Vikata Sankashti 2025: भक्तिमय माहौल में श्रद्धालु बुधवार, 16 अप्रैल 2025 को विकट संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखेंगे। यह श्री गणेश को समर्पित एक विशेष मासिक व्रत है, जो कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर मनाया जाता है। कई भक्तों के मन में यह सवाल उठता है, कि क्या संकष्टी चतुर्थी 16 अप्रैल को है या 17 अप्रैल को। इस भ्रम का कारण अक्सर चंद्र और सौर कैलेंडर के बीच का अंतर होता है, क्योंकि चतुर्थी तिथि की शुरुआत और समाप्ति ग्रेगोरियन कैलेंडर के दो अलग-अलग दिनों में हो सकती है। हालांकि हिंदू पंचांग के अनुसार 2025 में यह व्रत स्पष्ट रूप से 16 अप्रैल को मनाया जाएगा।
Vikata Sankashti 2025 चतुर्थी का क्या है महत्व?
हर महीने संकष्टी चतुर्थी मनाई जाती है, लेकिन विकट संकष्टी चतुर्थी को विशेष रूप से शक्तिशाली माना जाता है। "विकट" नाम गणेश जी के 108 नामों में से एक है, जिसका अर्थ है 'कठिन बाधाओं का निवारक'। श्रद्धा और उपवास के साथ मनाई जाने वाली यह विशेष चतुर्थी भक्तों को साहस, स्पष्टता और परेशानियों से मुक्ति का आशीर्वाद देती है।
"विकट संकष्टी का व्रत हमारे जीवन की बाधाओं को दूर करता है और सकारात्मक ऊर्जा से भर देता है," कहते हैं आध्यात्मिक गुरु पंडित राजेश शर्मा। "इस दिन की विशेषता यह है कि गणपति जी अपने भक्तों की प्रार्थनाओं को तुरंत सुनते हैं और उनकी मुश्किलों का समाधान करते हैं।"
Vikata Sankashti 2025 व्रत और पूजन विधि-
विकट संकष्टी चतुर्थी के दिन भक्त सूर्योदय से चंद्रोदय तक उपवास रखते हैं। इस दिन की पूजा विधि में कई महत्वपूर्ण अनुष्ठान शामिल हैं:
सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और शुद्ध वस्त्र धारण करें। घर के मंदिर या पूजा स्थल को साफ करके गणेश जी की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें। श्री गणेश को दूर्वा (दूब) घास, मोदक और लाल फूल अर्पित करें। संकष्टी व्रत कथा, गणेश स्तोत्र और गणपति अथर्वशीर्ष का पाठ करें। मंदिर जाकर या घर पर ही पूजा करके समृद्धि, ज्ञान और सभी बाधाओं के निवारण के लिए आशीर्वाद मांगें।

मंदिरों में इस दिन विशेष अभिषेक और आरती की जाती है। कई लोग कठोर आहार अनुशासन का भी पालन करते हैं, दिन भर में केवल फल खाकर या एक ही बार भोजन करके। "संकष्टी व्रत में सबसे महत्वपूर्ण है श्रद्धा और संकल्प," बताती हैं 65 वर्षीय भक्त सुशीला देवी, जो पिछले 40 सालों से हर महीने यह व्रत रखती आ रही हैं। "मैंने अपने जीवन में कई बार गणेश जी की कृपा देखी है। मुश्किल समय में उनका आशीर्वाद हमेशा मेरे साथ रहा है।"
चंद्रोदय का महत्व-
संकष्टी चतुर्थी व्रत में चंद्रोदय का विशेष महत्व है। यह वह समय होता है जब भक्त अपना उपवास तोड़ते हैं। चूंकि चंद्रोदय का समय स्थान के अनुसार अलग-अलग होता है, इसलिए 16 अप्रैल, 2025 को सही चंद्रोदय समय जानने के लिए स्थानीय कैलेंडर या पंचांग देखना महत्वपूर्ण है। दिल्ली में चंद्रोदय का अनुमानित समय शाम 8:45 बजे है, जबकि मुंबई में यह लगभग 9:10 बजे होगा। अपने शहर के सटीक चंद्रोदय समय के लिए स्थानीय ज्योतिषी या ऑनलाइन पंचांग से जानकारी प्राप्त करें।

2025 का विशेष महत्व-
ज्योतिष विशेषज्ञों के अनुसार, 2025 में विकट संकष्टी चतुर्थी का विशेष महत्व है क्योंकि यह वर्ष कई शुभ योगों से युक्त है। "इस साल की विकट संकष्टी पर किए गए व्रत और पूजन से गणेश जी विशेष रूप से प्रसन्न होंगे," कहते हैं प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य डॉ. विनोद पाठक। "विशेषकर व्यापार, शिक्षा और नए उद्यमों से जुड़े लोगों के लिए यह दिन अत्यंत फलदायी साबित होगा।" सुखद संयोग है कि इस बार विकट संकष्टी बुधवार को पड़ रही है, जो स्वयं भगवान गणेश का दिन माना जाता है। इससे इस व्रत का महत्व और भी बढ़ जाता है।
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अपनाएं आधुनिक तरीके भी-
आज के व्यस्त जीवन में, कई युवा और काम करने वाले लोग पारंपरिक व्रत में कुछ बदलाव करते हैं। 32 वर्षीय सॉफ्टवेयर इंजीनियर अनिल शर्मा बताते हैं, "मैं पूरे दिन फास्टिंग नहीं कर पाता, लेकिन सुबह जल्दी उठकर पूजा जरूर करता हूं और शाम को चंद्रोदय के बाद ही खाना खाता हूं। इस तरह मैं अपनी परंपराओं को भी निभा पाता हूं और काम भी नहीं छूटता।" कई लोग ऑनलाइन पूजा सेवाओं का भी उपयोग करते हैं, जहां वे अपनी ओर से मंदिरों में पूजा करवा सकते हैं। टेक्नोलॉजी ने आध्यात्मिक अनुष्ठानों को भी अधिक सुलभ बना दिया है।
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श्रद्धालुओं के लिए संदेश-
2025 में विकट संकष्टी चतुर्थी मनाने वाले श्रद्धालुओं के लिए, बुधवार, 16 अप्रैल को अपने कैलेंडर में चिह्नित कर लें। यह दिन गणेश जी के मार्गदर्शन, ज्ञान और आशीर्वाद को पाने का है, ताकि आपका जीवन बाधाओं से मुक्त हो और सकारात्मकता से भरा रहे।