White Animals: हम में से बहुत से लोग ऐसे हैं, जिन्हें सफेद रंग बहुत पसंद होता है। आपने जानवरों में सफेद रंग का पमेलियन डॉग तो देखा होगा, लेकिन ऐसे बहुत से सफेद रंग के जानवर हैं, जो देखने में बहुत ही अट्रैक्टिव और प्यारे लगते हैं। क्या आपको पता है दुनिया में सफेद शेर, सफेद जिराफ और ऐसे कई जानवर होते हैं। जंगल में वैसे तो कई तरह के और कई रंगों के जानवर होते हैं और उन जानवरों को उनके रंग रूप की वजह से ही जाना भी जाता है। लेकिन इन्हीं में कुछ जानवर बेरंग भी होते हैं, जो कोई रंग न होने के बाद भी इतने सुंदर दिखते हैं, कि उनके आगे अच्छे-अच्छे रंग भी फेल है, तो आज की इस वीडियो में हम आपको दुनिया के 10 सबसे दुर्लभ सफेद जानवरों के बारे बताने और उन्हें दिखाने वाले हैं, जिन्हें देखकर आप भी कहेंगे, कि वह कितने सुंदर जानवर हैं-
व्हाइट क्रो(White Animals)-
आज तक आपने काले कौवे के बारे में तो बहुत सुना होगा और देखा भी होगा। लेकिन क्या आपने कभी सफेद कौवे के बारे में सुना है, मुश्किल ही सुना होगा। क्योंकि इनको कम ही देखा जाता है, इनको अल्पाइनो क्रो भी कहा जाता है। इनके फीचर्स, तो नॉर्मल कौवे जैसे ही होते हैं, लेकिन रंग सफेद होता है। साथ ही इनके पंजे और पैरों का रंग भी काला ना होकर लाइट पिंक होता है और चोंच भी सफेद ही होती है। यह बाकी क्रॉस के साथ ही रहते हैं और उनके जैसा ही खाना खाते हैं। बस दिखने में उनसे ज्यादा खूबसूरत दिखाई देते हैं। इन वाइट क्रो को धूप में थोड़ी दिक्कत होती है। जिसकी वजह से यह धूप में काफी कम दिखाई देते हैं और ज्यादातर पालतू होते हैं। कमाल की बात तो यह है, कि व्हाइट क्रो को आप दिल्ली और कर्नाटक में भी देख सकते हैं।
व्हाइट एलीगेटर(White Animals)-
वैसे तो आपने काले और डार्क ग्रे कलर के एलिगेटर्स देखे होंगे, लेकिन शायद ही किसी ने कभी सफेद एलीगेटर के बारे में सुना होगा। क्योंकि यह काफी रेयर होते हैं। व्हाइट एलीगेटर को अल्पाइन एलीगेटर भी कहा जाता है। यह नाक से लेकर पूछ तक सफेद होते हैं। जहां नॉर्मल एलिगेटर्स की आंखों का रंग काला होता है, तो वहीं वाइट एलीगेटर की आंखें हल्के गुलाबी रंग की होती हैं। इनको देखकर लगता है, जैसे किसी ने उनके ऊपर सफेद पेंट कर दिया है। इन वाइट एलीगेटर को खास देखभाल की जरूरत होती है। क्योंकि यह नॉर्मल एलीगेटर की तरह धूप में नहीं रह सकते। यह उनकी तुलना में काफी नाजुक और उनकी चमड़ी भी नॉर्मल एलीगेटर की तुलना में काफी नाजुक होती है।
इतना ही नहीं पूरी दुनिया में व्हाइट एलीगेटर की संख्या काफी कम है। जिसकी वजह से इनका और भी ज्यादा ख्याल रखा जाता है। ताकि सुंदर और अलग लगने वाले जानवर को बचाया जा सके। आपको बता दें की एलबाइनो एक तरह की प्रॉब्लम है। जिसमें जानवरों के शरीर में पिगमेंट्, की कमी हो जाती है। जिसकी वजह से उनकी बॉडी का रंग सफेद हो जाता है। साथ ही आंखों का रंग भी हल्का गुलाबी हो जाता है। यह बीमारी जानवरों में ही नहीं, बल्कि इंसानों में भी आसानी से देखी जाती है। आपने कई लोगों को देखा होगा, जिनका रंग बहुत ज्यादा सफेद होता है और उनके हाथों, पैरों यहां तक की पलकों का रंग भी सफेद होता है। ऐसे लोगों में पिगमेंट्स की कमी होती है, जो इन्हें ऐसे रंग का बना देते हैं।
व्हाइट अरमिन (White Animals)-
