Rakesh Kishore Karkardooma Court: मंगलवार नौ दिसंबर दो हजार पच्चीस की सुबह दिल्ली के कार्करदूमा कोर्ट कॉम्प्लेक्स में एक चौंकाने वाली घटना घटी। बहत्तर वर्षीय वकील राकेश किशोर को कुछ अन्य वकीलों ने कोर्ट परिसर में ही चप्पलों से बुरी तरह पीटा। यह वही वकील हैं, जिन्होंने कुछ महीने पहले सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश बी आर गवई पर जूता फेंककर पूरे देश में सुर्खियां बटोरी थीं।
दिलचस्प बात यह है कि जस्टिस गवई ने राकेश किशोर को माफ कर दिया था और उनके खिलाफ कोई केस भी दर्ज नहीं कराया था। लेकिन कोर्ट परिसर में मौजूद कुछ वकीलों ने इस घटना को भुलाया नहीं और मंगलवार को जब राकेश किशोर कोर्ट में पहुंचे तो उन्होंने उनके साथ मारपीट कर दी।
चप्पलों से मारा-
अंग्रज़ी समाचार वेबसाइट इंडिया डॉट कॉम, घटना के चश्मदीदों के अनुसार, राकेश किशोर जब कोर्ट परिसर में थे, तभी अचानक कुछ वकीलों ने उन्हें घेर लिया और उन पर हमला बोल दिया। उन्हें जोर से धक्के दिए गए और चप्पलों से मारा गया।
सीजीआई गवई जी के ऊपर जूते से हमला करने वाला राकेश किशोर के ऊपर भी किसी ने जूते से हमला किया और ये काम करके बहुत अच्छा किया…
जूते से मार खा लेंगे गोबर खा लेंगे नाली का पानी पी लेंगे लेकिन सनातन धर्म का अपमान नहीं सहेंगे।😂😂 (Rakesh kishore..)
ये महान काम करने वाले व्यक्ति को… pic.twitter.com/xc5yjiDtze— Nishu Aazad (@Nishuazad11) December 9, 2025
कोर्ट के सुरक्षाकर्मियों को बड़ी मुश्किल से हस्तक्षेप करना पड़ा और उन्होंने राकेश किशोर को किसी तरह वहां से बाहर निकाला। इस पूरी घटना का एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गया है। वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि मारपीट के बीच राकेश किशोर “सनातन धर्म की जय” के नारे लगा रहे थे।
बार काउंसिल का सस्पेंशन और राकेश किशोर का रुख-
राकेश किशोर दो हजार नौ से दिल्ली बार काउंसिल में रजिस्टर्ड सीनियर एडवोकेट हैं। जूता फेंकने की घटना के बाद बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने उन्हें सस्पेंड कर दिया था। इस सस्पेंशन के चलते वे अब तक कोई केस नहीं लड़ सकते और न ही किसी क्लाइंट का प्रतिनिधित्व कर सकते हैं। हर तरफ से निंदा के बावजूद राकेश किशोर ने अपने कृत्य पर कोई पछतावा नहीं जताया है। उन्होंने एक अजीब दावा करते हुए कहा था कि भगवान ने उन्हें सपने में दर्शन दिए और ऐसा करने का निर्देश दिया था।
सुप्रीम कोर्ट में जूता फेंकने की असल घटना-
छह अक्टूबर दो हजार पच्चीस को सुप्रीम कोर्ट के कोर्टरूम नंबर एक में एक रेगुलर सुनवाई चल रही थी। सुबह ग्यारह बजकर पैंतीस मिनट के करीब मुख्य न्यायाधीश बी आर गवई मध्य प्रदेश के खजुराहो स्थित जवारी मंदिर में भगवान विष्णु की एक बिना सिर वाली मूर्ति को बहाल करने से जुड़े मामले की सुनवाई कर रहे थे। तभी राकेश किशोर ने अचानक अपना जूता निकाला और सीजेआई की तरफ फेंकने की कोशिश की।
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सौभाग्य से सतर्क सुरक्षाकर्मियों और आसपास मौजूद वकीलों ने तुरंत उन्हें पकड़ लिया। जस्टिस गवई ने बेहद संयम दिखाते हुए अधिकारियों से कहा कि इस घटना को बस इग्नोर करें और उन्होंने केस की सुनवाई जारी रखी। दिल्ली पुलिस ने राकेश किशोर को कुछ देर के लिए हिरासत में लिया लेकिन बाद में सीजेआई ने कोई केस दर्ज न कराने का फैसला किया और उन्हें रिहा कर दिया गया।
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