Ambedkar Statue
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    Ambedkar Statue: मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में स्थित बारी गांव में एक ऐसी घटना घटी है जो पूरे समाज को झकझोर कर रख देगी। यह कहानी सिर्फ एक मूर्ति की नहीं, बल्कि सम्मान और अधिकारों की लड़ाई की है। एक छोटे से गांव में डॉक्टर भीमराव आंबेडकर की मूर्ति को लेकर जो नाटक खेला गया, वह किसी फिल्म की कहानी से कम नहीं है।

    Ambedkar Statue आपसी सहयोग से एक साहसिक कदम-

    10 मार्च को बारी गांव के लोगों ने अपने आपसी सहयोग से एक साहसिक कदम उठाया। उन्होंने गांव के बाहर डॉक्टर भीमराव आंबेडकर की एक प्रतिमा स्थापित की। यह एक सामूहिक निर्णय था जो गांव के लोगों की एकता और सम्मान का प्रतीक बन गया। लेकिन 12 मार्च की रात कुछ अज्ञात लोगों ने इस मूर्ति को चुरा लिया, जिससे पूरे गांव में एक तरह का आक्रोश और दर्द फैल गया।

    Ambedkar Statue भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा-

    13 मार्च की सुबह जब गांव के लोगों को इस बात का पता चला कि उनकी स्थापित की गई भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा को चोर ले गए हैं, तो उनके चेहरों पर दर्द और गुस्सा साफ नजर आ रहा था। तुरंत उन्होंने पुलिस को सूचना दी। देखते ही देखते गांव में दलित समुदाय के लोग एकत्र होने लगे। माहौल तनावपूर्ण था, लेकिन लोगों में एकता और संकल्प साफ झलक रहा था।

    पुलिस भी मौके पर तुरंत पहुंची। उसी दिन, उसी जगह पर गांव वालों के सहयोग से भीमराव अंबेडकर की मूर्ति को फिर से स्थापित किया गया। इस बार गांव वाले पिछली घटना से सीख लेकर पूरी तरह से सतर्क थे। मूर्ति के चारों ओर एक पिंजरा बनाया गया, ताकि किसी भी तरह की घटना को रोका जा सके।

    Ambedkar Statue सीसीटीवी कैमरे-

    सुरक्षा के लिए कई कदम उठाए गए। सीसीटीवी कैमरे लगाए गए जो हर गतिविधि पर नजर रखेंगे। जैसे ही कोई मूर्ति के पास आएगा, सायरन बज उठेगा। छतरपुर पुलिस ने पूरी तरह से अलर्ट मोड पर काम किया। गांव में लगातार पैट्रोलिंग की जा रही है। एक हेड कांस्टेबल और दो जवानों की टीम लगातार मूर्ति की सुरक्षा में तत्पर है। गांव के सरपंच आसाराम अहिरवार ने बताया कि उन्होंने मूर्ति चोरी के मामले में मुख्य शिकायत दर्ज कराई।

    पुलिस ने अब तक दो आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है और कुछ अन्य आरोपियों की तलाश जारी है। 5000 की आबादी वाले इस छोटे से गांव ने दिखाया है कि जब समुदाय एकजुट होता है, तो कोई भी शक्ति उसके संकल्प को नहीं तोड़ सकती।

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    न्याय और समानता-

    यह घटना सिर्फ एक मूर्ति की सुरक्षा का मामला नहीं है। यह एक बड़े सामाजिक संदेश का प्रतिनिधित्व करती है - सम्मान, न्याय और समानता के लिए लगातार संघर्ष करते रहने का। डॉक्टर अंबेडकर के प्रति सम्मान और उनके विचारों के प्रति निष्ठा यहां साफ झलकती है। बारी गांव की यह कहानी हमें याद दिलाती है कि सामाजिक न्याय और मानवीय गरिमा के लिए हमें हमेशा सतर्क और एकजुट रहना होगा। डॉक्टर अंबेडकर के विचार और संघर्ष आज भी हमारे समाज को प्रेरित करते हैं। यह घटना दर्शाती है कि समाज में परिवर्तन की चाह रखने वाले लोग कभी हार नहीं मानते।

    गांव के लोगों ने अपनी एकता और दृढ़ संकल्प से यह संदेश दिया है कि सम्मान और न्याय के लिए संघर्ष करना हमेशा जारी रहेगा। डॉक्टर अंबेडकर के विचारों को जीवंत रखने और उनके सपनों को साकार करने की दिशा में यह एक छोटा लेकिन महत्वपूर्ण कदम है।

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