Bhagavad Gita: हर इंसान के मन में आज के समय में यह सवाल जरूर आता है, कि जो कुछ भी हम पाते हैं, हमारे मन की शक्ति से या फिर वो भगवान की कृपा से मिलता है। यह एक ऐसा प्रश्न है जिसका जवाब हमारे शास्त्रों में बहुत साफ तरीके से दिया गया है। भगवद गीता में भगवान कृष्ण ने स्पष्ट रूप से कहा है, "मैं किसी को कुछ नहीं देता, क्योंकि मेरे हाथ में कुछ है ही नहीं। यह सब तुम्हारा भ्रम है।" यह बात सुनने में थोड़ी अजीब लग सकती है, लेकिन इसका गहरा मतलब है।
Bhagavad Gita संकल्प शक्ति का जादू-
जब आप किसी मंदिर में जाकर भगवान से कुछ मांगते हैं, तो असल में क्या होता है? भगवान आपकी संकल्प शक्ति को बढ़ाते हैं। आपका विल पावर strong हो जाता है। जब आप अपने काम में पूरे faith के साथ लग जाते हैं, तो आपकी skill, confidence और self-belief automatically बढ़ने लगते हैं।
यही वजह है कि हमें लगता है कि भगवान की कृपा से हमें सब कुछ मिल गया। यह बात सच भी है, लेकिन यहां समझने की बात यह है कि भगवान किसी के साथ पक्षपात नहीं करते। वे किसी को ज्यादा और किसी को कम नहीं देते।
Bhagavad Gita एकाग्रता की शक्ति-
किसी एक चीज पर जब आप अपना मन focus करते हैं और बार-बार यह कहते हैं कि "मुझे यह मिलेगा, मुझे यह मिलेगा", तो inner strength आपकी बढ़ती जाती है। आप अपने आप से कहते हैं, "यह मेरे लिए नहीं, यह भगवान की इच्छा है, यह होगा और सबका भला होगा।" इस तरह की positive thinking से चीजें reality में बदलने लगती हैं।
लेकिन जब आपका मन इधर-उधर भटकता रहता है, तो यह संकल्प शक्ति कमजोर हो जाती है। अगर आप एक चीज चाहते हैं लेकिन साथ में 10,000 और चीजों के बारे में सोचते रहते हैं, तो आपका मन scattered हो जाता है।
Bhagavad Gita अलादीन के चिराग की कहानी-
यहां एक बहुत interesting example दिया गया है अलादीन के जादुई चिराग का। जब आप चिराग रगड़ते हैं तो जिन्न निकलता है और पूछता है, "मास्टर, आपको क्या चाहिए?" आप कहते हैं, "एक कप चाय।" जिन्न चाय लेने के लिए मुड़ता है, लेकिन आप फिर से आवाज लगाते हैं, "अरे सुनो, गर्म होनी चाहिए!" फिर कहते हैं, "दूध-चीनी भी अच्छे से डालना।" फिर कहते हैं, "साथ में गर्म pakode भी लेकर आना।"
अब क्या होता है? जिन्न एक लट्टू की तरह घूमता रहता है लेकिन कुछ भी नहीं कर पाता क्योंकि आपके instructions clear नहीं हैं। यही हाल हमारे मन का होता है जब हमारे पास सैकड़ों wishes एक साथ होती हैं।
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एक-pointed मन की महत्ता-
अगर आप अपने मन को single-pointed बनाकर किसी altar पर जाएं, तो आपका faith बढ़ेगा। जब आपकी संकल्प शक्ति पर्याप्त हो जाएगी, तो चीजें होने लगेंगी। लेकिन इसके लिए जरूरी है कि आप अपने ego को छोड़कर भगवान के हाथों में एक instrument बन जाएं।
अहंकार छोड़ने का महत्व-
गीता में कहा गया है "निमित्तमात्रम् भव सव्यसाचिन्" यानी आप सिर्फ एक निमित्त बनिए। यह आपका अहंकार है जो आपको बेवकूफ बनाता है। जब आप इसे surrender कर देते हैं, तो आत्मा अधिक स्पष्टता से आपके through express करने लगती है। इसलिए याद रखिए, भगवान की कृपा और आपकी संकल्प शक्ति दोनों एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। जब आप पूरी श्रद्धा और एकाग्रता के साथ कुछ करते हैं, तो success जरूर मिलती है।
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