Murshidabad Violence
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    Murshidabad Violence: केंद्रीय गृह मंत्रालय (MHA) ने मंगलवार को पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले के तीन सीमावर्ती क्षेत्रों में हाल ही में हुई हिंसा पर गंभीर चिंता व्यक्त की है। सूत्रों के अनुसार, मंत्रालय ने एहतियाती उपाय के तौर पर अतिरिक्त पैरामिलिट्री फोर्स तैनात की है। हिंसा की प्रारंभिक जांच से संकेत मिलता है कि इसमें बांग्लादेशी उपद्रवियों का हाथ है, जिन्हें कथित तौर पर स्थानीय तृणमूल कांग्रेस (TMC) के नेताओं का समर्थन प्राप्त था। हालांकि, बाद में इन नेताओं का इन तत्वों पर से नियंत्रण खत्म हो गया।

    इस हिंसा के कारण हिंदू परिवारों को विस्थापित होना पड़ा और कई लोगों को मालदा भागने के लिए मजबूर होना पड़ा, जिससे फिर से घुसपैठ और सांप्रदायिक अशांति की आशंका बढ़ गई है। सूत्रों ने बताया, कि केंद्र ने ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली राज्य सरकार से स्पष्टीकरण मांगा है, कि वह जान-माल की रक्षा करने, रेलवे संपत्ति पर हमले को रोकने और हिंसा के शुरुआती चरणों में पुलिस की निष्क्रियता के बारे में जवाब दे।

    Murshidabad Violence बीजेपी के आरोप-

    इस बीच, भारतीय जनता पार्टी (BJP) के नेताओं ने तृणमूल कांग्रेस सरकार पर वक्फ बिल को लेकर सांप्रदायिक तनाव पैदा करने का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि सरकार एसएससी भर्ती घोटाले से ध्यान हटाने के लिए ऐसा कर रही है, जिसके कारण 26,000 से अधिक उम्मीदवारों की नौकरियां खतरे में पड़ गई हैं। बीजेपी नेताओं ने आरोप लगाया है कि यह हिंसा टीएमसी शासन के तहत हिंदुओं की गहरी असुरक्षा को उजागर करती है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने जानबूझकर इस स्थिति को बढ़ावा दिया है ताकि वह अपने विफलताओं से जनता का ध्यान हटा सके।

    Murshidabad Violence केंद्रीय गृह मंत्रालय का हस्तक्षेप-

    केंद्रीय गृह मंत्रालय ने पहले पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव और डीजीपी के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से स्थिति का आकलन किया और कानून व्यवस्था के उपायों की समीक्षा की थी। यह बैठक स्थिति की गंभीरता को देखते हुए बुलाई गई थी।इस बीच, कलकत्ता उच्च न्यायालय ने शनिवार को पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में केंद्रीय सशस्त्र बलों की तैनाती का आदेश दिया, जहां वक्फ संशोधन अधिनियम के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हिंसा में बदल गया था।

    Murshidabad Violence की पृष्ठभूमि-

    यह अशांति 12 और 13 अप्रैल, 2025 को मुर्शिदाबाद के कई हिस्सों में फैल गई, जिसमें सूती, धूलियन और जंगीपुर शामिल हैं। यह संशोधित वक्फ अधिनियम के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों से शुरू हुई थी, लेकिन जल्द ही हिंसक रूप ले लिया। स्थानीय लोगों का कहना है कि विरोध प्रदर्शन शांतिपूर्ण थे, लेकिन कुछ बाहरी तत्वों ने इसे हिंसक रूप दे दिया। कई दुकानों और घरों में तोड़फोड़ की गई और आग लगा दी गई। कई लोग घायल हुए और कुछ लोगों को अपने घर छोड़कर भागना पड़ा।

    Murshidabad Violence स्थानीय स्थिति-

    मुर्शिदाबाद के सूती इलाके के एक निवासी रवि कुमार ने बताया, "हम रात में सो रहे थे जब अचानक शोर सुनाई दिया। जब हमने बाहर देखा तो एक भीड़ हमारे घरों की ओर बढ़ रही थी। हमें अपने बच्चों और बुजुर्गों को लेकर भागना पड़ा।" कई परिवारों को अभी भी अपने घरों से दूर रहना पड़ रहा है और वे राहत शिविरों में शरण ले रहे हैं। स्थानीय प्रशासन ने कहा है कि वे स्थिति को नियंत्रित करने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं और प्रभावित लोगों को हर संभव सहायता प्रदान कर रहे हैं।

    राज्य सरकार की प्रतिक्रिया-

    पश्चिम बंगाल सरकार ने इन आरोपों को खारिज कर दिया है कि उसने स्थिति को नियंत्रित करने में देरी की है। राज्य के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, "हमने तुरंत कार्रवाई की और स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि कुछ राजनीतिक दल इस मुद्दे का राजनीतिकरण कर रहे हैं।" हालांकि, विपक्षी दलों का कहना है कि राज्य सरकार ने पहले दिन से ही स्थिति को गंभीरता से नहीं लिया, जिससे हिंसा बढ़ गई। वे मांग कर रहे हैं कि इस मामले की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए और दोषियों को कड़ी सजा दी जानी चाहिए।

    वक्फ संशोधन अधिनियम विवाद-

    वक्फ संशोधन अधिनियम, जिसने इस हिंसा को ट्रिगर किया, पिछले कुछ समय से विवादों में रहा है। इस अधिनियम में वक्फ बोर्ड के कामकाज और संपत्तियों के प्रबंधन में कई बदलाव किए गए हैं, जिससे कुछ वर्गों में असंतोष पैदा हुआ है। विरोध करने वालों का कहना है कि ये संशोधन वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में अनावश्यक हस्तक्षेप हैं, जबकि समर्थकों का मानना है कि ये सुधार पारदर्शिता और जवाबदेही लाएंगे।

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    आगे की कार्रवाई-

    गृह मंत्रालय ने कहा है, कि वह स्थिति पर बारीकी से नज़र रख रहा है और आवश्यकता पड़ने पर अतिरिक्त बल भेजने के लिए तैयार है। मंत्रालय ने राज्य सरकार से भी कहा है कि वह सभी संभावित कदम उठाए ताकि ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।कलकत्ता उच्च न्यायालय ने भी इस मामले का स्वत: संज्ञान लिया है और राज्य सरकार से स्थिति पर एक विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। न्यायालय ने कहा है कि वह कानून-व्यवस्था बनाए रखने और प्रभावित लोगों को न्याय दिलाने के लिए हर संभव कदम उठाएगा।

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