G RAM G Bill
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    G RAM G Bill: शुक्रवार की आधी रात को संसद ने G RAM G बिल पास कर दिया, जो 20 साल पुराने MNREGA की जगह लेगा। विपक्षी सांसदों ने जोरदार हंगामा किया और इस बिल का कड़ा विरोध किया। उनकी मुख्य आपत्ति बिल के नाम को लेकर थी, जिसमें महात्मा गांधी की जगह भगवान राम का नाम शामिल किया गया है। विपक्ष ने इसे “सामंती” करार देते हुए कहा, कि यह ग्रामीण गरीबों के लिए रोजगार की गारंटी को खत्म कर देता है। महज 48 घंटों में पास हुए इस बिल पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के हस्ताक्षर के बाद यह कानून बन जाएगा।

    कांग्रेस सांसद पी चिदंबरम ने उठाए सवाल-

    कांग्रेस के पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने बिल की कड़ी आलोचना करते हुए कहा, कि यह उस गारंटी पर सीधा हमला है, जो इसे देनी चाहिए। उन्होंने कहा, “यह आजीविका को मारता है, सुरक्षा को मारता है। आप इसे गारंटी वाला बिल क्यों कह रहे हैं? इसमें कोई गारंटी नहीं है। यह ग्रामीण गरीबों के लिए रोजगार का आश्वासन नहीं देता।” विपक्ष ने नई फंडिंग स्ट्रक्चर का भी विरोध किया, जिसमें अधिकांश राज्यों को 40 प्रतिशत वेतन देना होगा। उनका तर्क है, कि ज्यादातर राज्यों के पास इतने वित्तीय संसाधन नहीं हैं, कि वे अनुमानित 56 करोड़ रुपये का वेतन बोझ उठा सकें।

    सरकार ने दिए ये तर्क-

    केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने लोकसभा में बिल पेश करते हुए सरकार की सफाई दी। उन्होंने कहा, कि 20 साल पुरानी योजना को अपडेट करने की जरूरत थी, जो अक्षम और भ्रष्टाचार से भरी हुई थी। नाम बदलने के विवाद पर उन्होंने बताया, कि कांग्रेस ने भी 2009 में ही गांधी जी का नाम इस योजना में जोड़ा था। सरकार ने इस बात पर जोर दिया, कि G RAM G के तहत काम के दिन बढ़ाए गए हैं – MNREGA के 100 दिनों की जगह अब 125 दिन की गारंटी दी जाएगी।

    क्या है G RAM G बिल और इसकी खासियतें-

    विकसित भारत-गारंटी फॉर रोजगार एंड अजीविका मिशन (ग्रामीण), यानी VB-G RAM G, जिसे छोटा करके G RAM G कहा जा रहा है, MNREGA की जगह लेगा। इस नए कानून के तहत प्रत्येक ग्रामीण परिवार को कम से कम 125 मानव-दिवस का काम मिलेगा। अब राज्य और केंद्र सरकार वेतन का खर्च 40:60 के अनुपात में बांटेंगे। पहाड़ी राज्यों और पूर्वोत्तर के राज्यों को केवल 10 प्रतिशत देना होगा, जबकि केंद्र शासित प्रदेशों को 100 प्रतिशत फंडिंग मिलती रहेगी। अगर 15 दिनों के भीतर काम उपलब्ध नहीं कराया जाता है तो भत्ता दिया जाएगा, जिसकी पूरी जिम्मेदारी राज्य की होगी।

    फंडिंग स्ट्रक्चर पर सबसे बड़ा विवाद-

    नई फंडिंग व्यवस्था सबसे बड़ा विवाद का विषय बन गई है। MNREGA के तहत केंद्र सरकार सभी खर्चों का लगभग 90 प्रतिशत भुगतान करती थी, जिसमें वेतन और कच्चा माल दोनों शामिल थे। G RAM G में यह बदल गया है और अब राज्यों को 40 प्रतिशत देना होगा। विपक्ष का तर्क है, कि यह पहले से कमजोर राज्य वित्त पर और दबाव डालेगा और योजना के दायरे को सीमित कर देगा। कांग्रेस ने G RAM G को “गरीब विरोधी” करार दिया। सरकार ने जोर देकर कहा, कि यह “अनुचित वित्तीय बोझ नहीं डालेगा” और फंडिंग संरचना को हर राज्य की वित्तीय क्षमताओं के अनुसार तैयार किया गया है।

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    काम के प्रकार और नियंत्रण में बदलाव-

    जमीनी स्तर पर पंचायत और प्रोग्राम ऑफिसर द्वारा काम दिया जाता रहेगा, लेकिन G RAM G के तहत केंद्र सरकार स्टैंडर्ड तय करेगी। इसमें निर्माण कार्य के लिए सामग्री और डिजाइन को रेगुलेट करना शामिल है। नए बिल में काम को चार कैटेगरी में बांटा गया है – जल सुरक्षा, मुख्य ग्रामीण इंफ्रास्ट्रक्चर, आजीविका से संबंधित संपत्ति और जलवायु लचीलापन। आलोचकों का कहना है, कि यह काम के दायरे को सीमित करता है, जो पहले पंचायतों द्वारा स्थानीय जरूरतों के अनुसार तय किया जाता था।

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