Trump Administration New Rules
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    Trump Administration New Rules: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन ने एक बड़ा नीतिगत फैसला लेते हुए घोषणा की है कि अब अमेरिका में रह रहे सभी विदेशी नागरिकों जिनमें कानूनी निवासी, वर्कर्स और छात्र शामिल हैं, को हर समय अपने पहचान दस्तावेज़ साथ रखना अनिवार्य होगा। यह निर्णय अमेरिकी गृह सुरक्षा विभाग (DHS) द्वारा घोषित किया गया है। गृह सुरक्षा विभाग ने शुक्रवार को जारी एक बयान में कहा, "सभी गैर-अमेरिकी नागरिकों जिनकी उम्र 18 वर्ष या उससे अधिक है, को हर समय अपने दस्तावेज़ साथ रखना होगा। इस प्रशासन ने DHS को इसके प्रवर्तन को प्राथमिकता देने का निर्देश दिया है, और गैर-अनुपालन के लिए कोई संरक्षण नहीं होगा।" यह नियम 11 अप्रैल से प्रभावी हो गया है।

    ट्रंप के एग्जीक्यूटिव ऑर्डर का परिणाम(Trump Administration New Rules)-

    यह घटनाक्रम राष्ट्रपति ट्रंप द्वारा 20 जनवरी को हस्ताक्षरित एग्जीक्यूटिव ऑर्डर 'प्रोटेक्टिंग द अमेरिकन पीपल अगेंस्ट इनवेजन' के बाद आया है, जिसमें DHS को 'लंबे समय से नजरअंदाज किए गए' एलियन रजिस्ट्रेशन एक्ट को लागू करने का निर्देश दिया गया था। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, नए नियम मुख्य रूप से अवैध या बिना दस्तावेज़ वाले अप्रवासियों को प्रभावित करते हैं।

    इस नए नियम के तहत, अमेरिका में 30 दिनों या उससे अधिक समय तक रहने वाले 14 वर्ष से अधिक उम्र के सभी गैर-नागरिकों को "फॉर्म G-325R" भरकर सरकार के साथ अनिवार्य रूप से पंजीकरण करना होगा। अप्रवासियों के बच्चों को भी 14 वर्ष की आयु पूरी करने के 30 दिनों के भीतर पुनः पंजीकरण करना होगा और फिंगरप्रिंट जमा करने होंगे।

    नए नियम क्या हैं? (Trump Administration New Rules)

    इसके अतिरिक्त, 11 अप्रैल को या उसके बाद देश में आने वालों को भी आगमन के 30 दिनों के भीतर पंजीकरण करना होगा। अपना पता बदलने वालों को भी 10 दिनों के भीतर इसकी रिपोर्ट करनी होगी, जिसमें विफल रहने पर $5,000 तक का जुर्माना लगाया जा सकता है। इस बीच, जो लोग वैध वीजा (अध्ययन, काम, यात्रा) पर अमेरिका आए हैं, जिनके पास ग्रीन कार्ड, रोजगार दस्तावेज, बॉर्डर क्रॉसिंग कार्ड या I-94 एडमिशन रिकॉर्ड है, उन्हें इससे प्रभावित नहीं होंगे क्योंकि उन्हें पहले से ही पंजीकृत माना जाता है।

    भारतीयों पर क्या होगा असर?

    वैध वीजा या ग्रीन कार्ड वाले भारतीय नागरिकों को पंजीकरण नहीं करना होगा। हालांकि, उन्हें हर समय अपनी आईडी साथ रखनी होगी और अधिकारियों द्वारा पूछे जाने पर उसे प्रस्तुत करना होगा। अमेरिका में लगभग 5.4 मिलियन भारतीय रहते हैं। जहां DHS के आंकड़ों के अनुसार 2022 तक अमेरिका में 2.20 लाख भारतीय अवैध रूप से रह रहे थे, वहीं प्यू रिसर्च सेंटर इस आंकड़े को सात लाख बताता है, और माइग्रेशन पॉलिसी इंस्टीट्यूट इसे 3.75 लाख अनुमानित करता है, जैसा कि टाइम्स ऑफ इंडिया ने रिपोर्ट किया है।

    विशेषज्ञों की राय-

    इमिग्रेशन विशेषज्ञ रवि शर्मा के अनुसार, "यह नीति मुख्य रूप से अवैध प्रवासियों को लक्षित करती है, लेकिन इससे सभी विदेशी नागरिकों पर नया दबाव पड़ेगा। भारतीय समुदाय को विशेष रूप से सावधान रहने की जरूरत है, क्योंकि छोटी सी चूक भी परेशानी का कारण बन सकती है।" न्यूयॉर्क स्थित भारतीय छात्र अनुराग पटेल कहते हैं, "हमारे लिए यह थोड़ा डराने वाला है। हम यहां कानूनी रूप से हैं, फिर भी अब हमें हर समय अपने दस्तावेज़ साथ रखने होंगे। यह अजीब लगता है कि एक छोटी भूल के कारण हमारा भविष्य खतरे में पड़ सकता है।"

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    चिंताएं-

    इस नीति के लागू होने से अमेरिका में रह रहे विदेशी नागरिकों के बीच चिंता का माहौल है। कई लोगों को डर है कि इससे प्रोफाइलिंग और भेदभाव बढ़ सकता है। अधिकारियों का कहना है कि यह कदम राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए आवश्यक है, लेकिन आलोचकों का मानना है कि यह अप्रवासियों के अधिकारों का उल्लंघन है।

    वाशिंगटन डीसी स्थित इमिग्रेशन एडवोकेसी ग्रुप की प्रमुख मीरा कपूर कहती हैं, "यह नीति अप्रवासियों को अपराधी की तरह व्यवहार करती है, जो अमेरिकी मूल्यों के विपरीत है। हम इस फैसले के खिलाफ कानूनी विकल्पों पर विचार कर रहे हैं।" ट्रंप प्रशासन का यह कदम उनकी 'अमेरिका फर्स्ट' नीति का हिस्सा माना जा रहा है, जिसमें अवैध प्रवास पर नकेल कसने का वादा शामिल था। हालांकि, इसके व्यापक प्रभाव अभी देखे जाने बाकी हैं।

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