Trackless Train
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    Trackless Train: इस देश में पटरी के बिना चलती है ट्रेन

    Last Updated: 12 अप्रैल 2024

    Author: sumit

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    Trackless Train: भारत दुनिया के सबसे बड़े रेलवे नेटवर्क में से एक है, देश में कुल 68,103 किलोमीटर तक रेल नेटवर्क फैला हुआ है, जो कि ऑस्ट्रेलिया और कनाडा जैसे देशों से भी ज्यादा है। ऐसा कहा जाता है कि बिना ट्रैक के रेलवे का परिचालन संभव नहीं है। लेकिन आज हम आपको एक ऐसी ट्रेन के बारे में बताने जा रहे हैं, जो बिना रेलवे ट्रैक के ही चलती है। यह ट्रेन डामर से बनी सड़क पर कार और बसों की तरह ही चलती है। हम बात कर रहे हैं अब आप सोच रहे होंगे की ऐसी ट्रेन भला कहां पर मौजूद है।

    नई फ्यूचरिस्टिक ट्रेन-

    आपकी जानकारी के लिए बता दें की 2 साल के परीक्षण के बाद बिना ट्रैक के चलने वाली यह नई फ्यूचरिस्टिक ट्रेन पहली बार साल 2019 में चीन के सिचुआन प्रांत में लॉन्च की गई थी। यहग ट्रेनें स्टील की पटरियों की बजाय यह ट्रेनें ट्राम-बस हाइब्रिड डामर पर सफेद रंग सेरंगी पटरिया पर चलती हैं। जिसका मतलब यह होता है कि ऐसे वहान जो की रेलवे और बसों के बीच का संयोजन है। यानी कि यह है तो ट्रेन लेकिन बस की तरह ही सड़कों पर चल सकती है और इसे दुनिया के सबसे बड़े ट्रेन निर्मित में से एक सीआरआरसी कॉरपोरेशन द्वारा बनाया गया है।

    70 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार-

    ऐसे तो यह ट्रेन बिना ड्राइवर के भी चल सकती है। लेकिन दुर्घटना से बचने के लिए इसमें चालक को बैठाया जाता है। रफ्तार की बात की जाए तो यह 70 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलती है। ट्रैक पर चलने वाली ट्रेनों की तुलना में यह काफी हल्की है और इसके पहिए रबड़ से बनाए गए हैं। 32 मीटर लंबी ट्रेन में तीन बोगियां बनाई जाती है, जो की 300 लोगों से ज्यादा को बैठाने में सक्षम होती है। लेकिन जरूरत पड़ने पर इसमें दो और बोगियों को भी जोड़ा जा सकता है। ऐसे में 500 लोग इसमें आराम से सफर कर सकते हैं। यह ट्रेन पेट्रोल डीजल या बिजली पर भी नहीं चलती।

    टाइटेनियम बैटरी का द्वारा संचालित-

    बल्कि यह लिथियम और टाइटेनियम बैटरी का द्वारा संचालित की जाती है। एक बार फुल चार्ज होने पर 40 किलोमीटर की दूरी तय कर सकती है। इसकी बैटरी को स्टेशनों पर करंट कलेक्टर के माध्यम से चार्ज कर लिया जाता है। तीन से पांच किलोमीटर की यात्रा के लिए रिचार्ज का समय सिर्फ सेकंड होता है। जबकि 25 किलोमीटर की यात्रा के लिए इसे 10 मिनट में चार्ज किया जाता है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि यह मेट्रो ट्रेन की तरह ही ट्विन हेड सिस्टम पर चलती है। जिसका मतलब यह है कि इसमें यू टर्न लेने की कोई जरूरत ही नहीं है।

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    ट्रैक की जरूरत नहीं-

    इस ट्रेन को चलाने के लिए ट्रैक की जरूरत नहीं पड़ती। ऐसे में इसके रखरखाव और निर्माण की लागत भी काफी कम आती है। पारंपरिक ट्रेन के मुकाबले 1 किलोमीटर के निर्माण में लगभग 20 से 25 करोड़ रुपए की लागत आती है। लेकिन हाईटेक वर्चुअल लाइन के साथ लागत और भी काम हो जाती है। ऐसे में ट्रेन में पर्याप्त सेंसर है, जो कि फुटपाथ की पहचान करते हैं और यात्रा की महत्वपूर्ण जानकारी एकत्रित कर सकते हैं।

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