Pneumonia Outbreak: चीन में फैल रही बीमारी का प्रकोप अब अमेरिका तक पहुंच गया है। अमेरिका के ओहायो काउंटी में बच्चों में निमोनिया का प्रकोप बढ़ता जा रहा है। जिसमें माइक्रो प्लाज्मा निमोनिया के मामले शामिल है। यह बीमारी हाल ही में डेनमार्क और चीन में बच्चों में फैली है। काउंटी स्वास्थ्य जिले ने गुरुवार को कहा कि इस बार बच्चों में निमोनिया के मामलों की संख्या बहुत ज्यादा बढ़ चुकी है। अगस्त से अब तक 145 जिले के अनुसार औसत रोगी लगभग 8 वर्ष के हैं और सबसे आम लक्षण इसमें बुखार, खांसी और थकान है। जिले के समाचार विज्ञप्ति के मुताबिक, कोई मौत की सूचना नहीं मिली है और बीमारियां पिछले साल की तुलना में ज्यादा गंभीर नहीं है।
बीमारियों में वृद्धि-
डेनमार्क में इस समय माइकोप्लाज्मा निमोनिया के मामले महामारी के स्तर तक पहुंच चुके हैं और चीन के अस्पतालों में भी मरीजों की संख्या काफी हद तक बढ़ चुकी है। ताइवान के स्वास्थ्य मंत्रालय ने गुरुवार को कहा कि छोटे बच्चे कमजोर प्रतीक्षा वाले लोगों को मुख्य भूमि चीन वयस्कों होंगकांग की यात्रा से बचना चाहिए। क्योंकि वहां बीमारियों में वृद्धि हो रही है, जिसमें एडिनोवायरस श्वसन की बिमारी और फ्लू में वृद्धि शामिल है।
माइकोप्लाज्मा निमोनिया-
माइक्रो प्लाज्मा निमोनिया की बात की जाए तो यह एक जीवाणु के कारण होता है जो कि संक्रमित व्यक्ति के छिक खाने पर बूंद के माध्यम से फैल सकता है। जीवाणु किसी भी व्यक्ति को बीमार किए बिना गले और नाक में रह सकता है। लेकिन अगर यह फेफड़ों तक चला जाए तो लोगों को निमोनिया हो सकता है। माइक्रो प्लाज्मा निमोनिया अक्सर निमोनिया का हल्का रूप है। लेकिन इसके लक्षण लंबे समय तक रह सकते हैं।
वॉकिंग निमोनिया-
अमेरिका में हर तीन से 7 साल के बच्चों में यह मामले बढ़ते रहते हैं। साउथ वेस्टर्न मेडिकल सेंटर में संक्रामक रोगों के संगठन प्रोफेसर का कहना है कि इसे कभी-कभी वॉकिंग निमोनिया भी कहा जाता है। जिसका सीधा सा मतलब है कि आपको निमोनिया है लेकिन आप इतने ज्यादा बीमार नहीं है कि आपको अस्पताल में भर्ती किया जाए।
लक्षण-
सीबीसी के मुताबिक, वयस्कों और बच्चों में प्रारंभिक माइकोप्लाज्मा संक्रमण आमतौर पर सीने में दर्द, खांसी, बुखार गले में खराश, बिगड़ी हुई खांसी और सर दर्द शामिल हो सकती है, जो कि हफ्ते से लेकर महीने तक रह जाती है। 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों में अक्सर सर्दी जैसे लक्षण बढ़ते हैं। जैसे छींक बंद होना दस्त-उल्टी, छींक आना गले में खराश आदि।
प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर-
छोटे बच्चों में गंभीर मामले होने की संभावना ज्यादा होती है, जो निमोनिया में बदल जाते हैं। खासकर अगर उनकी प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर है या फिर वह पहले से ही कभी जीवाणु के संपर्क में नहीं आए हैं तो निमोनिया के लक्षण, थकान, खांसी, सांस लेने में दिक्कत ठंड लगना और बुखार शामिल है। आमतौर पर किसी के संक्रमित होने के 1 से 4 सप्ताह बाद विकसित होते हैं।पिछले सप्ताह विश्व स्वास्थ्य संगठन ने चीन से माइकोप्लाज्मा निमोनिया से पीड़ित अस्पतालों में भर्ती होने की संख्या की वृद्धि दर्ज की थी।
निमोनिया के मामलों में वृद्धि -
