Begging Mafia in India: अगली बार जब सड़क पर किसी भिखारी को भीख माँगते हुए देखें, ज़रा ध्यान दीजिए। आपके सामने खड़ा वह भिखारी सिर्फ एक गरीब इंसान नहीं हो सकता, वह एक बड़े ऑर्गनाइज्ड क्राइम नेटवर्क का हिस्सा हो सकता है। क्या आपको पता है कि भारत में ऑर्गनाइज्ड बेगिंग एक 1.5 लाख करोड़ की इंडस्ट्री है? हैरान करने वाला तथ्य यह है कि बहुत से भिखारी मजबूरी में नहीं, बल्कि बेगिंग माफिया के शिकार होने की वजह से भीख माँग रहे हैं। यह एक ऐसा सच है जिसके बारे में बहुत कम लोग जानते हैं। आज हम बात करेंगे ऐसे ही एक खतरनाक सच की - बेगिंग माफिया भारत का छुपा हुआ सच!
Begging Mafia in India वास्तविक जीवन का उदाहरण-
2022 की बात है। एक डेली वेज लेबर, सुरेश मांझी, काम की तलाश में बिहार से कानपुर आया था। यशोदा नगर स्लम क्लस्टर में रह रहा था। एक दिन इसकी मुलाकात विजय नाम के एक आदमी से हुई जो इसे काम दिलाने का वादा करता है। अगले दिन जैसे ही सुरेश झाकरकट्टी ब्रिज के नीचे पहुंचा, किसी ने पीछे से उसके ऊपर काला कपड़ा डाल के उसे किडनैप कर लिया। फिर उसे ड्रग्स देकर बेहोश किया गया, और उसकी आंखों में एक केमिकल इंजेक्ट किया गया जिससे वह अंधा हो गया। इसके साथ ही उसके हाथों की उंगलियां काट दी गईं और शरीर के कई हिस्सों पर चोट के निशान छोड़ दिए गए ताकि वह भीख मांगने के लिए "सूटेबल" बन जाए।
कुछ दिन बाद सुरेश को 70,000 रुपए में बेच दिया गया। दिल्ली पहुंचकर उसे भीख मांगने के लिए एक जगह पर छोड़ दिया गया। सिर्फ दो रोटियां ये लोगों ने सुरेश को देते थे ताकि वह पतला हो लोगों को उस पर दया आए। हर दिन केमिकल्स इंजेक्ट किए जाते। सुरेश का शरीर समय के साथ बर्दाश्त नहीं कर सका, उसे इन्फेक्शन हो गया। जब वह और पैसे नहीं कमा पा रहा था, गैंग लीडर्स ने उसे डंप कर दिया। जैसे-तैसे करके सुरेश अपने घर पहुंचा, लेकिन उसकी हालत इतनी खराब थी कि उसके परिवार वाले भी उसे पहचान नहीं पाए। दोस्तों, ये कोई इमेजिनरी कहानी नहीं है। ये सच में हुई घटना है। और सुरेश का मामला कोई अकेला मामला नहीं है। भारत में ऐसे हज़ारों मामले सामने आते रहते हैं, लेकिन बहुत कम लोग इस समस्या के बारे में जानते हैं।
Begging Mafia in India बेगिंग माफिया क्या है?