ऐसे लोग बहुत कम होंगे, जिन्होंने इस जानवर को पहले देखा हो। क्योंकि यह जानवर वैसे ही काफी दुर्लभ हैं और इसका सफेद रंग इसको और भी ज्यादा दुर्लभ बना देता है। यह जानवर नॉर्थ अमेरिका के जंगलों में पाए जाते हैं, आमतौर पर तो इनका रंग ब्राउन और व्हाइट होता है। लेकिन सर्दियों में इनके फर का रंग सफेद हो जाता है, जो काफी अमेजिंग है। इनका लंबा शरीर छोटा सा फेस और सफेद रंग वैसे तो काफी क्यूट लगता है। लेकिन इनको क्यूट और मासूम समझना बहुत बड़ी भूल है। यह जानवर काफी एग्रेसिव और फीयरलेस होते हैं, जो शिकार करने में इतनी तेज़ हैं, कि छोटे इंसेक्ट्स तो क्या अपने से साइज में बड़े जानवरों तक को पछाड़ सकते हैं। अगर आपको कहीं पर यह जानवर दिखाई देता है, तो इससे थोड़ा डिस्टेंस मेंटेन करेंगे तो फायदे में रहेंगे, नहीं तो परिणाम बुरा हो सकता है।
व्हाइट एलिफेंट-
सफेद हाथी को शायद कुछ लोगों ने देखा होगा। क्योंकि कुछ समय पहले तमिलनाडु की सड़कों पर सफेद हाथी को देखा गया था, जिसमें उसे किसी तरह की झांकी में ले जाया जा रहा था। यह वीडियो देखकर काफी लोगों को लगा, कि इस हाथी को वाइट पेंट किया गया है। क्योंकि सफेद हाथी स्नो वाइट नहीं होता, वह हल्का रेडिश ब्राउन होता है, जो गीला होने पर लाइट पिंक हो जाता है। ज्यादातर थाईलैंड में पाए जाने वाले व्हाइट एलिफेंट को वहां के लोग अल्पाइन नहीं मानते। उन लोगों का मानना है, कि सफेद हाथी प्योरिटी का प्रतीक है। साथ ही यह लोग सफेद हाथी को पावर और सिंबल ऑफ रॉयल की तरह भी मानते हैं। वहीं हिंदुइज्म के हिसाब से सफेद हाथी भगवान इंद्र का वाहन है, जिसका नाम ऐरावत है। अगर शॉर्टकट में कहें, तो व्हाइट एलिफेंट को लोग काफी शुभ मानते हैं और उसकी पूजा करते हैं।
व्हाइट कॉकरोच-
अब जरा बात कर लेते हैं, घर के उस सदस्य की जो लगभग हर रसोई में पाया जाता है यानी कि कॉकरोच। क्योंकि यह आम जीव है, तो इसको आपने आज से पहले ब्राउन कलर में, जो कि इसका नॉर्मल कलर है, उसी में देखा होगा। लेकिन आज आप देखेंगे सफेद कॉकरोच की कोई नई प्रजाति नहीं है। बल्कि यह नॉर्मल कॉकरोच ही होते हैं। जिनमें पिगमेंटेशन की प्रॉब्लम होती है। कई बार व्हाइट कॉकरोच का कुछ समय के बाद रंग बदल जाता है और वह ब्राउन कलर के हो जाते हैं। ऐसा किसी जादू या शक्ति की वजह से नहीं होता। बल्कि जब उनके ऊपर नई स्किन आती है, तब होता है। कई बार आपको अपने घरों में कॉकरोच की शट्स स्कीन दिखाई देती होगी। इसका मतलब है, कि आपके घर में कोई सफेद कॉकरोच धीरे-धीरे अपना रंग बदल रहा है और नया कलर डेवलप कर रहा है।
व्हाइट हम्पबैक वेल-
अब जिस जानवर को आप देख रहे हैं, वह है व्हाइट हम्पबैक वेल, जो देखने में काफी ज्यादा क्यूट और एडॉरेबल लगती है। व्हाइट हम्पबैक वेल, वेल की एक प्रजाति होती है, जो अंटार्कटिक ओशन में पाई जाती है। जिनकी लंबाई 39 से 52 फीट तक होती है और वजन करीब 22,000 किलो से 36,000 किलो तक होता है। वैसे तो यह वाले ग्रे और वाइट रंग में पाई जाती हैं। लेकिन इनमें कुछ पूरी तरह सफेद होती है। जिनको व्हाइट हम्पबैक वेल कहते हैं। सफेद रंग की यह बड़ी व्हाइट हम्पबैक वेल नीले समुद्र में तैरती हुई काफी सुंदर दिखाई देती है। इन वेल्स का इंसानों के साथ व्यवहार काफी अच्छा होता है और यह दूसरी वेल्स के साथ भी अच्छी बातचीत बनाकर रखती है। इन वेल्स की खास बात यह होती है, कि यह अजीब तरह की आवाज निकालती हैं। जिनमें व्हाइट हम्पबैक वेल ज्यादा तेज़ और ऊंची आवाज निकालते हैं।
व्हाइट जिराफ-
