Rakesh Sinha Voter Fraud: गुरुवार को देश की राजनीति में एक नया विवाद खड़ा हो गया, जब आम आदमी पार्टी और कांग्रेस ने बीजेपी के राज्यसभा सांसद राकेश सिन्हा पर वोटर फ्रॉड का गंभीर आरोप लगाया। विपक्षी दलों का दावा है, कि सिन्हा ने फरवरी में हुए दिल्ली विधानसभा चुनाव और गुरुवार को हुए बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण में दोनों जगह वोट डाला। यह मामला ऐसे समय सामने आया है, जब चुनावी प्रक्रिया की पवित्रता और पारदर्शिता पर देशभर में बहस छिड़ी हुई है।
विपक्ष का बड़ा खुलासा-
आप नेता और दिल्ली के मंत्री सौरभ भारद्वाज ने इसे एक बड़ा एक्सपोज़ करार देते हुए दावा, किया कि राकेश सिन्हा ने इस साल की शुरुआत में दिल्ली चुनाव के दौरान द्वारका से वोट डाला था और गुरुवार को फिर से बिहार के सीवान से मतदान किया। भारद्वाज ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर कई पोस्ट के माध्यम से इस मुद्दे को उठाया और बीजेपी सरकार पर गंभीर आरोप लगाए।
भारद्वाज ने अपने बयान में कहा, कि राकेश सिन्हा दिल्ली विश्वविद्यालय के मोतीलाल नेहरू कॉलेज में पढ़ाते हैं, इसलिए वह अपना बिहार का पता भी नहीं दिखा सकते थे। उन्होंने तंज कसते हुए कहा, कि क्या आप सोचते हैं, कि अगर हम बीजेपी सरकार की चोरी पकड़ लें, तो वे अपने तरीके सुधार लेंगे। बिल्कुल नहीं, वे खुले आम और निर्लज्जता से चोरी करते रहेंगे।
Expose #3
वोट चोरी 3
भाजपा के राज्य सभा सांसद और सबको संस्कार सिखाने वाली RSS के विचारक राकेश सिंहा जी ने दिल्ली विधान सभा चुनाव में वोट डाला और आज बिहार चुनाव में भी वोट डाला
👉🏼ये दिल्ली यूनिवर्सिटी के मोतीलाल नेहरू कॉलेज में पढ़ाते हैं तो ये बिहार का पता चाह कर भी नहीं दिखा… pic.twitter.com/3PaAqIbwiS
— Saurabh Bharadwaj (@Saurabh_MLAgk) November 6, 2025
यह विवाद एक दिन बाद सामने आया है, जब कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने आरोप लगाया था, कि बीजेपी ने हरियाणा चुनाव में वोटर थेफ्ट की थी। उन्होंने दावा किया था, कि एक ब्राज़ीलियन मॉडल की तस्वीर कई वोटर आईडी कार्ड पर दिखाई दी थी। इन आरोपों की पृष्ठभूमि में राकेश सिन्हा का मामला और भी संवेदनशील हो गया है।
राकेश सिन्हा का पलटवार और सफाई-
आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए राकेश सिन्हा ने कहा, कि उन्हें नहीं पता था, कि राजनीति इतनी तुच्छ हो सकती है। उन्होंने कहा, कि जो लोग संविधान में आस्था पर सवाल उठाते हैं, उन्हें सौ बार सोचना चाहिए। सिन्हा ने स्पष्ट किया, कि उनका नाम दिल्ली की वोटर लिस्ट में था, लेकिन बिहार की राजनीति में सक्रिय भागीदारी के कारण उन्होंने अपना नाम मनसेर पुर गांव में बदलवा लिया है। उन्होंने सवाल उठाया, कि क्या इस आरोप के लिए उन्हें मानहानि का मुकदमा दायर करना चाहिए।
सिन्हा ने आगे कहा, कि उनका नाम अब केवल बिहार की चुनावी सूची में है और विपक्ष झूठ फैला रहा है। उन्होंने एक्स पर लिखा, कि आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के झूठे और नैतिक रूप से पतित नेताओं द्वारा उन पर आधारहीन और नैतिक रूप से विवादास्पद आरोप लगाया जा रहा है। उन्होंने दावा किया, कि उनका नाम पहले दिल्ली की चुनावी सूची में था और उन्होंने कानून द्वारा स्थापित प्रक्रिया के माध्यम से इसे हटवा दिया था। अपने दावे के समर्थन में उन्होंने चुनाव आयोग के दस्तावेज़ भी साझा किए।
सिन्हा ने बताया, कि उन्होंने बिहार की राजनीति में सक्रिय भागीदारी के कारण अपना वोटर रजिस्ट्रेशन बेगूसराय के अपने पैतृक गांव में शिफ्ट करा लिया था। उन्होंने कहा, कि उनका पैतृक घर बेगूसराय में है और वह मिट्टी से उखड़े हुए आदमी नहीं हैं। उन्होंने छुट्टी लेकर और पैसे खर्च करके अपने गांव जाकर वोट डाला। उन्होंने पलटवार करते हुए कहा, कि संविधान के मूल्यों की बात कौन कर रहा है। आम आदमी पार्टी लोकतंत्र पर एक धब्बा है।

