Mysterious Temples of India: भारत में बहुत से ऐसे रहस्यमई मंदिर मौजूद हैं, जो कई सालों से पुराने इतिहा, को संजोय हुए हैं। इसके साथ ही इनसे जुड़े हुए बहुत से ऐसे रहस्य भी हैं, जो आज तक सुलझ नहीं पाए हैं। आज हम आपको भारत के 10 ऐसे रहस्यमई मंदिरों के बारे में बताने वाले हैं, जो विज्ञान को भी चुनौती देते हैं। आईए जानते हैं-
वीर भद्र मंदिर (Mysterious Temples of India)-
वीर भद्र मंदिर में भगवान शिव के कई मंदिर है और हर एक मंदिर से कोई ना कोई रहस्य जुड़ा हुआ है। यह मंदिर आंध्र प्रदेश में है और खास बात यह है, कि इस विशाल मंदिर का भार मात्र एक खंभे पर है, जो हवा में लटका हुआ है। मंदिर में अन्य खंबे भी हैं, लेकिन हवा में लटका वह एक खंभा कई रहस्य और चमत्कार को समेटे हुए हैं। आंध्र प्रदेश के अनंतपुर जिले में भगवान शिव का लेपाक्षी नामक एक मंदिर है, इस मंदिर में भगवान शिव के क्रूर और रौद्र रूप भगवान वीरभद्र विराजमान है। इसी कारण से इस मंदिर को वीरभद्र मंदिर भी कहा जाता है। यह मंदिर हैंगिंग पिलर टेंपल के नाम से भी फेमस हो चुका है। इस मंदिर में यूं तो 70 खंभे हैं, लेकिन लोगों का ध्यान खीचता है, हवा में लटका वह खंबा। जिस पर मंदिर का पूरा भार आधारित है। मंदिर में मौजूद हवा में लटके इस खंबे को आकाश स्तंभ के नाम से भी जाना जाता है। यह खंभा जमीन से आधा इंच के करीब ऊपर उठा हुआ है।
अनंत पद्मनाभ झील मंदिर(Mysterious Temples of India)-
केरल झील के बीच में मौजूद पद्मनाभ झील मंदिर भारत का रहस्यमई मंदिर है। अनंत पद्मनाभ झील मंदिर के बारे में रहस्यमय बात, यह है कि इसकी रक्षा एक शिकारी जानवर द्वारा की जाती थी, जिसने आजीवन शाकाहारी भोजन खाया था। दुनिया का सबसे क्रूर मांस खाने वाला जीव मगरमच्छ यहां पके हुए चावल और गुड़ समेत मंदिर के प्रसाद ही खाता था। यह दोपहर की पूजा के बाद भक्त बिना किसी डर के अपने हाथों से इस मगरमच्छ को प्रसाद खिलाते थे। पिछले लगभग 70 सालों से बबिया नाम का यह मगरमच्छ तालाब या झील में रह रहा था और वह इंसानों के साथ बहुत अच्छे से घुला मिला हुआ था। केरल के इस रहस्यमई मंदिर का इतिहास नौवीं शताब्दी का है। मंदिर के मंडप की छत के अंदर आपको लकड़ी की सुंदर नक्काशी देखने को मिलेगी, जो भगवान विष्णु के 10 अवतारों को प्रदर्शित करता है। मंदिर के पुजारी और शाकाहारी मगरमच्छ के बीच अच्छा ताल-मेल तथा। पहले बबिया तालाब से निकलकर मंदिर परिसर में घुस गया था, लेकिन पुजारी के प्राथर्ना करने पर बबिया वापस तालाब पर लौट आया। दुख की बात तो यह है, बबिया, जो इतने सालों से इस मंदिर की रक्षा कर रहा था। इसमें रह रहा था, उसका देहांत हो गया था। बबिया की अंतिम यात्रा में सैकड़ो भक्त उपस्थित थे और उन सब ने सम्मानपूर्वक बबिया को अलविदा कहा।
बिजली महादेव मंदिर(Mysterious Temples of India)-
बिजली महादेव मंदिर प्राकृतिक सुंदरता के साथ एक पहाड़ की एक चोटी पर मौजूद है। इस मंदिर में बिजली का गिरना एक चमत्कार है, जो हर 12 साल में गिरती है। इस घटना के बाद यहां का शिवलिंग टूट जाता है और पुजारी द्वारा उसे मक्खन से जोड़ा जाता है। जिससे वह पुराने स्वरूप वापस लौट आता है। यह अनुभव मंदिर में श्रद्धालुओं के लिए एक अद्भुत अनुभव होता है और यहां दूर-दूर से दर्शन के लिए आते हैं। बिजली महादेव मंदिर काश्वरी गांव में मौजूद है, जो काफी ऊंचाई पर है। इसकी प्राचीनता और अद्भुत विशिष्टता की वजह से यह मंदिर भारत के प्राचीनतम मंदिरों में से एक माना जाता है। शिवलिंग के टुकड़े हो जाने के बावजूद जब पुजारी उन्हें मक्खन से जोड़ते हैं, तो वह फिर से अपने पहले वाले रुप में आ जाते हैं। यह चमत्कारिक प्रक्रिया मंदिर की रहस्यमय्यता को और बढ़ा देती है। यह एक आध्यात्मिक और श्रद्धा भरा अनुभव हो सकता है, जो लोगों को प्रभावित करता है।
यहां की रहस्यमई घटनाओं के पीछे पौराणिक कथाएं और मान्यताएं हैं, जो इसके महत्व को दर्शाती हैं। गांव के मुताबिक दैत्य कुलांत ने इस जगह को अपना निवास स्थान बनाया था और उसकी इच्छा थी की वह इस जगह को पानी में डुबो दे। लेकिन भगवान शिव ने अपने त्रिशुल से उसका वध कर दिया और इसके बाद उसका शरीर एक विशाल पर्वत बन गया। इस घटना की वजह से इस जगह का नाम कूल्लू पड़ा। मान्यताओं के मुताबिक हर 12 साल में इंद्रदेव यहां बिजली गिराते हैं, जो भगवान शिव के कहने पर होता है।
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कामाख्या देवी मंदिर-
51 शक्तिपीठों में से एक कामाख्या शक्तिपीठ बहुत ही प्रसिद्ध और चमत्कारी है। कामाख्या देवी का मंदिर अघोरियों और तांत्रिकों का गढ़ माना जाता है। असम की राजधानी दिसपुर से लगभग 7 किलोमीटर दूर मौजूद यह शक्तिपीठ नीलांचल पर्वत से 10 किलोमीटर दूर है। कामाख्या मंदिर सभी शक्तिपीठों का महापीठ माना जाता है, इस मंदिर में देवी दुर्गा या मां अंबे की कोई मूर्ति या चित्र आपको नज़र नहीं आएगा। यहां मंदिर में एक कुंड है, जो कि हमेशा फूलों से ढका रहता है। इस कुंड से हमेशा ही जल निकलता रहता है। चमत्कारों से भरे इस मंदिर में देवी की योनि की पूजा की जाती है। धर्म पुराणों के अनुसार माना जाता है कि इस शक्तिपीठ का नाम कामाख्या, इसलिए पड़ा। क्योंकि इस जगह भगवान शिव का मोह भंग करने के लिए विष्णु भगवान ने अपने चक्र से माता सती के 51 भाग किए थे। जहां पर यह भाग गिरे वहां उनका एक शक्तिपिठ बन गया।
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