केनिया में दुनिया का सबसे नायाब व्हाइट जिराफ देखने को मिलता है। लेकिन दुख की बात यह है, कि इस वक्त व्हाइट जिराफ पूरी दुनिया में बस एक ही बचा है। क्योंकि इसकी फैमिली के दो लोगों को शिकारियों ने मार दिया है। यह वाइट जिराफ स्किन पिगमेंटेशन की वजह से व्हाइट है। इस खास और इकलौते व्हाइट जिराफ को बचाने के लिए उसमें एक तरह का जीपीएस ट्रैकिंग डिवाइस फिट किया गया है। सबसे पहले साल 2016 में व्हाइट जिराफ को देखा गया था और कुछ समय बाद यह हैडलाइन बन गई। लोगों की नजरों में आने के बाद शिकारी ने दो वाइट जिराफ का शिकार कर लिया। नॉर्मल जिराफ का लोग मीट और बॉडी पार्ट्स के लिए शिकार करते हैं और व्हाइट जिराफ का शिकार करना लोगों के लिए शान की बात है।जिराफ के लगातार हो रहे शिकार की वजह से आयूसीएन ने इन्हें रेड लिस्ट में डाल दिया है।
व्हाइट लायन-
बच्चों से लेकर बड़ों तक शेर के बारे में तो हर कोई जानता है, लेकिन वाइट शेर के बारे में आपने शायद ही सुना हो, यह थोड़ा मुश्किल है, क्योंकि यह वाइट लाइन काफी रेयर है। जिसकी वजह से इनको जंगलों में नहीं, बल्कि ज़ू में ही देखा जाता है। इन सफेद शेरों का रंग पिगमेंटेशन की वजह से ही सफेद होता है। सबसे पहले व्हाइट लाइयन को 1938 में देखा गया था और 1970 में तीन व्हाइट लायन के चीन बच्चे मिले, जिनको ज़ू में रखा गया और देखभाल की गईय़ जिससे इनकी संख्या 3 से अब लगभग 500 के आसपास हो गई है। कलर म्यूटेशन की वजह से व्हाइट लायन के बच्चे भी ज्यादातर सफेद ही होते हैं, जो इनकी संख्या को बढ़ाने में मदद करते हैं। साउथ अफ्रीका में व्हाइट लायंस को लीडरशिप और प्राइड का प्रतीक माना जाता है।
व्हाइट ऑरेंग्यूटन-
अब जिस जानवर को आप देखने वाले हैं, वह काफी ज्यादा रेयर और स्पेशल है। यह है व्हाइट ऑरेंग्यूटन जिसको एल्बा से जाना जाता है। इसको यह नाम एलबाइनो की वजह से दिया गया है। स्थानीय लोगों ने एक बार इस सफेद व्हाइट ऑरेंग्यूटन को इंडोनेशिया के जंगलों में काफी खराब हालात में देखा था। इसके बाद इन लोगों ने रेस्क्यू टीम को इसकी डानकारी दी। रेस्क्यू टीम ने व्हाइट ऑरेंग्यूटन को अपने साथ ले गई और उसका ध्यान रखा। कुछ समय के बाद रेस्क्यू टीम ने इसको वापस इंडोनेशिया के जंगलों में छोड़ दिया। लेकिन व्हाइट ऑरेंग्यूटन वहां के दूसरे जानवरों के साथ घुल मिल नहीं पा रहा था। जिसके बाद रेस्क्यू टीम इसको वापस अपने साथ ले आई और इसको करीब 30 महीने तक अपने साथ रखा। साल 2018 में वापस इसको जंगल में छोड़ दिया। जहां यह अब आराम से रह रहा है।
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व्हाइट स्क्वेरल-
अब सबसे आखिर में हम आपको दिखाते हैं, वह जानवर, जो हर जगह पाया जाता है और यह काफी क्यूट और छोटा होता है। यह है स्क्वेरल, जो पहले से ही काफी खूबसूरत लगती है। लेकिन अगर बात करें. व्हाइट स्क्वेरल की तो शायद कोई दूसरा जानवर इस लिस्ट में उनकी जगह नहीं ले पाएगा। इस व्हाइट स्क्वेरल को देख पाना काफी ज्यादा मुश्किल है। क्योंकि यह दुनिया में काफी कम संख्या में है। एक रिसर्च की मानें तो व्हाइट स्क्वेरल की संख्या 10 लाख नॉर्मल स्क्वेरल में एक है। यही वजह है, कि यह कम ही देखने को मिलती है। कई जगह पर तो इस व्हाइट स्क्वेरल को शांति का प्रतीक और लकी भी माना जाता है। अगर कोई पहली बार व्हाइट स्क्वेरल को देखेगा, तो वह इसको सफेद चूहा समझने की गलती कर सकता है। क्योंकि अगर इसकी पूंछ पर ज्यादा ध्यान ना दें, तो यह सफेद चूहे जैसी ही लगती है।
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