West Bengal Voter List: पश्चिम बंगाल में मतदाता सूची को लेकर एक नया विवाद खड़ा हो गया है। चुनाव आयोग ने स्वीकार किया है, कि स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन यानी SIR के दौरान इस्तेमाल की गई ऐप में तकनीकी खामियों के कारण लाखों लोगों को साल 2002 की मूल वोटर लिस्ट से लिंक नहीं किया जा सका। जब 16 दिसंबर को ड्राफ्ट वोटर लिस्ट जारी हुई, तो पता चला, कि करीब 31 लाख लोगों के नाम या उनके माता-पिता या दादा-दादी के नाम 2002 की सूची में नहीं मिल पाए। ये वही साल था, जब बंगाल में आखिरी बार SIR किया गया था।
राज्य के अतिरिक्त मुख्य चुनाव अधिकारी ने सभी जिला चुनाव अधिकारियों को भेजे एक पत्र में स्पष्ट किया, कि 2002 की इलेक्टोरल रोल डेटा को PDF से CSV में अधूरे तरीके से बदलने के कारण BLO ऐप में कई मतदाताओं की लिंकेज नहीं मिल पाई। हालांकि इन मतदाताओं के नाम 2002 की हार्ड कॉपी में मौजूद हैं, जिसे DEO ने प्रमाणित भी किया है। पश्चिम बंगाल के मुख्य चुनाव अधिकारी मनोज कुमार अग्रवाल ने कहा, कि इस तकनीकी सुधार के बाद अनमैप्ड वोटर्स की संख्या निश्चित रूप से कम हो जाएगी।
राजनीतिक घमासान शुरू-
इस मुद्दे ने राजनीतिक बवाल खड़ा कर दिया है। तृणमूल कांग्रेस के नेता अरुप चक्रवर्ती ने आरोप लगाया, कि चुनाव आयोग BJP के इशारे पर काम कर रहा है। उन्होंने कहा, कि BJP ने पोल पैनल को लगभग 1.5 करोड़ मतदाताओं को सूची से हटाने का टारगेट दिया है। जब चुनाव आयोग की चालें बेनकाब हो जाती हैं, तो वे इसे तकनीकी खामी बता देते हैं। बंगाल की जनता को बेवजह परेशान किया जा रहा है।
दूसरी ओर, BJP के राज्य अध्यक्ष समीक भट्टाचार्य ने पलटवार करते हुए कहा, कि चुनाव आयोग अपना काम कर रहा है। राजनीतिक दलों को अपने बूथ लेवल एजेंटों के जरिए पोल पैनल की मदद करनी चाहिए। वोटर लिस्ट को साफ किया जा रहा है और अगर किसी को शिकायत है, तो वह चुनाव आयोग से संपर्क कर सकते हैं।
TMC सांसद के परिवार को भी नोटिस-
विवाद तब और बढ़ गया, जब शनिवार को सुनवाई की शुरुआत के पहले दिन TMC सांसद काकोली घोष दस्तीदार के परिवार के चार सदस्यों को भी नोटिस भेजा गया। इनमें उनकी मां, बहन और दो बेटे शामिल हैं। दस्तीदार ने कहा, कि अगर उनके परिवार के साथ ऐसा हो सकता है, तो आम लोगों का क्या होगा। हालांकि, चुनाव आयोग ने सोशल मीडिया पर स्पष्ट किया, कि एन्यूमरेशन फॉर्म में कोई लिंकेज नहीं दिखी, इसलिए उन्हें सुनवाई के लिए बुलाया गया।
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58 लाख नाम पहले ही हटाए जा चुके-
27 अक्टूबर 2025 तक पश्चिम बंगाल में कुल 7.66 करोड़ मतदाता थे। इनमें से 7.08 करोड़ के फॉर्म डिजिटाइज किए गए, लेकिन 58.2 लाख के फॉर्म एकत्र नहीं किए जा सके। इन 58 लाख में से 24.2 लाख की मृत्यु हो चुकी थी, 12.2 लाख लोग अनुपलब्ध या अन ट्रैकेबल थे और 19.9 लाख स्थायी रूप से शिफ्ट हो चुके थे। चुनाव आयोग के अधिकारियों ने बताया, कि जिन लोगों के नाम 2002 की हार्ड कॉपी में हैं, लेकिन ऐप में नहीं दिखे, उन्हें अब अनमैप्ड नहीं माना जाएगा।
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