Delhi Toll Plaza: अगर आप रोजाना दिल्ली के बॉर्डर से आते-जाते हैं, तो यह खबर आपके लिए राहत भरी हो सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को एक अहम फैसला सुनाते हुए दिल्ली की सीमाओं पर लगे नौ टोल प्लाजा को बंद करने या दूसरी जगह शिफ्ट करने का आदेश दिया है। इस फैसले का मकसद राजधानी में भयंकर ट्रैफिक जाम को कम करना और बढ़ते वायु प्रदूषण पर लगाम लगाना है।
प्रदूषण नियंत्रण से जुड़े एक मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने चिंता जताई. कि म्युनिसिपल टोल पॉइंट्स पर लगी लंबी गाड़ियों की कतारें हवा की क्वालिटी को और खराब कर रही हैं। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया जस्टिस सूर्य कांत की अगुवाई वाली बेंच ने म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन ऑफ दिल्ली (MCD) को एक हफ्ते के भीतर फैसला लेने का निर्देश दिया और साथ ही हाईवे अथॉरिटीज से वैकल्पिक व्यवस्था तलाशने को कहा।
जनवरी तक हो सकती है टोल प्लाजा की छुट्टी-
सुनवाई के दौरान बेंच ने सवाल उठाया, कि क्यों टोल प्लाजा को अस्थायी तौर पर बंद नहीं किया जा सकता, ताकि दिल्ली के एंट्री पॉइंट्स पर ट्रैफिक जाम कम हो सके। पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, चीफ जस्टिस ने टिप्पणी की, कि अधिकारी यह क्यों नहीं कह सकते, कि जनवरी तक कोई टोल प्लाजा नहीं रहेगा।
कोर्ट ने MCD से कहा, कि वह एक हफ्ते में तय करें, कि क्या नौ टोल प्लाजा को फिलहाल बंद किया जा सकता है, यह एक तत्काल कदम होगा, जो कंजेशन को कम करने में मदद करेगा। रोजाना हजारों गाड़ियां इन टोल प्लाजा पर घंटों फंसी रहती हैं, जिससे न सिर्फ लोगों का समय बर्बाद होता है बल्कि प्रदूषण का लेवल भी खतरनाक रूप से बढ़ जाता है।
टोल बूथ शिफ्ट करने का प्लान-
सुप्रीम कोर्ट ने नेशनल हाईवेज अथॉरिटी ऑफ इंडिया (NHAI) को भी निर्देश दिया, कि वह MCD द्वारा चलाए जा रहे टोल कलेक्शन बूथों को शिफ्ट करने की संभावना की जांच करें। जस्टिस सूर्य कांत ने सुझाव दिया, कि इन टोल पॉइंट्स को NHAI द्वारा मैनेज किए जाने वाले क्षेत्रों में रीलोकेट किया जा सकता है।
लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक, उन्होंने यह भी कहा, कि एकत्रित टोल रेवेन्यू का एक हिस्सा MCD को दिया जा सकता है ताकि इस शिफ्ट से होने वाले किसी भी अस्थायी आर्थिक नुकसान की भरपाई हो सके। यह एक व्यावहारिक सुझाव है जो दोनों पक्षों के हितों को ध्यान में रखता है। NHAI के पास बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर और मैनेजमेंट सिस्टम है, इसलिए टोल कलेक्शन को और efficient बनाया जा सकता है।
दिल्ली-गुरुग्राम बॉर्डर पर जाम ने उठाया मुद्दा-
यह मुद्दा तब उठा जब कोर्ट को दिल्ली-गुरुग्राम बॉर्डर पर MCD टोल प्लाजा पर लगातार ट्रैफिक जाम के बारे में बताया गया। बेंच ने नोट किया, कि ऐसे पॉइंट्स पर गाड़ियों की लंबी कतारें राष्ट्रीय राजधानी में वायु प्रदूषण में काफी योगदान देती हैं। जो लोग रोज इस रूट से ऑफिस जाते हैं, वे अच्छी तरह जानते हैं, कि टोल प्लाजा पर कितना वक्त बर्बाद होता है। धुएं से भरी गाड़ियों की कतारें सिर्फ फ्रस्ट्रेशन ही नहीं बढ़ातीं, बल्कि सेहत के लिए भी खतरनाक हैं। ये निर्देश एक व्यापक न्यायिक पुश का हिस्सा हैं, जो कंजेशन से जुड़े प्रदूषण को एड्रेस करने के लिए दिए गए हैं, क्योंकि दिल्ली खतरनाक एयर क्वालिटी लेवल से जूझती रहती है।
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राहत की उम्मीद-
इस फैसले से दिल्ली NCR के लाखों कम्यूटर्स को राहत मिलने की उम्मीद है। अगर यह योजना सही तरीके से लागू हो जाती है, तो न सिर्फ ट्रैफिक स्मूथ होगा बल्कि प्रदूषण का लेवल भी काफी हद तक कंट्रोल में आ सकता है। अब देखना होगा, कि MCD और NHAI इस दिशा में कितनी तेजी से काम करते हैं।
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