भारत में ऑर्गनाइज्ड बेगिंग एक हाईली सोफिस्टिकेटेड क्रिमिनल नेटवर्क है जिसे हम "बेग माफिया" कहते हैं। इसकी कार्यप्रणाली बहुत ही व्यवस्थित और सुनियोजित होती है। यह एक पूरा सिस्टम है जिसमें हर चीज़ की पूर्व योजना बनाई जाती है।
बेगिंग माफिया के पास हर चीज का सिस्टम है:-
- कौन किस एरिया में भीख मांगेगा
- कौनसे एरिया में ज्यादा पैसे मिलेंगे (मंदिर, मस्जिद, स्टेशन)
- कौनसे फेस्टिवल्स पर कहां जाना है
- कैसे इमोशनल मैनिपुलेशन करनी है
- किस समय पर कहाँ ज्यादा लोग होंगे और कैसे उनसे पैसे हासिल किए जाएंगे
इन माफिया गैंग्स का अपना एक हाइरार्की सिस्टम होता है। इसमें सबसे ऊपर बॉस होता है, उसके बाद क्षेत्रीय प्रबंधक, फिर सुपरवाइज़र और सबसे नीचे भीख मांगने वाले लोग होते हैं। ये सभी बड़े ही सिस्टमैटिक तरीके से काम करते हैं।
चेन्नई में एक बेगिंग रैकेट पकड़ा गया जहां महिलाओं को हिंदू सैफ्रन कपड़े पहनाकर मंदिरों के सामने भीख मांगने को कहा जाता था। फिर यही महिलाएं कॉस्टयूम स्विच करके मुस्लिम बुर्का पहनकर मस्जिद के सामने भीख मांगती थीं। लोगों के खुले दिल का फायदा उठाने के लिए!
यह सिर्फ एक छोटा सा उदाहरण है। माफिया के पास कई और तरीके हैं जिनसे वे लोगों की भावनाओं का फायदा उठाते हैं। कभी-कभी वे विकलांग बच्चों को ड्रग्स देकर नशे में रखते हैं और उन्हें भीख मंगवाते हैं, कभी-कभी वे छोटे बच्चों को किराए पर लेकर उनके साथ महिलाओं को भेजते हैं ताकि लोग दया दिखाएँ।
Begging Mafia in India समस्या कितनी बड़ी है?
सेन्सस 2011 के अनुसार, देश में 4 लाख से ज्यादा भिखारी थे। और जानकर हैरानी होगी कि इनमें से 21% 12वीं पास थे! 3,000 से ज्यादा भिखारी ऐसे थे जिनके पास प्रोफेशनल डिप्लोमा या डिग्री थी! यह आंकड़ा बताता है कि सभी लोग गरीबी के कारण नहीं, बल्कि अन्य कारणों से भी भीख मांगने पर मजबूर हो जाते हैं।
कुछ अनुमानों के अनुसार, भारत में भीख मांगने का व्यवसाय 1.5 लाख करोड़ रुपये का है, लेकिन इसका एक बड़ा हिस्सा बेगिंग माफिया के पास जाता है, न कि वास्तविक भिखारियों के पास।
आंकड़े बताते हैं कि:-
- 32% भिखारी रोज के 100 रुपए से भी कम कमाते हैं
- 33% लोग रोज 100-200 रुपए के बीच कमाते हैं
- 22% लोग 200-400 रुपए कमाते हैं
- सिर्फ 1% भिखारी ही 400 रुपए से ज्यादा कमा पाते हैं
और अगर इन भिखारियों ने किसी गैंग का शिकार हैं, तो जो पैसे ये कमाते हैं, वो खुद के लिए भी नहीं रख पाते। दिन खत्म होने के बाद इन्हें अपना सारा पैसा गैंग लीडर को देना होता है। गैंग लीडर इन्हें सिर्फ इतना ही देते हैं कि ये जिंदा रह सकें और अगले दिन फिर से भीख मांग सकें।
महानगरों में यह समस्या और भी गंभीर है। दिल्ली, मुंबई, कोलकाता और चेन्नई जैसे शहरों में बेगिंग माफिया के बड़े-बड़े नेटवर्क सक्रिय हैं। यहां तक कि छोटे शहरों में भी यह समस्या धीरे-धीरे फैल रही है।
Begging Mafia in India पीड़ितों की भर्ती कैसे की जाती है?