विपक्ष का जवाबी हमला और कानूनी प्रावधानों का हवाला-
सिन्हा की टिप्पणियों के बाद भारद्वाज ने पलटवार करते हुए पूछा, कि अगर आप दिल्ली विश्वविद्यालय के मोतीलाल नेहरू कॉलेज में पढ़ाते हैं, तो आप अपने घर का पता कैसे बदल सकते हैं, प्रोफेसर साहब। राजनीतिक सक्रियता के लिए अपना वोट बदलना कहां अनिवार्य है नेता जी। बीजेपी कब तक मानहानि के मामलों से डराकर लोगों को चुप कराएगी। आपकी सरकार ने कई मामले दर्ज किए हैं, एक और सही है।
कांग्रेस की प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने भी आरोपों का समर्थन करते हुए कहा, कि बीजेपी नेता राकेश सिन्हा ने फरवरी में दिल्ली विधानसभा चुनाव में वोट डाला और पांच नवंबर को बिहार विधानसभा चुनाव में वोट डाला। यह किस योजना के तहत हो रहा है। विपक्षी दलों की एकजुटता इस मुद्दे पर साफ दिखाई दे रही थी।
सिन्हा के स्पष्टीकरण को खारिज करते हुए, भारद्वाज ने जन प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा उन्नीस बी का हवाला देते हुए कहा, कि किसी व्यक्ति की मतदान पात्रता उस स्थान से जुड़ी होती है जहां वह रहता है और काम करता है। उन्होंने कहा, कि बीजेपी के राज्यसभा सांसद और आरएसएस विचारक राकेश सिंह जी ने अट्ठाईस अप्रैल को बिहार में नया वोटर आईडी बनवाया, चार सितंबर को दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ से वोट मांग रहे थे और एक कॉलेज में पढ़ाते हैं। कानून कहता है, कि आपका वोट वहां होगा जहां आप काम करते हैं और रहते हैं, न कि पैतृक गांव में।

दो और मामलों का खुलासा और व्यापक आरोप-
भारद्वाज ने दावा किया, कि यह कोई अलग-थलग मामला नहीं है और उन्होंने दो और एक्सपोज़ सामने रखे जिनमें बीजेपी नेताओं पर दोहरे मतदान का आरोप है। उन्होंने कहा, कि बीजेपी दिल्ली पूर्वांचल मोर्चा के अध्यक्ष संतोष ओझा ने पहले पांच फरवरी को दिल्ली विधानसभा चुनाव में वोट डाला और फिर छह नवंबर को बिहार विधानसभा चुनाव में वोट डाला। उन्होंने सवाल उठाया, कि कौन जानता है, कि ऐसे कितने लोग कई राज्यों में वोट डाल रहे हैं ताकि बीजेपी को धोखाधड़ी से जीत दिलाई जा सके।
भारद्वाज ने कहा, कि चुनाव आयोग को इस मामले की पूरी तरह से जांच करनी चाहिए। उन्होंने जोड़ा, कि अगर किसी का नाम दूसरे राज्य की वोटर लिस्ट में बना रहता है तो उनके लिए कहीं और वोट डालना व्यावहारिक रूप से असंभव है। यह कैसे हुआ। इन सवालों ने चुनाव आयोग की भूमिका पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं।
लोकतंत्र की पवित्रता पर सवाल-
यह विवाद भारतीय लोकतंत्र की चुनावी प्रक्रिया की पवित्रता पर एक बड़ा सवाल खड़ा करता है। अगर एक राज्यसभा सांसद पर ही दोहरे मतदान का आरोप लगता है, तो आम नागरिकों के स्तर पर कितनी अनियमितताएं हो सकती हैं, यह चिंता का विषय है। चुनाव आयोग की जिम्मेदारी है, कि वह इन आरोपों की निष्पक्ष जांच करे और यह सुनिश्चित करें, कि वोटर लिस्ट में कोई भी व्यक्ति एक से अधिक स्थानों पर पंजीकृत न हो।
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विपक्षी दलों का आरोप है, कि बीजेपी व्यवस्थित तरीके से चुनावी धोखाधड़ी कर रही है और सत्ता में बने रहने के लिए हर हथकंडा अपना रही है। दूसरी ओर बीजेपी और राकेश सिन्हा इन आरोपों को आधारहीन और राजनीतिक प्रेरित बता रहे हैं। इस पूरे मामले में सच क्या है, यह तो जांच के बाद ही सामने आएगा, लेकिन इतना तय है, कि इस विवाद ने देश की चुनावी प्रणाली की विश्वसनीयता पर एक और सवालिया निशान लगा दिया है।

जनता को यह देखना होगा, कि चुनाव आयोग इस मामले में क्या कदम उठाता है और क्या वास्तव में दोहरे मतदान की घटनाएं हुई हैं या नहीं। लोकतंत्र की मजबूती के लिए जरूरी है, कि चुनावी प्रक्रिया पूरी तरह से पारदर्शी और निष्पक्ष हो और किसी भी तरह की धोखाधड़ी या अनियमितता पर कड़ी कार्रवाई की जाए।
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