Ghee and Heart Health: जब हम अपने बचपन को याद करते हैं, तो एक खुशबू हमेशा याद आती है, वो है घी की महक। गरमागरम रोटी पर पिघलता हुआ घी, दाल में तड़का लगाने के लिए इस्तेमाल होने वाला सुनहरा घी, या फिर सर्दियों में हलवे में डला हुआ घी। ये सिर्फ एक कुकिंग इंग्रेडिएंट नहीं था, बल्कि हमारे घरों में पोषण, ताकत और शुद्धता का प्रतीक था। सदियों से भारतीय रसोइयों में घी का एक खास स्थान रहा है और यह सिर्फ खाने के स्वाद को बढ़ाने के लिए नहीं, बल्कि सेहत और कल्याण के लिए भी इस्तेमाल होता रहा है। जब दुनिया ने सुपरफूड्स की खोज शुरू की, तब तक भारत में घी पहले से ही अपनी जगह बना चुका था।
आयुर्वेदिक हीलिंग से लेकर त्योहारों के खास भोजन तक, घी ने हमारी संस्कृति में एक पवित्र स्थान हासिल किया है। हर चम्मच में सेहत और पौष्टिकता का प्रतीक, घी अब वैश्विक स्तर पर फिर से अपनी पहचान बना रहा है। आज, जब दुनियाभर में फूड ट्रेंड्स ऑथेंटिसिटी और नैचुरल न्यूट्रिशन की ओर बढ़ रहे हैं, तब घी एक टाइमलेस सुपरफूड के रूप में अपनी जगह वापस पा रहा है। वही सुनहरा इंग्रेडिएंट जो कभी हमारी दादी-नानी की रसोई में हुआ करता था, अब दुनियाभर में अपने बैलेंस्ड न्यूट्रिशन और लॉन्ग टर्म हेल्थ बेनिफिट्स के लिए पहचाना जा रहा है।
घी और दिल की सेहत का खास कनेक्शन-
पराग मिल्क फूड्स की एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर अक्षाली शाह ने घी की सच्चाई और इसके दिल की सेहत से कनेक्शन के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी शेयर की है। उनके मुताबिक, जब बात हार्ट हेल्थ और ओवरऑल वेलनेस की आती है, तो मॉडरेशन और माइंडफुलनेस बेहद जरूरी है और घी नैचुरली इसी फिलॉसफी में फिट बैठता है। घी हेल्दी फैट्स से भरपूर होता है, जो शरीर द्वारा आसानी से अब्सॉर्ब हो जाते हैं। यह सस्टेन्ड एनर्जी प्रदान करता है, पाचन को सपोर्ट करता है और न्यूट्रिएंट्स के अब्सॉर्प्शन को बढ़ाता है। यानी जो खाना आप खा रहे हैं, उसके पोषक तत्व आपके शरीर को बेहतर तरीके से मिलें, इसमें घी की बड़ी भूमिका है।
इसके अलावा, घी में शॉर्ट और मीडियम चेन फैटी एसिड्स होते हैं, जो मेटाबॉलिज्म को सपोर्ट करने में मदद करते हैं। साथ ही इसमें फैट सॉल्युबल विटामिन्स ए, डी, ई और के भी पाए जाते हैं, जो शरीर की वाइटैलिटी और सेल्यूलर हेल्थ में योगदान करते हैं। ये विटामिन्स हमारी त्वचा, आंखों, हड्डियों और इम्यूनिटी के लिए बेहद जरूरी हैं। जब हम घी का सेवन करते हैं, तो हम अपने शरीर को ये सभी जरूरी पोषक तत्व एक साथ दे रहे होते हैं।
घी की खासियत है इसकी नैचुरल प्योरिटी-
आज के दौर में जब मार्केट में तमाम तरह के रिफाइंड तेल और प्रोसेस्ड फैट्स उपलब्ध हैं, घी की सबसे बड़ी ताकत है, इसकी प्योरिटी। कई मॉडर्न ऑयल्स जो इंटेंस रिफाइनिंग प्रोसेस से गुजरते हैं, उनके मुकाबले प्योर घी नैचुरल और स्टेबल रहता है, खासकर हाई टेम्परेचर पर भी। यही वजह है कि यह इंडियन कुकिंग के लिए सबसे रिलायबल फैट्स में से एक माना जाता है। जब आप तड़का लगा रहे हों या कोई डीप फ्राइड डिश बना रहे हों, घी अपनी न्यूट्रिशनल वैल्यू को बरकरार रखता है और हानिकारक कंपाउंड्स नहीं बनाता।
