Gupt Navratri 2025
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    Gupt Navratri 2025: मंगलवार 7 जनवरी 2025 से देवी शाकंभरी को समर्पित एक अनूठा पवित्र त्यौहार शाकंभरी नवरात्रि शुरू हो रहा है और सोमवार 13 जनवरी 2025 को यह खत्म होगा। पौष शुक्ल अष्टमी से पोष पूर्णिमा तक चलने वाला यह उत्सव पूरे भारत में खूब धूमधाम से मनाया जाता है। इसका बहुत सांस्कृत महत्व माना गया है। शाकंभरी नवरात्रि पोष मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से शुरू होती है। जिसे बनदा अष्टमी या बनदाष्टमी के नाम से भी जाना जाता है। अधिकांश नवरात्रि शुक्ल प्रतिपदा से शुरू होती है। लेकिन शाकंभरी नवरात्रि अष्टमी से शुरू होकर पूर्णिमा पर समाप्त होती है। यह विशिष्ट विशेषता इसे छोटा बनाती है, जो 8 दिनों तक चलती है। हालांकि कुछ सालों में चंद्र कैलेंडर अलग-अलग होने की वजह से यह सात या नौ दिनों तक चल सकती है।

    पूजनीय अवतार(Gupt Navratri 2025)-

    शाकंभरी देवी मां भगवती का एक पूजनीय अवतार है। हिंदू पौराणिक कथाओं के मुताबिक, वह एक विनाशकारी काल और खाद्य संकट को कम करने के लिए पृथ्वी पर प्रकट हुई थी। फलों, सब्जियों और हरी पत्तियों की देवी के रूप में जानी जाने वाली शाकंभरी देवी को अक्सर हरियाली से घिरा हुआ पाया जाता है। उनकी दिव्य उपस्थित पोषण और जीविका का प्रतीक है, जो संकट के समय मानवता को राहत पहुंचाती है। पोष पूर्णिमा को शाकंभरी नवरात्रि का समापन होता है। जिसे शाकंभरी पूर्णिमा या शाकंभरी जयंती के रूप में मनाया जाता है, जो उनके अवतरण का दिन है।

    शाकंभरी नवरात्रि-

    इस दिन को बहुत शुभ माना गया है और उनके अनुयाई इसे बड़ी श्रद्धा के साथ मनाते हैं। शाकंभरी नवरात्रि राजस्थान, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और तमिलनाडु जैसे राज्यों में मनाई जाती है। कर्नाटक में शाकंभरी देवी को बनशंकरी देवी के रूप में पूजा जाता है और उत्सव के दौरान बनादा अष्टमी का विशेष महत्व है। शाकंभरी नवरात्रि के दौरान भक्त देवी का आशीर्वाद लेने के लिए अलग-अलग अनुष्ठान करते हैं। जैसे भक्त शाकंभरी माता को प्रार्थना, फल और सब्जिया समर्पित करते हैं, जो जीविका के लिए आभार का प्रतीक होता है। शाकंभरी माता को समर्पित भजनों का जाप करने से आध्यात्मिक जुड़ाव और भक्ति बढ़ती है।

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    पूजा विधि-

    कई भक्त इस अवधि के दौरान व्रत रखते हैं, अनाज से परहेज करते हैं और इसके बजाय फल, सब्जियां खाते हैं। आखिरी दिन पोष पूर्णिमा को विशेष भोजन का आयोजन किया जाता है और भक्तों को प्रसाद बांटा जाता है। शाकंभरी नवरात्रि मानव जीवन में प्राकृतिक जीविका के महत्व को दर्शाती है। यह त्यौहार जरूरत के समय मानवता के पोषण और सुरक्षा में देवी की भूमिका को दिखाती है। भक्तों को कर्तव्य और विनम्रता के लिए प्रेरित करती है। साथ ही इससे प्राकृतिक दुनिया के साथ गहरा संबंध बनता है। जैसे-जैसे शाकंभरी नवरात्रि नजदीक आ रही है। भक्त आध्यात्मिक विकास और पोषण के लिए देवी शाकंभरी का आशीर्वाद लेने के लिए भक्ति में डूबने की तैयारी करते हैं।

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