Haryana Clean Air Project: हरियाणा ने वायु प्रदूषण से निपटने के लिए अब तक की सबसे बड़ी पहल शुरू की है। वर्ल्ड बैंक के साथ मिलकर राज्य सरकार ने 3,600 करोड़ रुपये के बजट के साथ ‘हरियाणा क्लीन एयर प्रोजेक्ट फॉर सस्टेनेबल डेवलपमेंट’ लॉन्च किया है। अधिकारियों का कहना है, कि यह प्रोजेक्ट अगले पांच सालों में NCR की हवा की गुणवत्ता में बड़ा सुधार लाएगा। यह योजना सिर्फ कागजों पर नहीं है, बल्कि खेतों से लेकर फैक्ट्रियों तक हर स्तर पर ठोस कदम उठाने का वादा करती है।
इंडस्ट्रीज और ट्रांसपोर्ट में होगा बड़ा बदलाव-
इस महत्वाकांक्षी योजना के तहत 1,000 इंडस्ट्रीज को नए बॉयलर खरीदने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा, जो PNG, CNG या गैसीय ईंधन पर चलेंगे। साथ ही 1,000 DG सेट्स को हाइब्रिड या ड्यूल फ्यूल मोड में कन्वर्ट किया जाएगा। प्रदूषण फैलाने वाले पुराने डीजल वाहनों को चरणबद्ध तरीके से हटाया जाएगा और उनकी जगह साफ सुथरे इलेक्ट्रिक वाहन लाए जाएंगे।
राज्य में 500 ई-बसों की खरीद की जाएगी और डीजल ऑटो को धीरे-धीरे बंद करते हुए 50,000 ई-ऑटो को प्रोत्साहन दिया जाएगा। यह कदम न सिर्फ हवा को साफ बनाएगा, बल्कि शहरों में आवाजाही को भी ज्यादा सस्टेनेबल बनाएगा। सोचिए, जब हजारों ऑटो और बसें बिना धुआं छोड़े सड़कों पर दौड़ेंगी तो सांस लेना कितना आसान हो जाएगा।
कमांड सेंटर से होगी रियल टाइम मॉनिटरिंग-
प्रदूषण को ट्रैक करने के लिए एक अत्याधुनिक मॉनिटरिंग इंफ्रास्ट्रक्चर और कमांड एंड कंट्रोल सेंटर स्थापित किया जाएगा। सड़कों से उठने वाली धूल को कम करने के लिए 500 किलोमीटर डस्ट-फ्री रोड का निर्माण किया जाएगा। इंडस्ट्रियल क्लस्टर्स में दो कॉमन बॉयलर लगाए जाएंगे और ईंट भट्टों से निकलने वाले प्रदूषण को कम करने के लिए पायलट बेसिस पर दो टनल किल्न्स स्थापित किए जाएंगे।
हवा की गुणवत्ता को लगातार मापने के लिए 10 कंटीन्यूअस एंबिएंट एयर क्वालिटी मॉनिटरिंग स्टेशन और एक मोबाइल वैन लगाई जाएगी, जो रियल टाइम में प्रदूषण के स्रोत की पहचान कर सकेंगे। यह टेक्नोलॉजी सरकार को तुरंत यह बताएगी कि प्रदूषण कहां से आ रहा है और किस इलाके में कार्रवाई की जरूरत है।
पराली जलाने में आई बड़ी कमी-
चार दिसंबर को पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के सचिव तन्मय कुमार की अध्यक्षता में हुई दिल्ली NCR में वायु प्रदूषण नियंत्रण की समीक्षा बैठक में हरियाणा सरकार ने ये योजनाएं साझा कीं। बैठक में शॉर्ट-टर्म और लॉन्ग-टर्म दोनों तरह के उपायों पर चर्चा की गई।
पराली जलाने की समस्या से निपटने के लिए राज्य ने 10,028 नोडल ऑफिसर्स को सीधे किसान ग्रुप्स से जोड़ा और गांव स्तर पर एक अभूतपूर्व मॉनिटरिंग सिस्टम खड़ा किया। सितंबर से नवंबर 2025 के बीच सिर्फ 662 एक्टिव फायर लोकेशन दर्ज की गईं, जो पिछले साल के 1,406 मामलों से 52.9% कम है। यह आंकड़ा बताता है कि सख्ती और जागरूकता दोनों का असर दिखने लगा है।
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किसानों को मिल रहे हैं प्रोत्साहन-
238 वेरिफाइड मामलों में अधिकारियों ने एनवायरनमेंटल कंपनसेशन लगाया, FIR दर्ज कीं और जमीन के रिकॉर्ड में अनिवार्य रेड-एंट्री की। लेकिन सरकार ने सिर्फ डंडा नहीं चलाया, बल्कि गाजर भी दी। किसानों को इन-सीटू रेसिड्यू मैनेजमेंट के लिए 1,200 रुपये प्रति एकड़, क्रॉप डाइवर्सिफिकेशन के लिए 8,000 रुपये प्रति एकड़ और डायरेक्ट सीडिंग ऑफ राइस अपनाने के लिए 4,500 रुपये प्रति एकड़ दिए गए।
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5.6 लाख से ज्यादा किसानों ने 39.3 लाख एकड़ जमीन पर रेसिड्यू मैनेजमेंट सपोर्ट के लिए रजिस्ट्रेशन कराया। सरकार ने बताया, कि इन प्रोत्साहनों के लिए 471 करोड़ रुपये का भुगतान होने का अनुमान है। यह दिखाता है कि जब किसानों को सही विकल्प और आर्थिक मदद मिलती है, तो वे पराली जलाने से बचते हैं।



