Amended Waqf Law Challenge: सुप्रीम कोर्ट में संशोधित वक्फ कानून पर कल एक महत्वपूर्ण सुनवाई हुई। जस्टिस संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने अंतरिम आदेश जारी करने का इरादा जताया था, लेकिन अंतिम क्षण में केंद्र और राज्य सरकारों के अधिक समय की मांग पर यह फैसला टाल दिया गया। न्यायालय अब इस मामले पर आज दोपहर 2 बजे सुनवाई करेगा।
Amended Waqf Law Challenge कोर्ट ने उठाए तीन महत्वपूर्ण सवाल-
सुप्रीम कोर्ट संशोधित वक्फ कानून को चुनौती देने वाली याचिकाओं की सुनवाई कर रहा है। न्यायालय ने विरोध प्रदर्शनों के दौरान हुई हिंसा पर चिंता व्यक्त की और यह भी सवाल किया कि क्या हिंदू धार्मिक बोर्डों में मुसलमानों को शामिल किया जाएगा।
सुनवाई के अंत में, न्यायाधीशों ने तीन बिंदु उठाए, जिससे संकेत मिला कि वे संशोधित कानून के कुछ प्रावधानों को अंतरिम तौर पर स्थगित करने का इरादा रखते हैं। जस्टिस खन्ना ने कहा, "सामान्य तौर पर हम ऐसे अंतरिम आदेश पारित नहीं करते, लेकिन यह एक अपवाद है।" उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि सुनवाई छह से आठ महीने तक चल सकती है।
The submissions made by Learned Solicitor General Shri Tushar Mehta in defense of the Waqf (Amendment) Act, 2025, are legally untenable. The comparison drawn between Waqf and Trust is misleading and risks misguiding the Hon’ble Supreme Court, as both institutions differ… pic.twitter.com/HSdRCyI6F9
— Adv. Syed Ali Jaffry (@syedalijaffry) April 16, 2025
Amended Waqf Law Challenge कोर्ट क्या कहना चाहता है?
न्यायालय ने संकेत दिया कि वह तीन प्रक्रियाओं पर यथास्थिति बनाए रखना चाहता है, जिन पर नियमों में संशोधन किया गया है। पहला, न्यायाधीशों ने कहा कि जो भी संपत्ति उपयोगकर्ता द्वारा या अदालत द्वारा वक्फ के रूप में घोषित की गई है, उसे अधिसूचित नहीं किया जाएगा। दूसरा, कलेक्टर कार्यवाही जारी रख सकता है, लेकिन नया प्रावधान लागू नहीं होगा। तीसरा, पदेन सदस्य धर्म से निरपेक्ष नियुक्त किए जा सकते हैं, लेकिन अन्य सदस्य मुसलमान होने चाहिए।
केंद्र और राज्यों ने मांगा अधिक समय-
जब न्यायालय ने अंतरिम आदेश जारी करने का संकेत दिया, तभी केंद्र और राज्य सरकारों ने इसका विरोध किया और अपने तर्क पेश करने के लिए अधिक समय मांगा। न्यायालय ने उन्हें अपनी बात रखने के लिए आधा घंटा और देने की तत्परता दिखाई, लेकिन कुछ बहस के बाद, चूंकि समय शाम 4 बजे के बाद हो गया था, मामले को स्थगित कर दिया गया।
वक्फ संशोधन बिल क्या है और विवाद क्यों?
वक्फ संशोधन विधेयक इस महीने की शुरुआत में लोकसभा और राज्यसभा में मैराथन बहस के बाद संसद द्वारा पारित किया गया था। लेकिन कानून के कुछ प्रावधानों के खिलाफ विपक्ष और मुस्लिम समुदाय के एक वर्ग के विरोध के बीच सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं दायर की गईं। इस मामले की सुनवाई भारत के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार तथा न्यायमूर्ति के.वी. विश्वनाथन की तीन-न्यायाधीशों की पीठ द्वारा की जा रही है।
सुप्रीम कोर्ट ने बार-बार यह स्पष्ट किया है कि वह विधायिका के क्षेत्र में अतिक्रमण नहीं करेगा - संविधान द्वारा शक्तियों का पृथक्करण स्पष्ट किया गया है। लेकिन संविधान से जुड़े मामलों के अंतिम निर्णायक के रूप में, अदालत ने याचिकाकर्ताओं की सुनवाई करने पर सहमति व्यक्त की है, जो जोर देते हैं कि संशोधित कानून समानता के अधिकार और धार्मिक प्रथाओं का पालन करने के अधिकार सहित कई मौलिक अधिकारों को कुचलता है।
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कौन चुनौती दे रहा है कानून को?
कानून को चुनौती देने वालों में कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, डीएमके, सीपीआई और बीजेपी सहयोगी जनता दल यूनाइटेड जैसे विपक्षी दलों के नेता शामिल हैं। जमीयत उलेमा-ए-हिंद और ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड जैसे धार्मिक संगठनों और गैर सरकारी संगठनों ने भी अपने आपत्तियां दर्ज कराई हैं। कुछ ने कानून को रद्द करने की मांग की है और अन्य ने रोक लगाने का अनुरोध किया है।
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