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    Mansa Musa
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    Mansa Musa: साल 1280 पश्चिम अफ्रीका के एक देश माली में एक बच्चे का जन्म होता है, आज इस बच्चे की किलकारियां कल उस राजा की आवाज में बदलने वाली थी, जो बड़ा होकर इस धरती का आज तक का सबसे अमीर इंसान बनने वाला था। इतना अमीर की आज के टॉप बिलिनियर्स जैसे एलॉन मस्क, जैफ बेजॉस और बांकी के अमीर लोगों की सारी जायदात एक साथ जोड़ भी दें, तो भी इसकी रहीसी के आस-पास भी ना आ पाएं।

    यह बच्चा कोई और नहीं बल्कि मनसा मूसा था। माली में मनसा का अर्थ होता है सुल्तान यानी की बादशाह और यह बच्चा मूसा मली का मनसा बनने वाला था। क्योंकि कुछ लोग का यह कहना था, मूसा माली के शाही घराने का असली वंशज था यानी माली के बादशाह फगा लेह का बेटा। इसी वजह से वह शाही गद्दी का असली हकदार था। लेकिन यहां पर एक थ्योरी यह भी है की मूसा माली के नोवे सुल्तान अबू बकरी की भरोसेमंद मंत्री था और इसीलिए उसे राजगद्दी दी गई। अब सच क्या है यह तो आज तक कोई नहीं कह सकता। (Mansa Musa)

    Mansa Musa मूसा के मनसा बनने का सफर-

    खैर अब चलते हैं मूसा के मनसा बनने के सफर पर। दरअसल 1312 में बादशाह के दिमाग में एक बात आती है, कि क्यों ना मेरे इस बड़े से राज्य को और बड़ा किया जाए। बस फिर क्या था अपनी इस बात पर अमल करने के लिए उन्होंने 200 सैनिकों से भरी और शो खाने पीने से भारी कश्तियों को अटलांटिक महासागर के छोर का पता लगाने भेज दिया। ताकि उस पार अगर कुछ हो तो उसके लोग उस जमीन पर भी कब्जा करके अपने साम्राज्य को और बढ़ा सकते हैं। पर ऐसा कुछ हुआ ही नहीं, इन कश्तियों को वहां पर जाकर काफी वक्त गुजर गया और ना ही कोई इंसान वापस आया और ना ही कोई कश्ती। 300 कश्तियां वहां पर गई थी और एक भी लौटकर वापस नहीं आई था। लेकिन एक दिन आचानक से एक कश्ती उन्हें वापस लौटती हुई दिखाई दी।

    Mansa Musa भयानक समुद्री चक्र-

    उसकी हालत बहुत ही बुरी थी और उसके वापस लौट आने के बाद जब उसके कप्तान से पूछा गया, उसकी इस हालत का जिम्मेदार कौन है, तो उनके लव्ज़ से बस एक ही चीज निकली भयानक समुद्री चक्र। जिसने उनकी सारी कश्तियों को और उसके अंदर मौजूद सभी लोगों को सारे खाने पीने को अपने अंदर एक दानव के जैसे समेट लिया। वह एकलौते जैसे तैसे भी करके बचते बचाते वहां से पहुंच गए। यह सुनने के बाद वहां के जो सुल्तान थे वह बहुत ज़्यादा निराश हो गए। में बहुत ही निराशा हुए, कि वह ऐसी सिचुएशन में कुछ नहीं कर पाए बस हाथ पै हाथ धरे बैठे थे। लेकिन इस हादसे के बाद भी वह अपने फैसले पर अटल थे, कि समुद्र के उस पार उन्हें जाकर कब्जा करना ही करना है।

