Bal Puraskar 2025: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शुक्रवार को नई दिल्ली के विज्ञान भवन में प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार से देशभर के बच्चों को सम्मानित किया। इस खास मौके पर पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़ के तीन बच्चों की कहानियां सबको प्रेरित करने वाली रहीं। फिरोजपुर के 10 वर्षीय श्रवण सिंह, चंडीगढ़ के 17 वर्षीय वंश तायल और हरियाणा के सिरसा जिले की 17 वर्षीय ज्योति ने अपनी हिम्मत और साहस से सबका दिल जीत लिया।
ऑपरेशन सिंदूर में जवानों की मदद करने वाला नन्हा योद्धा-
फिरोजपुर जिले के ममदोट इलाके के रहने वाले श्रवण सिंह को ऑपरेशन सिंदूर के दौरान दिखाए गए, साहस के लिए सम्मानित किया गया। जब सेना के जवान मुश्किल परिस्थितियों में तैनात थे, तब श्रवण ने अपने घर के पास तैनात सैनिकों को दूध, पानी और अन्य जरूरी सामान पहुंचाया। इस छोटी सी उम्र में उन्होंने करुणा और देशभक्ति का अद्भुत उदाहरण पेश किया।
ऑपरेशन सिंदूर के दौरान जब फौजी जवान कठिन हालात में अपनी ड्यूटी निभा रहे थे, श्रवण ने स्वेच्छा से आगे बढ़कर उनकी मदद की। दिल्ली में पुरस्कार समारोह के दौरान श्रवण और अन्य पुरस्कार विजेता बच्चों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बातचीत की, जिन्होंने उनकी बहादुरी की सराहना की। इस मौके पर बोलते हुए श्रवण ने कहा, “मैं एक सैनिक बनना चाहता हूं और अपने देश की सेवा करना चाहता हूं।”
उनके पिता ने बताया, कि ऑपरेशन सिंदूर के बाद सेना के अधिकारियों ने श्रवण के प्रति गहरा स्नेह विकसित किया और उन्हें लगातार प्रोत्साहित करते रहे। इससे पहले फिरोजपुर कैंटोनमेंट में एक समारोह में भी श्रवण को सम्मानित किया गया था। सेना ने उनकी शिक्षा का खर्च उठाने की जिम्मेदारी भी ली है।
विकलांगता को ताकत बनाने वाली पैरा एथलीट-
सिरसा की पैरा एथलीट ज्योति को खेल श्रेणी में पुरस्कृत किया गया। सिरसा की रहने वाली ज्योति एक पैर में विकृति लेकर पैदा हुई थीं, लेकिन उन्होंने चुनौतियों को पार करते हुए खेल की दुनिया में अपनी पहचान बनाई। उन्होंने शॉट पुट, डिस्कस थ्रो और जेवलिन थ्रो में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर 12 पदक जीते हैं। उनकी कहानी हर उस व्यक्ति के लिए प्रेरणा है, जो परिस्थितियों से हार मान लेता है।
माता-पिता को खोकर भी नहीं टूटा हौसला-
चंडीगढ़ के स्नेहालय (मालोया) में स्थित चिल्ड्रन होम फॉर बॉयज में खुशी की लहर दौड़ गई, जब वंश तायल को यह सम्मान मिला। 17 वर्षीय वंश तायल को देखभाल, संस्थागत नेतृत्व और सामुदायिक सेवा में उनकी भागीदारी के लिए पुरस्कृत किया गया। वंश ने 2021 में अपनी मां को गर्भाशय कैंसर और कोविड से खो दिया और पिता को लीवर की बीमारी से। इतनी कम उम्र में दोनों माता-पिता को खोने के बावजूद वंश ने हिम्मत नहीं हारी और दूसरों की सेवा में लगे रहे।
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वंश ने कहा, कि उनका सपना क्लिनिकल साइकोलॉजी में करियर बनाना है। अनाथ होने के बावजूद वंश ने न केवल खुद को संभाला, बल्कि दूसरों की मदद करना भी जारी रखा। उनकी कहानी यह साबित करती है, कि जीवन में कितनी भी मुश्किलें क्यों न आएं, हौसला और मेहनत से हर मंजिल हासिल की जा सकती है।
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ये तीनों बच्चे देश के लिए गर्व की बात हैं और आने वाली पीढ़ी के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं।



