Delhi AQI
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    Delhi AQI: GRAP-4 प्रतिबंधों को हटाए हुए अभी 48 घंटे भी नहीं हुए थे, कि दिल्ली की हवा की गुणवत्ता में एक बार फिर तेजी से गिरावट आ गई। 27 दिसंबर को राजधानी का समग्र एयर क्वालिटी इंडेक्स 350 के आंकड़े को पार कर गया, जिससे दिल्लीवासियों के लिए सांस लेना मुश्किल हो गया है।

    AQI में खतरनाक उछाल-

    केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा सुबह 7 बजे जारी आंकड़ों के अनुसार, दिल्ली का AQI 353 पर पहुंच गया, जो 26 दिसंबर को दर्ज 332 से काफी ज्यादा है। इससे राष्ट्रीय राजधानी ‘बहुत खराब’ श्रेणी में आ गई। हवा की बिगड़ती गुणवत्ता के साथ ही ठंड का मौसम भी अपने चरम पर है, जहां न्यूनतम तापमान 8.6 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। धौला कुआं इलाके से आई तस्वीरों में सड़कों और आसपास के इलाकों को स्मॉग की मोटी परत ने घेर रखा था, जिससे विजिबिलिटी काफी कम हो गई।

    कई इलाकों में ‘गंभीर’ स्तर का प्रदूषण-

    कई मॉनिटरिंग स्टेशनों पर हवा की गुणवत्ता ‘गंभीर’ रेंज में दर्ज की गई। आनंद विहार में AQI 410, बवाना में 404, जहांगीरपुरी में 417, नरेला में 413, रोहिणी में 409 रहा, जबकि विवेक विहार ने सबसे ऊंचा 424 का आंकड़ा दर्ज किया। ये संख्याएं बताती हैं कि दिल्ली के कई इलाके खतरनाक प्रदूषण स्तर के शिकार हैं।

    शहर के अन्य हिस्सों में भी स्थिति गंभीर बनी रही। अशोक विहार में AQI 392, चांदनी चौक में 382, आईटीओ में 379, मुंडका में 375, ओखला में 375, पटपड़गंज में 375, सोनिया विहार में 370, पंजाबी बाग में 361, आरके पुरम में 363 और द्वारका में 362 दर्ज किया गया। बुरारी 347 पर रहा, जबकि मंदिर मार्ग ने 270 दर्ज कर ‘खराब’ श्रेणी में जगह बनाई। वजीरपुर में AQI 397 रहा।

    क्या कहते हैं CPCB के मानक-

    CPCB हवा की गुणवत्ता को अलग-अलग श्रेणियों में वर्गीकृत करता है: ‘अच्छा’ (0-50), ‘संतोषजनक’ (51-100), ‘मध्यम’ (101-200), ‘खराब’ (201-300), ‘बहुत खराब’ (301-400), और ‘गंभीर’ (401-500)। 27 दिसंबर को दिल्ली के अधिकांश हिस्से बहुत खराब से गंभीर ब्रैकेट में बने रहे, जो राजधानी में सर्दियों के प्रदूषण की लगातार बनी समस्या को उजागर करता है।

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    दिल्लीवासियों के लिए चुनौती-

    इस बढ़ते प्रदूषण ने दिल्ली के लोगों के लिए बाहर निकलना मुश्किल बना दिया है। बच्चों, बुजुर्गों और सांस की बीमारियों से जूझ रहे लोगों के लिए यह स्थिति विशेष रूप से खतरनाक है। विशेषज्ञों का कहना है, कि ठंड के मौसम में प्रदूषक तत्व वातावरण में फंस जाते हैं, जिससे स्थिति और खराब हो जाती है। सरकार को तत्काल कड़े कदम उठाने की जरूरत है, जिससे दिल्लीवासी साफ हवा में सांस ले सकें।

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    By sumit

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