बेगिंग रिंग्स सबसे कमजोर लोगों को अपना टारगेट बनाते हैं, खासकर बच्चे। बहुत से बच्चों को किडनैप किया जाता है, उनकी ट्रैफिकिंग की जाती है, और यहां तक कि गरीब परिवारों को झूठे वादे करके उनके बच्चों को माफिया को बेच भी दिया जाता है।
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो के अनुसार, इंडिया में हर साल हजारों बच्चे गायब होते हैं, और इनमें से बड़ी संख्या में बच्चों को जबरदस्ती बेगिंग के काम में लगाया जाता है। कुछ अनुमानों के अनुसार, दिल्ली में अकेले ही हर साल 5,000 से ज्यादा बच्चे गायब होते हैं, जिनमें से कई बच्चे भिखारी माफिया के शिकार हो जाते हैं।
कुछ गैंग्स तो बच्चे रेंट पर भी ले लेते हैं! सुबह गैंग को सौंप देते हैं और शाम को वापस ले लेते हैं। बदले में उन्हें 200-300 रुपये प्रति दिन मिलते हैं।
आंध्र प्रदेश में बच्चों को बेगिंग गैंग लगभग ₹300 प्रति दिन रेट पर लेते थे और बच्चों को स्लीपिंग पिल्स दी जाती थी ताकि वो पूरे दिन शांत रहें। माता-पिता को कहा जाता था कि उनके बच्चे फिल्म शूटिंग के लिए एक्स्ट्रा के रूप में काम कर रहे हैं।
इसके अलावा, कई बार लोगों को फर्जी नौकरियों के वादे करके भी फंसाया जाता है। जब वे नौकरी के लिए आते हैं, तो उन्हें अगवा कर लिया जाता है और फिर उन्हें विकलांग बनाकर भीख मांगने के लिए मजबूर किया जाता है।
Begging Mafia in India ड्रग्स और कंट्रोल-
ड्रग्स की भी यहां पर एक बड़ी इन्वॉल्वमेंट देखने को मिलती है। 14 साल के जावेद की कहानी है जो दिल्ली के कनॉट प्लेस के पुराने हनुमान मंदिर के पास भीख मांग कर रोजाना 10-20 रुपए कमाता है। इसमें से ज्यादा पैसे अपने हैंडलर को देता है जो ड्रग्स सप्लाई करता है।
गैंग लीडर्स बच्चों को ड्रग्स की लत लगा देते हैं, जिससे वो काबू में रहें। ड्रग्स की लत इतनी खतरनाक होती है कि ये बच्चे अपने हैंडलर्स के खिलाफ जाने की हिम्मत नहीं कर पाते। उसके बाद वो उन्हें ड्रग्स तभी देते हैं जब वो भीख मांग कर सारा पैसा लाने को तैयार हो जाएं।
इसके अलावा, कई बार भिखारियों को विकलांग बनाने के लिए भी ड्रग्स का इस्तेमाल किया जाता है। उन्हें ऐसी दवाइयां दी जाती हैं जिससे उनके शरीर के अंग सुन्न हो जाते हैं या उनके शरीर में सूजन आ जाती है। यह सब इसलिए किया जाता है ताकि लोगों को उन पर दया आए और वे ज्यादा पैसे दें।
एक रिपोर्ट के अनुसार, मुंबई में एक बेगिंग रैकेट का खुलासा हुआ था जहां बच्चों को लगातार कोडीन और अन्य नशीली दवाइयां दी जाती थीं ताकि वे दिन भर नशे में रहें और अपने हैंडलर्स के आदेशों का पालन करें।
Begging Mafia in India राजनीतिक कनेक्शन और कवर-अप्स-
