Viral Video: सोशल मीडिया पर आए दिन वीडियो वायरल होते ही रहते हैं, कुछ वीडियो ऐसे होते हैं जो आपको हैरान कर देते हैं और कुछ वीडियो देखने के बाद आप सोच में पड़ जाते हैं क्या ऐसा भी होता है। ऐसा ही एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। जिसमें बच्चों के नहा कर स्कूल ना आने पर टीचर ने उन्हें स्कूल में नहलाया। वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। यह वीडियो उत्तर प्रदेश के बरेली फरीदपुर क्षेत्र के स्कूल का बताया जा रहा है। जहां पर स्कूल में पढ़ने वाले पांच बच्चों को कथित तौर पर सजा के तौर पर सुबह पंपिंग सेट पर नहाने के लिए मजबूर किया गया। प्रिंसिपल को लगा कि बच्चे स्कूल आने से पहले नहाते नहीं है। जिसके कारण उसने सजा के तौर पर इन बच्चों को पंपिंग सेट पर नहाने को कहा।
Viral Video रोज नहा कर आओगे, चलो ठीक है, आज छोड़ रहे हैं-
इस वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि कुछ बच्चे नहाते हुए नजर आ रहे हैं। जिसके बाद इस वीडियो में टीचर भी कहते हुए सुना जा सकता है कि 'रोज नहा कर आओगे चलो ठीक है, आज छोड़ रहे हैं, अब रोज नहा कर आना।' इस वीडियो को शेयर करते हुए लिखा गया है, कि 'यह वीडियो यूपी के बरेली के फरीदपुर क्षेत्र का है, जहां पर एक स्कूल में पांच बच्चों को कथित तौर पर सुबह पंपिंग सेट पर नहाने के लिए मजबूर किया गया, क्योंकि प्रिंसिपल को लगा बच्चों ने आने से पहले नहाया नहीं था।' यह वीडियो सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्विटर पर शेयर किया गया है।
सेप्टिक टैंक साफ करने के लिए मजबूर-
हाल ही में एक और स्कूल से ही जुड़ा हुआ एक मामला सामने आया था, जहां पर छात्रों को सेप्टिक टैंक साफ करने के लिए मजबूर करने का आरोप लगाया गया था। पुलिस का कहना है कि आरोपियों की पहचान भरतप्पा प्रिंसिपल और मुनियप्पा शिल्प शिक्षक के रूप में की गई थी। यह घटना तब सामने आई थी जब अनुसूचित जाति समुदाय से संबंधित छात्रों के एक समूह को कथित तौर पर मानव अपशिष्ट निपटान के लिए बने सेप्टिक टैंक को साफ करने के लिए मजबूर किया गया। इस मामले में परिचित लोगों का कहना था, कि शिक्षक द्वारा मोबाइल फोन पर बनाया गया वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। जिससे इस घटना की जानकारी मिली।
अन्य प्रकार की सजा का आरोप-
वीडियो पांच से छह छात्रों को सेप्टिक टैंक के अंदर जाने के लिए कहा गया था। जिसमें प्रिंसिपल और शिक्षक इस कार्य की देखरेख कर रहे थे। छात्रों ने अन्य प्रकार की सजा का भी आरोप लगाया था, जिसमें रात में छात्रावास के बाहर घुटने टेककर शारीरिक शोषण शामिल था। इस घटना को देखते हुए चार व्यक्तियों के खिलाफ अत्याचार अधिनियम के तहत एक प्राथमिक की दर्ज की गई और मुनियप्पा पर कथित तौर पर छात्रों का वीडियो बनाने और सोशल मीडिया पर साझा करने के लिए योन अपराधों से बच्चों की रोकथाम अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया।
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प्रिंसिपल और तीन स्टाफ सदस्य निलंबित-
स्कूल प्रशासन ने प्रिंसिपल और तीन स्टाफ सदस्यों को भी निलंबित कर दिया। छात्रों का दावा है कि यह घटना सोशल मीडिया पर वीडियो सामने आने से 15 दिन पहले की थी। आरोप के बावजूद प्रिंसिपल ने किसी भी गलत काम से इनकार किया। इस घटना को उनके खिलाफ साजिश बताया गया है। मामले की जानकारी रखने वाले अधिकारियों का कहना है की वार्डन बनने की चाहत रखने वाले मुनियप्पा ने पद से वंचित किए जाने के प्रतिरोध में वीडियो बनाया। यह वीडियो कथित तौर पर मुनियप्पा और एक अतिथि शिक्षक द्वारा बनाया गया था।
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मुनियप्पा की रिहाई की मांग-
कला शिक्षक मुनियप्पा की रिहाई की मांग को लेकर छात्रों के एक समूह ने विरोध प्रदर्शन किया। उन्होंने अपने शिक्षक की रिहाई के लिए अनशन तक पर बैठने की भी धमकी दी। इस घटना ने आवासीय विद्यालयों में छात्रों की सुरक्षा और भलाई की चिताओं को बढ़ा दिया। राज्य भाजपा प्रमुख ने ट्विटर पर एक पोस्ट में कहा, 'यह चिंता करने वाली बात है कि विकास एसएससी समुदाय के लोगों को हिंसा और शोषण का शिकार होना पड़ रहा है, जहां बच्चों के साथ शारीरिक शोषण किया, वह बहुत ही जगन्य घटना थी, कर्नाटक भाजपा इसकी कड़ी निंदा करते हैं।'