    किसी भी हालत में और इसीलिए इस बार उन्होंने खुद उसके पार जाने का फैसला किया। पर जाने से पहले सुल्तान ने मूसा को एक बहुत ही इंपॉर्टेंट जिम्मेदारी सौंपी और वह जिम्मेदारी थी, पूरे माली के शासन को संभालने की और वह भी एक राजा के अधिकारों के साथ। इसके वह 3000 जहाज के साथ निकल पड़े अटलांटिक के छोर की ओर उसके बाद वक्त बिता और सदियां बीत गई। पर अबू कभी वापस लौटकर नहीं आए। हर किसी ने एक समय के बाद उनके आने की आशाएं छोड़ दी। लेकिन सरप्राइजिंग बात तो यह है, कि उनके जाने से शासन को कोई फर्क नहीं पड़ा। बल्कि अबू के समय तो माली के हालात अच्छे तो थे, ही लेकिन मूसा के आने के बाद यह अलग ही बुलंदियों को छूने लगे और हा यह मूसी का कोई तूक्का नहीं था।

    Mansa Musa सोची-समझी स्ट्रेटर्जिज़-

    बल्कि उसकी सोची-समझी स्ट्रेटर्जिज़ का नतीजा था। मूसा ने सबसे पहले तो यह सोचा. कि कैसे राज्य की आय यानी कि रेवेन्यू को बढ़ाया जा सके और उस वक्त इस सवाल का जवाब बिल्कुल सिंपल था, दो सबसे अहम चीज सोना और नमक को अपने अंडर करना और फिर उन्हें बेचकर पैसे आते रहेंगे और यह करने के लिए उसने ऐसे राज्यों पर हमला करना शुरू कर दिया। जिनके पास सोने और नमक की खदाने थीं, जैसे की बामबुक गोल्ड माइन जो तब भी सोना देती थी और आज भी देती है। इसके साथ हीIDJIL,AWLIL और TAGHAZA जहां से नमक निकलता है।

    अब ज़ाहिर सी बात है। मिनरल्स का मिलना इस इक्वल टू पैसा और अगर राज्य में पैसा आएगा, तो ओबवियसली राज्य के शाही खजाने में बढ़ोतरी होगी और शाही खजाने में बढ़ोतरी से राज्य और राजा दोनों ही अमीर हो जाएंगे और ऐसा हुआ भी। इनते साम्राज्यों पर आक्रमण करने के बाद माली साम्राज्या इतना बड़ा हुआ, कि पूर्व से पश्चिम तक माली की सीमाएं अटलांटिक तट से नाइजर नदी तक और बढ़ी और उत्तर से दक्षिण तक यही सीमाएं सब शहर से लेकर फॉरेस्ट ऑफिस ट्यूटोरियल अफ्रीका तक बढ़ गई।

    Mansa Musa मूसा के राज से कोई आपत्ति नहीं-

    मनसा मूसा को अपने राज्य को ऊंचाइयों तक पहुंचने में एक और चीज मदद कर रही थी। उसका धर्म इस्लाम राजा की ज्यादातर जनता इस्लामी थी और इसलिए उन्हें मूसा के राज से कोई आपत्ति नहीं थी। लेकिन मूसा के राज मे कुछ ऐसे भी कबीले थे, जो इस्लाम में नहीं मानते थे और उन्हें कबीले में से एक था बम बुक माइंनर्स का। उन्होंने मानसा के धर्म इस्लाम के खिलाफ विद्रोह किया। क्योंकि उन्हें उनका धर्म खतरे में लगने लगा। लेकिन मनसा की इतनी विशाल सेना के सामने वह थोड़ी ना टिकने वाले थे और ऐसा हुआ भी मनसा मूसा ने अपनी सेना की मदद से इस विद्रोह पर काबू पर लिया।

    पर मूसा ने उन्हें मारा नहीं उसने झट से यह बात समझ ली की अगर उसे शासन बनाए रखना है, तो उसे बाकी के धर्म को भी साथ लेकर चलना होगा और इसीलिए माली साम्राज्य के स्टेट रिलिजन तो इस्लामी था, पर कुरान के कानून वहां पर लागू नहीं होते थे। जिसका मतलब माली के एक इस्लामी देश होने के बाद भी वहां सारे धर्म को उनका धर्म प्रेक्टिस करने की छूट मिलती थी। यानी उसके राज्य के सारे लोग उसके साथ थे।