स्टेटस सिरम इंस्टीट्यूट के अनुसार डेनमार्क में भी गर्मियों के बाद से मामले बढ़ रहे हैं। पिछले पांच हफ्तों में माइक्रो प्लाज्मा निमोनिया के मामलों में काफी वृद्धि देखी गई है। डेनमार्क में 26 नवंबर को सप्ताह में 541 में मामले सामने आए थे, जो की 3 सप्ताह पहले दर्ज की गई संख्या से 3 गुना ज्यादा थे। रेजिडेंट माइक्रो में पिछले सप्ताह प्रकाशित एक अध्ययन में बताया गया। स्विट्जरलैंड, सिंगापुर, स्वीडन में भी अप्रैल से सितंबर तक 100 से ज्यादा मामले दर्ज किए गए थे।
लेकिन घबराने की बात नहीं-
अब सवाल यह उठता है कि यह प्रकोप क्यों फैल रहा है। संक्रामक रोग विशेषज्ञों का कहना है कि अमेरिका में इस प्रयोग की बढ़ती निगरानी का कारण है। लेकिन घबराने की बात नहीं है ऐसा कुछ भी नहीं है जो यह बताए कि यह बैक्टीरिया का ज्यादा खतरनाक प्रकार है। निश्चित रूप से इस बात का कोई सबूत नहीं है कि यह कोई नया बैक्टीरिया है। विशेषज्ञ को कहना है कि अब स्पष्ट कारण है कि मामलों की संख्या बढ़ती जा रही है। हर देश में पारंपरिक रूप से हर कुछ वर्षों में माइकोप्लाज्मा निमोनियम वृद्धि होती है। इसलिए कुछ प्रकोप श्वसन संबंधी बीमारियों के मौसम में उतार-चढ़ाव का हिस्सा हो सकते हैं।
सामाजिक मेलजोल-
महामारी के दौरान कम सामाजिक मेलजोल का मतलब यह भी है कि हाल के सालों में जीवाणु को फैलने से अधिक ऑप्शन नहीं मिले। अब जब ज्यादा बच्चे स्कूल तथा अन्य सामाजिक परिवेश में फिर से बातचीत कर रहे हैं तो कुछ देशों में यह अनुभव हो रहा है। विश्वविद्यालय में संक्रामक रोग अनुसंधान और नीति केंद्र के निदेशक का कहना है की विशेष रूप से चीन का प्रकोप थोड़ा आश्चर्य की बात है। क्योंकि देश के कड़े लॉकडाउन उपायों को देखते हुए।
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महामारी कहना गलत और जल्दबाजी-
चीन ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में स्थान से संबंधित बीमारी फैलने की जानकारी दी थी और उसके बाद बीमारी की जांच के लिए चीन से विश्व स्वास्थय संगठन ने फैले सभी तरह के वायरस की सूची मांगी है। लोगों को मास्क पहनने सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने के भी निर्देश दिए गए हैं। फिलहाल रहस्यमय बीमारी के महामारी होने पर कोई जानकारी नहीं है। वहीं सर्वेलेंस प्लेटफार्म का कहना है कि इसे महामारी कहना गलत और जल्दबाजी हो सकती है।
कोरोना लॉकडाउन-
चीन में कोरोना लॉकडाउन में 3 साल रहने के बाद अगस्त 2023 में सारी पाबंदियों को हटा दिया था। एक महीने बाद यानी कि अक्टूबर में ही यहां एक रहस्य में बीमारी फैलने लगी। एक्सपर्ट्स का कहना है कि कोरोना की तरह ही यह बीमारी संक्रामक है। एक शहर से दूसरे शहर में फैल रही है। WHO ने जवाब मांगा है।
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हेल्थ सिस्टम अपडेट-
चीन की बीमारी पर भारत सरकार ने राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों को एडवाइजरी जारी की। स्वास्थ्य मंत्रालय में राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से पब्लिक हेल्थ सिस्टम को अपडेट करने के लिए कहा है। इसके अलावा किसी भी बड़ी बीमारी के फैलने को लेकर अस्पतालों में तैयारी के लिए कहा गया है। वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाइजेशन में भी चिंता जाहिर करते हुए चीन से इस बीमारी से जुड़ी जानकारी मांगी है।