरह की विचारधारा में गहराई से प्रभावित होकर लोग ऐसे रास्ते पर चल पड़ते हैं जो न सिर्फ उनकी बल्कि समाज की भी तबाही का कारण बन सकते हैं।
ये भी पढ़ें- 20 करोड़ का स्मॉग टावर फिर भी पॉल्यूशन क्यों? जानिए दिल्ली के स्मॉग टावर्स की असलियत
आगे की जांच और सुरक्षा एजेंसियों की भूमिका-
पुलिस सूत्रों के अनुसार, आगे की जांच जारी है और कई सुरक्षा एजेंसियां इस मामले में शामिल होने जा रही हैं। राष्ट्रीय जांच एजेंसी यानी एनआईए भी इस जांच में शामिल होने की संभावना है। एनआईए की भागीदारी इस बात को दर्शाती है, कि यह मामला कितना गंभीर और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए कितना खतरनाक है।
खुफिया एजेंसियां अब पूरे नेटवर्क को उजागर करने में जुटी हैं। वे यह जानने की कोशिश कर रही हैं, कि इस समूह में और कितने लोग शामिल हैं, क्या और कहां सुप्त गुट हैं, पैसे का स्रोत क्या है और पाकिस्तान या किसी अन्य देश से संबंध है या नहीं। यह जांच लंबी चल सकती है, क्योंकि ऐसे मामलों में पूरे नेटवर्क को खोजना बेहद जरूरी होता है।
ये भी पढ़ें- Delhi NCR में दिखी धुंध की मोटी चादर, रेड ज़ोन के दायरे आए ये इलाके, AQI पहुंचा..