कई बार देखा गया है कि बेगिंग माफिया के पास पॉलिटिकल बैकिंग भी होती है। आंध्र प्रदेश में जब NGOs ने बच्चों को रेस्क्यू करने की कोशिश की तो लोकल पॉलिटिशियन्स ने बेगिंग माफिया को बचाया।
राजनीतिक संरक्षण के कारण ही ये माफिया इतने बेखौफ होकर काम करते हैं। पुलिस और प्रशासन भी कई बार इनके खिलाफ कार्रवाई करने से हिचकिचाते हैं क्योंकि ये माफिया बड़े-बड़े नेताओं के संरक्षण में काम करते हैं।
जब भी कोई इंटरनेशनल इवेंट होता है, सरकारें इस प्रॉब्लम को सॉल्व करने की बजाय छुपाने में लग जाती हैं:
- 2023 में जब G20 समिट हुआ दिल्ली में, भिखारियों को पकड़कर टेम्पररी शेल्टर होम्स में डाल दिया गया
- 2017 में जब US प्रेसिडेंट डोनाल्ड ट्रंप की वाइफ इवांका ट्रंप हैदराबाद आई थीं, शहर ने टेम्पररी बेगिंग पर बैन लगा दिया
- 2010 में कॉमनवेल्थ गेम्स के दौरान, सैकड़ों भिखारियों को जबरदस्ती ट्रक्स में भरकर दूसरे शहरों में भेजा गया
ये सारे उदाहरण बताते हैं कि सरकारें इस समस्या को सुलझाने की बजाय सिर्फ छुपाना चाहती हैं। अंतरराष्ट्रीय आयोजनों के दौरान भिखारियों को शहरों से बाहर कर देना एक स्थायी समाधान नहीं है। इससे समस्या का समाधान नहीं होता, बल्कि यह सिर्फ अस्थायी रूप से छिप जाती है।
कानूनी स्थिति-
बेगिंग के खिलाफ पहला कानून "बॉम्बे प्रिवेंशन ऑफ बेगरी एक्ट 1959" आया था। इसके तहत जो भी इंसान भीख मांगता था उसे 10 साल तक की सजा सुनाई जा सकती थी। लेकिन यह कानून भिखारियों के लिए नहीं, बल्कि उनके खिलाफ था। इसमें भीख मांगने वालों को अपराधी माना जाता था, न कि पीड़ित।
2018 में दिल्ली हाई कोर्ट ने दिल्ली में इस एक्ट के कुछ सेक्शन्स को अनकॉन्स्टिट्यूशनल बताया और बेगिंग को डिक्रिमिनलाइज करने को कहा। कोर्ट का कहना था कि लोग अपनी मर्जी से सड़कों पर भीख नहीं मांगते, बल्कि उनके लिए यह सर्वाइव करने का आखिरी रास्ता होता है।
कोर्ट ने कहा, "हम बेगिंग को अपराध नहीं मान सकते। यह मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है। लोग भीख मांगते हैं क्योंकि उनके पास कोई विकल्प नहीं होता। अगर कोई मजबूरी में भीख मांगता है तो उसे अपराधी नहीं माना जा सकता।" इस कानून के तहत, जो कोई भी बच्चों से भीख मंगवाता है, उसे 5 साल तक की कैद और 1 लाख रुपये तक का जुर्माना हो सकता है। हालांकि, इन कानूनों का क्रियान्वयन बहुत कमजोर है। बहुत कम मामले दर्ज होते हैं और उनमें से भी बहुत कम में सजा होती है। इसका फायदा बेगिंग माफिया उठाता है और बेखौफ होकर अपना धंधा चलाता रहता है।
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क्या है समाधान?