    Mansa Musa आसपास के नेबरिंग राज्य-

    सिर्फ उसके राज्य के ही नहीं बल्कि उसके राज्य के आसपास के नेबरिंग राज्य के उस वक्त सारे इस्लामी राज्य एक दूसरे को अपना अलॉय मानते थे। मली के आसपास तब भी और आज भी इस्लामिक कंट्री थी और इसीलिए माली साम्राज्य को दूसरे राज्यों से हमले की कभी चिंता भी नहीं रही और इसीलिए किसी भी राज्य पर भारी हमले कम होंगे, तो जाहिर सी बात है वह राज्य अपनी आर्थिक व्यवस्था यानी इकोनॉमी पर पूरा ध्यान दे पाएगा और मनसा मूसा ने भी कुछ यही किया।

    उसने अपने देश की अर्थव्यवस्था को आसमान की ऊंचाइयों पर पहुंचा दिया। वह भी सिर्फ दो चीज़ों की मदद से पहला टैक्स लगाकर और दूसरा ट्रिब्यूट लेकर। माली साम्राज्य की रहीसी और इतना बड़ा व्यापार सिर्फ तीन मुख्य चीजों की वजह से सोना, नमक और कोला जो की एक फल है। सोने की कीमत और मांग माली में तब भी और आज भी सेम ही है। आज माली अफ्रीका का 4th लार्जेस्ट और गोल्ड का 13th लार्जेस्ट गोल्ड प्रोड्यूसर है और माली उस समय भी यूरोप को मिडल ईस्ट से ज्यादा सोना बना रहा था। पर इससे यह मत समझ लेना, कि इसलिए मूसा इतना अमीर था।

    Mansa Musa खदानों से फायदा कैसे-

    माली में मौजूद कोई भी सोने की खदान मूसा या माली राज्य की कभी थी ही नहीं। फिर सवाल यह आता है की मनसा मूसा को इन खदानों से फायदा कैसे मिलता था। तो इसका जवाब यह है कि उसने खदान से निकले सोने पर इतना टैक्स लगी रखा थी। की ऐसा कहा जाता है, पूरा माली साम्राज्य सिर्फ टैक्स के बल पर ही चलता था और इसीलिए मूसा को कभी भी इन खदानों को अपने काबू में लाने की जरूरत पड़ी नहीं। वहीं मूसा ने तो इन खदानो की लोकेशन को भी दुनिया की नजरों से सीक्रेट रखा था। माइनर कम्युनिटीज अपना सोना सूडान के मिडिलमैन को जरूर की चीजों के बदले बेचते और यह सुडानी जरूरत की चीजों को बाहर के ट्रेडर्स से खरीदते और इस तरह से किसी बाहर वालों को इन माइंस का पता ही नहीं चलता।

    लेकिन दूसरी ओर नमक की खदानों और कोला फल भी माली की अर्थव्यवस्था में बहुत अहम भूमिका निभा रहे थे। यह नमक कोई खास नमक नहीं था, वही खाने में डालने वाला नमक है, पर सिर्फ खाने में ही नहीं बल्कि सहारा जैसे रेगिस्तान में खाने की चीजों को खराब होने से बचाने में भी यह बहुत ही काम आता था और इसीलिए उस वक्त नमक की कीमत भी सोने से काम नहीं थी और यह कोला एक ऐसा फल है, जो रेगिस्तान में पानी की प्यास लगने से रोकता है और इसी वजह से इन दोनों चीजों का व्यापार काफी ज्यादा बढ़ जा रहा था।