घी सिर्फ फ्लेवर्स को बढ़ाता ही नहीं है, बल्कि खाने में डेप्थ और वॉर्मथ भी जोड़ता है। यह मील्स को न्यूट्रिशस और कम्फर्टिंग दोनों बनाता है। सोचिए उस गरमागरम खिचड़ी के बारे में जिसमें ऊपर से घी डाला गया हो, या फिर उस पूरन पोली के बारे में जो घी में डुबोकर खाई जाती है। ये सिर्फ टेस्ट की बात नहीं है, बल्कि एक कम्प्लीट फूड एक्सपीरियंस है जो दिल और दिमाग दोनों को संतुष्ट करता है।
प्राचीन इंग्रेडिएंट जो मॉडर्न लाइफस्टाइल में भी है परफेक्ट-
घी की सबसे रिमार्केबल बात है, इसकी एडेप्टेबिलिटी। यह एक प्राचीन इंग्रेडिएंट है, जो आज की फास्ट पेस्ड दुनिया में भी उतना ही रेलेवेंट लगता है। न्यूट्रिशनिस्ट्स, शेफ्स और हेल्थ कॉन्शस कंज्यूमर्स घी के बेनिफिट्स को रीडिस्कवर कर रहे हैं और वे उसी बात को वैलिडेट कर रहे हैं, जो हमारे पूर्वजों को हमेशा से पता थी, कि घी, जब समझदारी से इस्तेमाल किया जाए, तो हार्ट हेल्थ और ओवरऑल वेल बीइंग को सपोर्ट कर सकता है। यह बात साइंस ने भी साबित कर दी है, कि मॉडरेशन में लिया गया घी शरीर के लिए फायदेमंद है।
आज के समय में जब लोग हेल्दी फैट्स की तलाश कर रहे हैं, घी एक परफेक्ट ऑप्शन बनकर सामने आता है। यह न केवल पोषण देता है, बल्कि शरीर को एनर्जी भी प्रदान करता है, जो लंबे समय तक बनी रहती है। मॉर्निंग ब्रेकफास्ट में घी का इस्तेमाल आपको दिनभर एक्टिव रख सकता है।
बुलेटप्रूफ कॉफी से लेकर वेलनेस रेसिपीज तक-
दुनियाभर में बुलेटप्रूफ कॉफी से लेकर वेलनेस रेसिपीज तक, घी ने सीमाओं को पार करते हुए नरिशमेंट और नैचुरल गुडनेस के ग्लोबल सिंबल के रूप में अपनी जगह बनाई है। पश्चिमी देशों में लोग अब घी को अपनी डाइट में शामिल कर रहे हैं, स्मूदीज में डाल रहे हैं, बेकिंग में इस्तेमाल कर रहे हैं और इसे एक हेल्दी फैट के रूप में प्रमोट कर रहे हैं। लेकिन अपने कोर में, घी वही है जो हमेशा से था एक सिंपल, होलसम और ट्रस्टेड पार्ट ऑफ एवरी इंडियन हाउसहोल्ड।
यह दिलचस्प है, कि जो चीज हमारे घरों में सदियों से मौजूद थी, उसे अब ग्लोबल हेल्थ कम्युनिटी रीडिस्कवर कर रही है। यह हमें बताता है कि ट्रेडिशनल फूड्स में कितनी ताकत छिपी होती है और कैसे हमारे पूर्वजों की खान-पान की आदतें बेहद साइंटिफिक और हेल्दी थीं। घी का यह जर्नी एक प्रेरणा है कि हमें अपनी जड़ों से जुड़े रहना चाहिए और ट्रेडिशनल फूड्स को अपनी डाइट में जगह देनी चाहिए।
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घी है लीगेसी, न कि कोई पासिंग फैड-
जैसे-जैसे फूड ट्रेंड्स इवॉल्व होते रहते हैं, एक सच्चाई कॉन्स्टेंट रहती है, कि सबसे हेल्दी चॉइसेज अक्सर वे होती हैं, जो ट्रेडिशन में रूटेड होती हैं। घी कोई पासिंग फैड नहीं है, यह एक लीगेसी है। यह एक गोल्डन रिमाइंडर है, कि गुड हेल्थ, गुड टेस्ट की तरह ही, घर से शुरू होती है। हमारे पूर्वजों ने हमें जो खाने की विरासत दी है, उसमें घी एक अमूल्य रत्न है।
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