Pirates
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    Pirates: आपने समुद्री लुटेरों के बारे में तो बहुत सी कहानियां सुनी होंगी, जो आपको खूब लुभाती है। यह सिलसिला कोई नया नहीं है बल्कि सदियों पुराना है, समुद्री लुटेरों की तस्वीरों में जब भी उन्हें दिखाया जाता है उनका एक अलग और खास अंदाज होता है। चारों ओर से नुकीली टोपी और चुस्त काली पैंट के साथ आंख पर एक काली पट्टी जरूर लगी होती है। लेकिन इस पट्टी के पीछे आखिर कारण क्या है, क्या हमेशा से इसका इस्तेमाल किया जाता है या फिर इसका कोई वैज्ञानिक कारण है, जो समुद्री लुटेरे इसका इस्तेमाल करते हैं या फिर इसके पीछे कोई अंधविश्वास या कहानी है आइए जानते हैं।

    मुश्किलों से भरा जीवन-

    समुद्री लुटेरों का जीवन समुद्र पर रहने से काफी मुश्किलों से भरा हो जाता है, ऊपर से डेक पर आने जाने में उन्हें बार-बार रोशनी और अंधेरे का सामना करना पड़ता है। डेक के ऊपर समुद्र पर रोशनी पड़ती है, तो दूसरी और ऐसे अंधेरे से रोशनी और रोशनी से अंधेरे से जाने में उनकी आंखों को हालात के अनुसार ढलने में 20 से 30 मिनट का समय लग जाता है।

    मल्टीपल एनवायरमेंट का सामना-

    समुद्री डाकू अपनी आंखों पर काली पट्टी इसीलिए बांधते हैं, जिससे कि वह अंधेरे में अच्छे देख सकें। दरअसल समुद्री लुटेरों को अंधेरे में और लाइट में एक्टिव रहना होता है और कोई भी डकैती के वक्त जहाज में मल्टीपल एनवायरमेंट का सामना करना पड़ता है। जिससे कभी तेज लाइट तो कभी अंधेरा होता ही रहता है, जहाज की बनावट डार्क और लाइट शेड का कॉन्बिनेशन होती है। इस वजह से उन्हें फोकस करने में दिक्कत ना आए इसीलिए वह अपनी एक आंख पर काली पट्टी बांधते हैं।

    ठीक से संयोजित होने में समय-

    दरअसल बात यह है कि नॉर्मल आंखों को हमारी तेज लाइट से अंधेरे में ठीक से संयोजित होने में समय लगता है। ऐसा माना जाता है कि इस प्रोसेस में करीब 25 मिनट तक लग जाते हैं, इसीलिए समुद्री डाकू हर समय एक आंख पर पट्टी बांध कर रखते हैं। जिससे वह पहले से ही समायोजित हो जाएं, ऐसा करने से उन्हें डेक पर लाइट वाली परेशानी से निजात मिलती है।

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    आंखें लाइट में जल्दी एडजस्ट-

    काली पट्टी को एक आंख पर बांधने से आंखें लाइट में जल्दी एडजस्ट हो जाती है, वैसे पहले तो कई लोगों का मानना था कि जब लुटेरों की आंख घायल हो जाती थी तो वह अपनी आंखों को ढकने के लिए इसका इस्तेमाल करते थे। लेकिन इस वजह से यह नहीं होता था, बल्कि डार्क और लाइट के बीच एडजस्टमेंट होने के टाइम को कम करने के लिए ऐसा किया जाता था।

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