    चीज़ों की डिमांड ज़्यादा-

    अब यह तो सिंपल सी बात है जिन चीज़ों की डिमांड ज़्यादा थी। उन पर मूसा ने हैवी टैक्स लगाया हुआ था और बस इसी के दम पर मनसा मूसा इतनी अमीर में जी रहा था, कि आज किसी जानकार से पूछा जाए, कि उसकी वेल्थ कितनी होगी तो उसका बस एक ही जवाब होगा. इन केलकुलेबल। इस इन कैलकुलेबल का नज़ारा मंसा मूसा के 9600 किलोमीटर्स की हज यात्रा के दौरान देखने मिला। बाकी मुसलमान की तरह मनसा मूसा भी अपनी हज यात्रा पूरी करने साल 1324 में निकल पड़ा।

    पर इस यात्रा पर वह अकेले नहीं था, उसके साथ एक बहुत ही बड़ा काफिला था। इतना बड़ा कि उसके बारे में आप लोग सोच भी नहीं सकते। आपको क्या लगता है कितने लोग साथ होंगे 5000, 10,000 नहीं। पूरे 60,000 लोगों का काफिला उसके साथ निकाला था। जिसमें से 12000 तो सिर्फ गुलाम ही थे, जिनका काम था सोने से भरे बक्सों को उठाना। इसके अलावा 8 उंट जिनके पीठ पर सोने के पाउडर से भरे बक्से से लगे हुए थे और यह सब क्यों।

    20,000 किलो सोना बांटने के लिए-

    आपको बता दूं यह सारा सोना सिर्फ जकात यानी की चैरिटी के लिए था। हां करीबन 20,000 किलो सोना बस बांटने के लिए था। तो जैसे-जैसे सफर में आगे बढ़ता तो उस दौरान उस जगह पर सामने आए जरूरतमंदों के बीच सोना बांटते जाता। इसके अलावा जहां भी उसका काफिला शुक्रवार को रुकता उन जगहों पर उसने मस्जिद बनवाए। इन फैक्ट सफर के दौरान मूसा की दूसरी बीवी को एक जगह पर रेगिस्तानी धूल से थोड़ी परेशानी हो गई, तो उसने उसे जगह पर तुरंत ही एक इरिगेशन सिस्टम बनवा लिया। मूसा ने CAIRO, MECCA और मदीना हर जगह पर 20-20 हजार सोने की ईंटे दान दिए।

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    हाइपर इन्फ्लेशन-

    हालांकि आज तक बहुत सारे राजाओं ने दान दिए हैं, लेकिन इसने कितना बड़ा दान दिया था, यह बात आप इस तरह से जान सकते हो, कि इसके ज़कात की वजह से पूरे मिडल ईस्ट और अफ्रीका में हाइपर इन्फ्लेशन आ गया था। इतना बड़ा इन्फ्लेशन की सोने का भाव एक ही झटके में गिर गया। इंसानी इतिहास में यह पहली बार हुआ था, कि किसी एक इंसान के दान के वजह से किसी रीजन में हाइपर इन्फ्लेशन आ गया। लेकिन फिर उसके आगे सोने का भाव क्या हुआ इसका पता इतिहास में दर्ज नहीं है। लेकिन इतनी दानवीर हरकतों के बाद भी माली साम्राज्य से ज्यादा देर तक से शिख पर टिका था।

    मूसा की मौत के बाद ही उसके सारे मंत्रियों ने बेईमानी करना शुरू कर दिया और राज्य को अपने इनफ्लुएंस में लेना शुरू किया और मूसा ने जिन राज्यों पर कब्ज़ा किया था, वह भी अलग हो गए। इसी के साथ माली साम्राज्य का अंत हो गया। अब देखा जाए तो माली साम्राज्य का राजा इतना अच्छा और किसी दूसरे राज्य का माली पर हमला करने की कोई गुंजाइश नहीं। इसी वजह से माली साम्राज्य दुनिया में इतना अमीर हो पाया।

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