असली सॉल्यूशन है:
- भिखारियों को रेस्क्यू करने के बाद उन्हें गवर्नमेंट शेल्टर्स में रखना
- उन्हें काउंसलिंग, एजुकेशन और ट्रेनिंग देना
- जॉब्स क्रिएट करना, एस्पेशली डिसेबल्ड लोगों के लिए
- अवेयरनेस फैलाना ताकि लोग जान सकें कि भीख देने से इस समस्या का समाधान नहीं होता
- बेगिंग माफिया के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई
लेकिन इम्प्लीमेंटेशन फेल रही है। दिल्ली सरकार ने लामपुर गांव में भिखारियों के लिए रिहैबिलिटेशन सेवा सदन बनाया था। इसमें 1,500 लोग रह सकते हैं। 2010 में यहां 200 भिखारियों को रिहैबिलिटेट किया गया था जो एक्चुअल कैपेसिटी से बहुत कम है। 2014 में सिर्फ 60 भिखारी यहां भेजे गए, 2016 में सिर्फ एक और 2017 के बाद एक भी भिखारी यहां नहीं आया।
2020 में यूनियन मिनिस्ट्री ऑफ सोशल जस्टिस एंड एम्पावरमेंट ने एक पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया जिसमें कहा गया कि देश के 10 शहरों को भिखारी-मुक्त बनाया जाएगा। इन शहरों में इंदौर और मुंबई के नाम शामिल हैं। लेकिन अभी तक इस प्रोजेक्ट के ठोस परिणाम सामने नहीं आए हैं।
कुछ NGOs भी इस दिशा में काम कर रहे हैं। वे भिखारियों को रेस्क्यू करते हैं, उन्हें मेडिकल सहायता और काउंसलिंग प्रदान करते हैं, और उन्हें नई जिंदगी शुरू करने में मदद करते हैं। लेकिन इन NGOs के पास संसाधनों की कमी होती है और वे बहुत सीमित संख्या में ही लोगों की मदद कर पाते हैं।
आप कैसे मदद कर सकते हैं?
- भिखारियों को सीधा पैसे न दें - क्योंकि आपको बताना मुश्किल है कि वह इंडिपेंडेंट है या किसी बेगिंग माफिया का हिस्सा। पैसे देकर आप अक्सर बेगिंग माफिया को ही सपोर्ट कर रहे होते हैं, न कि वास्तविक भिखारी को।
- अगर आपको इन्हें देखकर लगता है कि ये भूखे हैं तो डायरेक्टली इन्हें खाना दे सकते हैं। यह सुनिश्चित करें कि वह खाना उनके सामने ही खाएं ताकि यह पता चल सके कि वह वास्तव में भूखे हैं या नहीं।
- कपड़े या दवाइयां दे सकते हैं। ये चीजें बेगिंग माफिया के लिए उतनी मूल्यवान नहीं होतीं जितना कि पैसे, इसलिए ये चीजें आमतौर पर भिखारी के पास ही रहती हैं।
- NGOs को पैसे दें जो भिखारियों को रिहैबिलिटेट करने का काम कर रहे हैं। इन संगठनों की मदद से बहुत से भिखारी नई जिंदगी शुरू कर पाते हैं।
- बच्चों की एजुकेशन को सपोर्ट करने वाले प्रोग्राम्स की मदद करें। शिक्षा ही वह माध्यम है जिससे बच्चे गरीबी के चक्र से बाहर निकल सकते हैं।
- अगर आपको भिखारी के साथ कोई सस्पिशस एक्टिविटी दिखती है, तो पुलिस को इन्फॉर्म करें। अगर आपको लगता है कि कोई भिखारी बेगिंग माफिया का शिकार है, तो तुरंत पुलिस को सूचित करें।
- अवेयरनेस फैलाएं। अपने दोस्तों, परिवार और सोशल मीडिया पर इस मुद्दे के बारे में जागरूकता फैलाएं ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग इस समस्या के बारे में जान सकें।
याद रखिए, ज्यादातर भिखारी ह्यूमन ट्रैफिकिंग, एक्सप्लॉइटेशन या गरीबी का शिकार हैं। एक लार्जर स्केल पे ये प्रॉब्लम तभी सॉल्व हो सकती है जब सरकार बेगिंग को डिक्रिमिनलाइज करे, वेलफेयर स्कीम्स का दायरा बढ़ाए, और टेक्नोलॉजी की मदद से अच्छी मॉनिटरिंग करे।
बेगिंग माफिया के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई भी जरूरी है। जो लोग बच्चों और कमजोर लोगों का शोषण करते हैं और उन्हें भीख मांगने के लिए मजबूर करते हैं।
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